Friday, August 8, 2025
HomeNational NewsBanke Bihari Temple : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर...

Banke Bihari Temple : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई, ‘असंयमित’ भाषा पर सवाल उठाए

सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ की गई “असंयमित” टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने 21 जुलाई के आदेश की टिप्पणियों पर रोक लगाई और आगे की कार्यवाही स्थगित कर दी। साथ ही उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि इस मामले को अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ खंडपीठ को सौंपने पर विचार करें।

Banke Bihari Temple : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को वृंदावन स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर पर एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों पर नाराजगी व्यक्त की और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ “असंयमित भाषा” के इस्तेमाल पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा 21 जुलाई और छह अगस्त को पारित आदेशों का अवलोकन किया, जो उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर दिए गए थे, और इन आदेशों में की गई टिप्पणियों पर रोक लगा दी।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर समानांतर कार्यवाही की और आदेश में कुछ अनुचित टिप्पणियां कीं। पीठ ने कहा, उच्च न्यायालय किस तरह की असंयमित भाषा का इस्तेमाल कर रहा है? जैसे राज्य सरकार ने अध्यादेश पारित करके कोई पाप किया हो। यह सब क्या है? क्या उच्च न्यायालय को यह जानकारी नहीं दी गई कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में है? न्यायमूर्ति कांत ने आगे कहा कि किसी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं हमेशा खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध होती हैं, लेकिन वर्तमान मामले में एकल न्यायाधीश ने आदेश पारित किया।

पीठ ने 21 जुलाई के आदेश में की गई टिप्पणियों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्च न्यायालय में आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी। इसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अन्य याचिकाओं के साथ एक खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने पर विचार करें। उच्च न्यायालय ने छह अगस्त को ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक वैधानिक न्यास के प्रस्ताव के साथ अध्यादेश लाने के राज्य सरकार के कदम की आलोचना की थी और कहा था कि राज्य ने ‘पाप’ किया है।

सुनवाई के दौरान एकल न्यायाधीश ने राज्य सरकार द्वारा मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में लेने के प्रयास पर तीखी टिप्पणी की और सरकार से कहा कि वह मंदिर को छोड़ दे।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
समाचार लेखन की दुनिया में एक ऐसा नाम जो सटीकता, निष्पक्षता और रचनात्मकता का सुंदर संयोजन प्रस्तुत करता है। हर विषय को गहराई से समझकर उसे आसान और प्रभावशाली अंदाज़ में पाठकों तक पहुँचाना मेरी खासियत है। चाहे वो ब्रेकिंग न्यूज़ हो, सामाजिक मुद्दों पर विश्लेषण या मानवीय कहानियाँ – मेरा उद्देश्य हर खबर को इस तरह पेश करना है कि वह सिर्फ जानकारी न बने बल्कि सोच को भी झकझोर दे। पत्रकारिता के प्रति यह जुनून ही मेरी लेखनी की ताकत है।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular