नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने दृश्य मीडिया (विजुअल मीडिया) और फिल्मों में दिव्यांग व्यक्तियों के अपमानजनक चित्रण को रोकने के लिए सोमवार को दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि ‘अपंग’ और ‘मंदबुद्धि’ जैसे शब्द सामाजिक धारणाओं में निचला स्थान रखते हैं.यह फैसला निपुण मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका पर दिया गया.मल्होत्रा ने कहा था कि हिंदी फिल्म आंख मिचौली में दिव्यांग जन के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा,”शब्द संस्थागत भेदभाव पैदा करते हैं और दिव्यांग लोगों के बारे में अपंग और मंदबुद्धि जैसे शब्द सामाजिक धारणाओं में निचले दर्जे के समझे जाते हैं.पीठ ने कई दिशानिर्देश तय करते हुए कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को फिल्म दिखाने की अनुमति देने से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए.
इसमें कहा गया है,”दृश्य मीडिया को दिव्यांग व्यक्तियों की विविध वास्तविकताओं को चित्रित करने का प्रयास करना चाहिए.उसे न केवल उनकी चुनौतियों बल्कि सफलताओं, प्रतिभाओं और समाज में उनके योगदान को भी प्रदर्शित करना चाहिए.मिथकों के आधार पर न तो उनका मजाक उड़ाया जाना चाहिए और न ही उन्हें असाधारण के रूप में पेश किया जाना चाहिए.”