Caste Census: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के सरकार के फैसले ने असली इरादों और खोखली नारेबाजी के बीच के अंतर को उजागर किया है. BJP मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधान ने इस कदम को पासा पलटने वाला फैसला बताया जिसका कई विपक्षी दलों ने स्वागत किया है.
जाति जनगणना का निर्णय अचानक नहीं लिया गया: प्रधान
प्रधान ने कहा, ‘इस महत्वपूर्ण फैसले ने हमारे असली इरादों और विपक्ष की खोखली नारेबाजी के बीच के अंतर को उजागर किया है. हालांकि अधिकतर विपक्षी दलों ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा, ‘जाति जनगणना का यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया है. ‘सबका साथ-सबका विकास’ मोदी सरकार का सैद्धांतिक और दार्शनिक मत रहा है. हमारे सभी कार्यक्रमों और योजनाओं का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय रहा है. समाज के सभी वर्गों को वैज्ञानिक तरीके से लाभ, सुविधाएं और सहूलियत प्रदान करना हमारा उद्देश्य रहा है.’
जाति जनगणना पर विपक्षी दलों की आलोचना की
सरकार ने एक बड़े फैसले के तहत बुधवार को घोषणा की कि आगामी जनगणना में जाति गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा. सरकार ने यह घोषणा करते हुए जाति सर्वेक्षणों को राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की. कांग्रेस सहित विपक्षी दल देश भर में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया है. बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्य पहले ही ऐसे सर्वेक्षण कर चुके हैं.
राहुल गांधी को सीरियस मत लो: धर्मेंद्र प्रधान
धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी की जातीय जनगणना पर प्रतिक्रिया को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से लेना ही नहीं चाहिए. उन्हें सर्वे और सेंसस के बीच का अंतर भी नहीं पता. उन्होंने आगे कहा कि नेहरू और राजीव गांधी की चिट्ठियों और बयानों को पढ़कर कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए.
जाति जनगणना का श्रेय लेने पर कांग्रेस पर साधा निशाना
प्रधान ने जाति जनगणना की घोषणा का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर पलटवार किया. उन्होंने कहा, ‘जब कल यह फैसला लिया गया, तो कुछ लोग नाराज हो गए. उन्होंने कहा, सरकार उनकी (सत्तारूढ़ पार्टी) है, लेकिन व्यवस्था हमारी (विपक्ष की) है. सामाजिक न्याय को पटरी पर लाने के लिए 1977 की जनता पार्टी सरकार के तहत मंडल आयोग का गठन किया गया था. भाजपा का पूर्ववर्ती जनसंघ इस सरकार का हिस्सा था.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंडल आयोग की रिपोर्ट 10 साल तक कालकोठरी में बंद रही.उन्होंने पूछा, तब सरकार और व्यवस्था किसके हाथ में थी? जब मंडल आयोग (सिफारिशें) लागू की गईं, तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव (गांधी) जी का क्या बयान था? कांग्रेस का क्या रुख था? ‘सरकार उनकी है लेकिन व्यवस्था हमारी है’ कहने वालों का अहंकार और पाखंड स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा है.