भोपाल। मध्यप्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री ने बुधवार को नई सरकार का श्रीगणेश करते हुए शपथ ली। इस दौरान शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे। मध्यप्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता एवं उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव ने भोपाल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मोहन यादव (58) को राज्य की राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने पद की शपथ दिलाई गई।
राज्यपाल ने जगदीश देवड़ा (मंदसौर के मल्हारगढ़ से विधायक) और राजेंद्र शुक्ला (रीवा से विधायक) को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहे। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नितिन गडकरी भी मौजूद रहे।
शपथ समारोह में जाने से पहले यादव ने भोपाल में एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भाजपा के संस्थापक विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रदेश भाजपा कार्यालय भी गए। अपनी प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर, यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार (क्षेत्रों) और अन्य सभी क्षेत्रों में विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’तीन बार के भाजपा विधायक यादव मध्य प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री हैं।
वर्ष 2003 के बाद से, मध्य प्रदेश में भाजपा के सभी तीन मुख्यमंत्री, अर्थात उमा भारती, बाबूलाल गौर और चौहान, अन्य पिछड़ा वर्ग से रहे हैं। साथ ही, यादव भी ओबीसी वर्ग से आते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में यादव की नियुक्ति से भाजपा के दिग्गज नेता और चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के युग का भी अंत हो गया, जिन्होंने करीब दो दशकों तक राज्य की राजनीति पर दबदबा बनाए रखा। यादव मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में नहीं थे। उन्हें अहम पद की जिम्मेदारी देना आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय पर पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत से अधिक है।