नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को निखारने तथा उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्कृष्टता के उच्चतम स्तर पर पहुंचाने के उद्देश्य से लाए गए राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 तथा राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा ने राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 तथा राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया जो कल लोकसभा में पारित हुए थे।
उच्च सदन में इन दोनों विधेयकों पर चर्चा और पारित होने के समय कई विपक्षी दलों के सदस्य मौजूद नहीं थे क्योंकि वे एसआईआर मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन कर गये थे। दोनों विधेयकों पर हुई संयुक्त चर्चा का जवाब देते हुए युवा मामले एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि इन विधेयकों के कानून का रूप लेने के बाद खेल के मैदान से गौरव हासिल करने का देश का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि अभी दुनिया के सिर्फ 20 देशों में ही खेल कानून हैं और इन विधेयकों के कानून बनने पर भारत इस मामले में 21वां देश होगा। उन्होंने कहा कि ये विधेयक देश में एक पारदर्शी, जवाबदेह और विश्व स्तरीय खेल वातावरण के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
देश की महिलाओं और एथलीट का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा : मांडविया
मांडविया ने कहा कि राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक से देश की महिलाओं और एथलीट का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि खेल फेडरेशन से जुड़े करीब 350 मामले अदालतों में लंबित हैं और ऐसे मामलों से खेल निकाय का कामकाज प्रभावित होता है और इसका प्रभाव खिलाड़ियों पर पड़ता है। मंत्री ने कहा कि खेल निकाय से जुड़े मामलों के समाधान के लिए राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि खेल निकायों में सुचारू एवं पारदर्शी चुनाव के लिए एक पैनल बनाया जाएगा जिसमें ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा जिन्हें चुनाव कराने का अनुभव होगा।
उन्होंने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 पर अपने जवाब में कहा कि विश्व डोपिंग एजेंसी ने जो सुधारों के सुझाव दिये हैं, उन्हें शामिल किया गया है ताकि देश में डोपिंग में कमी आए और पारदर्शिता एवं स्वायत्तता के साथ राष्ट्रीय डोपिंग एजेंसी काम कर सके। दोनों विधेयकों पर हुयी संक्षिप्त चर्चा में बीजद के शुभाशीष खुंटिया ने आशंका जतायी कि विधेयकों के प्रावधान से केंद्र का प्रभाव बढ़ सकता है और राज्यों की भूमिका कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि खेलों में राज्यों का भी समान महत्व मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों से खेल संघों की स्वायत्ता प्रभावित हो सकती है और राजनीतिक प्रभाव हावी हो सकता है। उन्होंने कहा कि विधेयक में ग्रामीण प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के प्रावधान नहीं किए गए हैं। उन्होंने खेलों से जुड़ी सट्टेबाजी पर रोक लगाने की भी मांग की।
राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने खेल निकायों में ढांचागत सुधार की जरूरत पर बल दिया और कहा कि खेल निकाय से जुड़े ढेरों मामले अदालतों में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि अदालतों में मामलों का फैसला आने में समय लगता है और इससे कामकाज प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि खेल क्षेत्र में निजी उपलब्धियां अधिक हैं और सामूहिक उपलब्धियों पर जोर दिया जाना चाहिए। कौशल विकास मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि यह विधेयक किसी कानून में संशोधन नहीं है बल्कि व्यापक नया कानून है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के नरहरि अमीन, केसरीदेव सिंह झाला, परमार सालम सिंह, धर्मशीला गुप्ता, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी आला, मनोनीत सतनाम सिंह संधू, तेदेपा के साना सतीश बाबू, बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू आदि ने विधेयकों का समर्थन करते हुए खेलों के महत्व पर जोर दिया। चर्चा में सदस्यों ने ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को भी निखारने की जरूरत पर बल दिया।
