उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन का नाम सोमवार से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के नाम से भी अब इतिहास में जाना जाएगा। छात्र राजनीति से मुख्यमंत्री पद तक के सफर में यादव ने कई उतार चढ़ाव देखे। वर्ष 1984 से राजनीति में सक्रिय मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की रेस में सबको पीछे छोड़ दिया। अब तक शिव के हाथों में प्रदेश की सत्ता थी। अब मोहन मध्यप्रदेश पर राज करेगा।
मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। वे शिवराज सिंह चौहान सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। उन्होंने लगातार तीसरी बार विधायक पद का चुनाव जीता। 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में मोहन का जन्म हुआ। उनके पिता पूनमचंद यादव और माता लीलाबाई यादव हैं। उनकी पत्नी सीमा यादव हैं। विधायक दल की बैठक में जब डॉ.मोहन यादव के नाम का एलान किया गया तो मंच पर उन्होंने ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के पांव छुए। शिवराज सिंह ने आत्मीयता के साथ सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया। मोहन यादव मध्य प्रदेश में बीजेपी का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं। उनके नाम की घोषणा संभवतः 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए की गई है। मोहन यादव की शैक्षणिक योग्यता पीएचडी है। वह 2020 में उन्हें शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी और 2023 तक वह इस पद पर रहे।
आरएसएस से सीखे सेवा और राजनीति के गुर
58 वर्षीय मोहन यादव का राजनीतिक करियर एक तरह से 1984 में शुरू हुआ जब उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ज्वाइन किया। वह आरएसएस के भी सदस्य हैं। उन्होंने 2013 में उज्जैन दक्षिण से चुनाव लड़ा था और लगातार तीसरे चुनाव में यहां से विधायक निर्वाचित हुए हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चेतन प्रेमनारायण यादव को 12941 वोटों से हराया था। मोहन यादव को 95699 वोट मिले थे।
उज्जैन के नाम खुली लॉटरी
मोहन यादव के नाम की घोषणा उज्जैनवासियों के लिए सरप्राइज से कम नहीं है क्योंकि सीएम पद की रेस में इनका नाम कहीं नहीं था, लेकिन विधायक दल की बैठक में उनके नाम की घोषणा की गई। वह 2004 से पहले 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं जबकि 2011 से 2013 तक एमपी राज्य पर्यटन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है।