Shubhanshu Shukla Return: शुभांशु शुक्ला की धरती पर वापसी की यात्रा आज होगी शुरू, जानें कब और कैसे होगी वापसी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 18 दिन बिताने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके 3 अन्य सहयोगी अंतरिक्ष यात्री सोमवार को धरती पर वापसी की यात्रा के लिए रवाना होंगे. राकेश शर्मा की 1984 की यात्रा के बाद शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं. वह और उनके सहयोगी अंतरिक्ष यात्री भारतीय समयानुसार दोपहर लगभग 2 बजे ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होंगे और 2 घंटे बाद वापसी की यात्रा पर निकलेंगे.
एक्सिओम स्पेस ने बताया वापसी का पूरा शेड्यूल
‘एक्सिओम स्पेस’ ने बताया कि ISS से ‘अनडॉकिंग’ का समय सुबह 6 बजकर 5 मिनट (भारतीय समयानुसार शाम 4.35 बजे) से पहले निर्धारित नहीं है. पृथ्वी पर 22.5 घंटे की यात्रा के बाद चालक दल के कैलिफोर्निया तट पर केंद्रीय समय तड़के 4 बजकर 31 मिनट (भारतीय समयानुसार मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट) पर उतरने की उम्मीद है.’

एक्सिओम-4 मिशन क्रू को दिया गया फेयरवेल
रविवार को अभियान के 73 अंतरिक्ष यात्रियों ने शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिटसन और पोलैंड के मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की एवं हंगरी के टिबोर कापू सहित एक्सिओम-4 मिशन के क्रू मेंबर के लिए एक पारंपरिक विदाई समारोह का आयोजन किया. एक्सिओम-4 मिशन के जरिए 4 दशकों से भी अधिक समय के बाद भारत, पोलैंड और हंगरी की अंतरिक्ष में वापसी हुई है.
Gp Capt Shubhanshu Shukla reflects upon his 2 weeks on the International Space Station during the Axiom-4 Farewell Ceremony 👨🚀
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) July 13, 2025
Watch the full video here 🎥 pic.twitter.com/UpJtiCYNyQ
‘भारत अब भी ‘सारे जहां से अच्छा’ दिखता है’
शुक्ला ने रविवार को ISS पर फेयरवेल समारोह में कहा, ‘जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं.’ उन्होंने उस समय को याद किया जब उनके आदर्श राकेश शर्मा 41 साल पहले अंतरिक्ष की यात्रा पर गए थे और बताया था कि वहां से भारत कैसा दिखता था. ‘हम सभी अब भी यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आज भारत ऊपर से कैसा दिखता है. आज का भारत महत्वाकांक्षी दिखता है. आज का भारत निडर दिखता है, आज का भारत आत्मविश्वास से भरा दिखता है. आज का भारत गर्व से पूर्ण दिखता है. उन्होंने कहा, इन सभी कारणों से मैं एक बार फिर कह सकता हूं कि आज का भारत अब भी ‘सारे जहां से अच्छा’ दिखता है।’’
Gp Capt Shubhanshu Shukla:
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) July 13, 2025
🗣 "41 years ago, an Indian went to space and told us how India looks like from space.
…and I can again tell you that today's India still appears Saare Jahan Se Accha" 🇮🇳
Watch this clip from the Axiom-4 Farewell Ceremony on the ISS 🎥 pic.twitter.com/nQMyfBy0YR
पूरी तरह ऑटोमैटिक होगी अनडॉकिंग प्रक्रिया
ड्रैगन अंतरिक्षयान का ISS से अनडॉकिंग की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित व्यवथा के तहत होगी. अनडॉकिंग के बाद, ड्रैगन इंजन आवश्यक ऊर्जा के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरेगा ताकि वह सुरक्षित रूप से ISS से दूरी बनाए और पुनः प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर सके.
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की धरती पर पहुंचने की पूरी प्रक्रिया
अंतिम तैयारियों में कैप्सूल के ट्रंक को अलग करना और वायुमंडलीय प्रवेश से पहले हीट शील्ड को सही दिशा में रखना शामिल है. इस दौरान अंतरिक्षयान लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस तापमान का सामना करेगा. पैराशूट 2 चरणों में तैनात किए जाएंगे. पहले लगभग 5.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट और उसके बाद लगभग 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट तैनात होगा. ‘अनडॉकिंग’ के लगभग 22.5 घंटे बाद कैलिफोर्निया के तट पर यान के उतरने की उम्मीद है और अंतरिक्ष कैप्सूल को एक विशेष जहाज द्वारा वापस लाया जाएगा.
धरती पर लौटने के बाद 7 दिन पुनर्वास में बिताने होंगे
चारों अंतरिक्ष यात्रियों को धरती के वातावरण के अनुकूल स्थिति में लौटने के लिए पुनर्वास में 7 दिन बिताने की उम्मीद है क्योंकि उन्हें अंतरिक्ष स्टेशन पर भारहीनता के विपरीत धरती के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में जीवन के साथ सामंजस्य बैठाना होगा.
शुभांशु शुक्ला के लिए ऐतिहासिक रही यात्रा
शुक्ला के लिए यह एक ऐतिहासिक यात्रा रही है, जो आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने और 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन के तहत राकेश शर्मा की महत्वपूर्ण अंतरिक्ष उड़ान के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय व्यक्ति बने.
गगनयान मिशन में मिलेगी मदद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया. यह एक ऐसा अनुभव होगा जो अंतरिक्ष एजेंसी को अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान की योजना और निष्पादन में मदद करेगा जिसे 2027 में संचालित किए जाने की योजना है.