मनोनीत सुधामूर्ति ने कहा कि खेल देश के युवाओं के अच्छे स्वस्थ्य के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने डोपिंग को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाने की मांग की और कहा कि एथलीट को ऐसा भोजन दिया जाना चाहिए जो डोपिंग के दायरे में नहीं आता हो। चर्चा में भाग लते हुए मनोनीत पीटी उषा ने दोनों विधेयकों को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि ऐसे कानून की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। उन्होंने कहा कि खेल निकाय से जुड़ा विधेयक किसी सपना के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा कि पहले खिलाड़ियों के सपने को पूरा करने के लिए कोई सुचारू तंत्र नहीं है लेकिन इस विधेयक के आने से स्थिति में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से खेल क्षेत्र में व्यापक बदलाव आने के साथ ही विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व भी मिलेगा और प्रतिभाओं को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने विधेयक को न्याय एवं समान अवसर मुहैया कराने वाला बताया।
भाजपा के भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि भारत 2036 के ओलंपिक खेलों का आयोजन करना चाहता है और ऐसे में उसे अपनी खेल अवसंरचनाओं को मजबूत करना तथा विश्व स्तर के खिलाड़ी तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक बेहद महत्वपूर्ण हैं और अपने उद्देश्यों में सफल होगा। इसी पार्टी की सीमा द्विवेदी ने खेलों का बजट दोगुना करने के लिए सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उसकी बेहतरीन नीतियों का ही नतीजा है कि 2014 के बाद से अब तक खेलों को लेकर कोई घोटाला नहीं हुआ है। भाजपा के धनंजय भीमराव महादिक ने कहा कि देश में खेल संबंधी समस्त गतिविधियां खेल संघों (फेडरेशन) के माध्यम से होती है और अदालतों में लंबित मामले इन खेल संघों की कथित मनमानी का नतीजा हैं।
उन्होंने कहा कि नए विधेयक में राष्ट्रीय खेल बोर्ड का प्रावधान है। यह बोर्ड खेल संघों की गतिविधियों पर नजर रखेगा और आदर्श आचार संहिता लागू करेगा। इसी पार्टी की माया नारोलिया ने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा। चर्चा का जवाब देते हुए मांडविया ने कहा कि इन विधेयकों को तैयार करने से पहले गहन विचार विमर्श किया गया। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद, भारतीय ओलंपिक परिषद से भी बातचीत की गई और जनता से भी सुझाव मांगे गए। 600 से अधिक सुझाव मिले जिनमें से कुछ को विधेयक में शामिल किया गया। उन्होंने बहिर्गमन कर गए विपक्ष के सदस्यों पर तंज करते हुए कहा कि जो लोग वंचितों के कल्याण के लिए समर्पित होने का दावा करने वाले लोगों इन विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।
उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि सरकार किसी भी निकाय पर नियंत्रण करना चाहती है। उन्होंने कहा, हमारे पास क्षमता है। जरूरत उसे अवसर और परिवेशी तंत्र देने की है। यह काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। खेलो इंडिया इसका उदाहरण है। कभी देश में खेल का बजट 1200 करोड़ रुपये था जो अब बढ़ कर चार हजार करोड़ रुपये हो गया है। लक्षित ओलंपिक योजना का जिक्र करते हुए मांडविया ने कहा कि यह भावी खिलाड़ी तैयार करने में मददगार है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के बच्चों को कई तरह से खेलों में प्रशिक्षण दे कर उनकी प्रतिभा को निखारा जा रहा है।
मांडविया ने कहा कि खिलाड़ियों को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित कर उनका तथा दूसरे प्रतिभावान खिलाड़ियों को एक तरह से प्रोत्साहन दिया जाता है। मांडविया ने कहा ओलंपिक खेलों में एक दशक पहले तक देश को 71 पदक मिले थे और पिछले दो ओलंपिक में भारत को 15 पदक मिले। उनके अनुसार, एशियाई खेलों में पहले 57 पदक मिलते थे लेकिन 2023 में 160 पदक हमारे खिलाड़ियों ने जीते। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधा मिले, इसके लिए मोदी सरकार अपनी ओर से हरसंभव कोशिश कर रही है। मांडविया ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 पर अपने जवाब में कहा कि वर्ल्ड डोपिंग एजेंसी ने जो सुधारों के सुझाव दिये हैं, उन्हें शामिल किया गया है ताकि देश में डोपिंग में कमी आए और पारदर्शिता एवं स्वायत्तता के साथ राष्ट्रीय डोपिंग एजेंसी काम कर सके। राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) समेत राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) के बेहतर प्रशासन एवं गुटबाजी को रोकने तथा उनके लिए नियम बनाने के उद्देश्य से एक बोर्ड के गठन का प्रावधान है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अधिनियम, 2022 में विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के सुझावों के मुताबिक संशोधन शामिल किए गए हैं।