Tuesday, December 24, 2024
Homeजेआईजे स्पेशलटॉयलेट एक गंदी कथा! पब्लिक टॉयलेट….छी….गंदे

टॉयलेट एक गंदी कथा! पब्लिक टॉयलेट….छी….गंदे

सर्वे का सच : ज्यादातर भारतीयों को लगता है कि सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ

नई​ दिल्ली। क्या आपको भी पब्लिक टॉयलेट यूज करने में झिझक होती है। क्या आपको भी लगता है कि सार्वजनिक शौचालय ​हमेशा गंदे होते हैं, इनमें कोई सुधार नहीं हुआ है। अगर ‘हां’ तो आपकी सोच भी अधिकांश भारतीयों जैसी ही है। 50 प्रतिशत से ज्यादा भारतीयों का मानना है कि भारत में सार्वजनिक टॉयलेट्स खराब या इस्तेमाल करने योग्य स्थिति में नहीं हैं। यह दावा है गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान के नौ साल पूरे होने के मौके पर सामने आए एक सर्वे का।

मेट्रो सिटी में भी हाल खराब

सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर भारतीयों को लगता है कि सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। वे सार्वजनिक शौचालय की जगह व्यावसायिक सुविधा का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लोकल सर्कल्स’ के सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि मुंबई, दिल्ली या बेंगलुरु जैसे शहरों में भी सार्वजनिक शौचालयों में जाना आमतौर पर तब तक एक बुरा अनुभव रहा, जब तक कि इन्हें सुलभ इंटरनेशनल जैसे प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा प्रबंधित न किया जाए या फिर वहां भुगतान शुरू नहीं किया गया हो।

हजारों लोगों ने कही दिल की बात

यह सर्वेक्षण भारत के 341 जिलों में किया गया। सर्वेक्षण सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति का पता लगाने और यह समझने के लिए किया गया कि जब लोग बाहर होते हैं और शौचालय का उपयोग करने की आवश्यकता होती है, तो क्या करते हैं। इसमें 39,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। लगभग 42 प्रतिशत शहरी भारतीयों का मानना है कि उनके शहर/जिले में सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता में सुधार हुआ है। लेकिन 52 प्रतिशत लोगों ने संकेत दिया कि सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में ‘कोई सुधार नहीं’ हुआ है।

सिर्फ 10 प्रतिशत ने बताई अच्छी स्थिति

सर्वेक्षण के मुताबिक, 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे सार्वजनिक शौचालय में जाने के बजाय किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान में जाना और वहां शौचालय का उपयोग करना पसंद करेंगे। सर्वेक्षण में शामिल केवल 10 प्रतिशत लोगों ने अपने शहर/जिले में सार्वजनिक शौचालयों को अच्छी स्थिति में बताया। जबकि 53 प्रतिशत ने कहा कि ये खराब या इस्तेमाल करने योग्य स्थिति में नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ये केवल कार्यात्मक स्थिति में हैं, लेकिन अच्छी तरह से इनका रखरखाव नहीं किया जाता। सर्वेक्षण में 69 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे, जबकि 31 प्रतिशत उत्तरदाता महिलाएं थीं।

सार्वजनिक शौचालयों को लेकर लोगों की राय

37 प्रतिशत — औसत कार्यात्मक
25 प्रतिशत — बमुश्किल कार्यात्मक
16 प्रतिशत — भयावह स्थिति
12 प्रतिशत — यूज करने लायक नहीं

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments