मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार नौवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.
नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय
RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई 3 दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) के 6 सदस्यों में से 4 ने नीतिगत दर को यथावत रखने के निर्णय के पक्ष में मत दिया.इसके साथ ही एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है.
नीतिगत दर में इस वजह से नहीं किया कोई बदलाव
उन्होंने कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी 4 प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है.
क्या होती है रेपो दर ?
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं.आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है.
EMI में नहीं होगा बदलाव
रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में बदलाव की संभावना कम है.दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है.