Maharashtra News : नागपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘‘भ्रष्ट व्यक्तियों को संरक्षण देने के कई उदाहरण हैं, जिनमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भी शामिल हैं।’’ पटोले पुणे के विवादास्पद भूमि सौदे से जुड़े एक मामले में मुंबई उच्च न्यायालय की टिप्पणी से संबंधित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए पटोले ने कहा, सरकार भ्रष्टाचार करने वालों को किस तरह बचा रही है, इसके कई उदाहरण हमें देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मुंबई के एक सहायक नगर आयुक्त को एक महीने की अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया गया है, जिन पर कोविड महामारी के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप है। कांग्रेस नेता ने कहा, इन अधिकारियों को बर्खास्त कर देना चाहिए, लेकिन सरकार पार्थ पवार समेत ऐसे लोगों को बचा रही है। उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुणे के विवादास्पद भूमि सौदे की पुलिस जांच पर तीखे सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या वे भूमि सौदे की प्राथमिकी में पार्थ पवार का नाम शामिल न करके उन्हें संरक्षण दे रहे हैं।
नार्वेकर ने ठुकराई नाना पटोले की मांग
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार को पूर्व स्पीकर और सीनियर कांग्रेस विधायक नाना पटोले की राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग को खारिज कर दिया। पटोले ने राज्य में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर ‘अराजकता और अनियमितताओं’ का आरोप लगाया है। स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि पटोले की मांग राज्य विधानसभा के दायरे से बाहर थी और हाई कोर्ट के जज पर महाभियोग से जुड़े हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नहीं थी। पटोले ने एसईसी पर ‘दिन दहाड़े लोकतंत्र का गला घोंटने’ का आरोप लगाया और दावा किया कि मतदाताओं के बीच भ्रम और परेशानी एसईसी की गैर-जिम्मेदारी के कारण थी।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 243 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि अगर अनियमितताओं को स्वीकार किया जाता है, तो महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने तर्क दिया कि चूंकि मुख्यमंत्री ने खुद अनियमितताओं की अभूतपूर्व प्रकृति को स्वीकार किया है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने पहले सत्तारूढ़ महायुति सरकार को सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव लाने की चुनौती दी थी, यह कहते हुए कि अगर वे कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो इसका मतलब होगा कि वे ‘एसईसी को बचा रहे हैं।’ हाल ही में, सीएम फडणवीस ने राज्य भर के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानीय निकाय चुनावों को 20 दिसंबर तक स्थगित करने के एसईसी के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की।




