Nepal Violence: काठमांडू। नेपाल में काठमांडू घाटी और अन्य हिस्सों में लगाए गए कर्फ्यू व प्रतिबंधात्मक आदेशों को शनिवार को हटा लिया गया, जिसके बाद दैनिक जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। नेपाली सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि शनिवार को कोई प्रतिबंधात्मक आदेश या कर्फ्यू लागू नहीं है। कई दिन तक बंद रहने के बाद दुकानें, किराना स्टोर, सब्जी बाजार और शॉपिंग मॉल फिर से खुल गए तथा सड़कों पर आवाजाही फिर से शुरू हो गई।
कई जगहों पर सफाई अभियान चलाया गया, जिनमें प्रमुख सरकारी इमारतें भी शामिल हैं। हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इन इमारतों में तोड़फोड़ की थी और आग लगा दी थी। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी। इसके विरोध में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के प्रधानमंत्री कार्यालय में घुसने के तुरंत बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया था। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार रात हटा लिया गया था।
नेपाल पुलिस के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को शुरू हुए ‘जेन जेड’ (1997 से 2012 के बीच जन्मे लोग) के नेतृत्व वाले प्रदर्शनों में एक भारतीय नागरिक समेत कम से कम 51 लोगों की मौत हुई है। ओली के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नेपाली सेना ने सुरक्षा स्थिति को अपने नियंत्रण में ले लिया था। कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में लेने के तुरंत बाद सेना ने काठमांडू घाटी और देश के अन्य हिस्सों में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी, जबकि कुछ निश्चित समयावधि के दौरान लोगों की आवाजाही की अनुमति दी गई। नेपाल में राजनीतिक संकट से निपटने और नए चुनावों की देखरेख के लिए सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

नेपाल की कमान सुशीला कार्की के हाथों में
नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ 8 सितंबर को शुरू हुआ युवाओं का आंदोलन केवल चार दिनों में सत्ता परिवर्तन का कारण बन गया। दुनिया भर में चर्चित इस आंदोलन को ‘Gen Z आंदोलन’ कहा जा रहा है। शुक्रवार रात करीब 9:30 बजे राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई।
दिलचस्प बात यह है कि युवाओं की पहली पसंद सुशीला कार्की नहीं थीं। आंदोलन का नेतृत्व करने वाले काठमांडू के मेयर बालेन शाह को पहले यह जिम्मेदारी देने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने सत्ता संभालने से इंकार कर दिया। इसके बाद सुशीला कार्की का नाम आगे आया और बालेन शाह ने भी उन्हें समर्थन दिया। इस फैसले से नेपाल का सियासी संकट थम गया।
सुशीला कार्की पहले भी सुर्खियों में रह चुकी हैं। वह नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश रह चुकी हैं और उनकी छवि एक सख्त भ्रष्टाचार विरोधी नेता की रही है। युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता, महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी उनकी छवि और राजनीतिक स्थिरता की जरूरत — इन सबने मिलकर उन्हें नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया।