Lok Sabha Deputy Speaker: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि बिना किसी विलंब के लोकसभा उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने इस बात पर चिंता जताई कि पिछली लोकसभा में कोई उपाध्यक्ष नहीं था और वर्तमान लोकसभा में भी कोई उपाध्यक्ष नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है और यह संविधान के निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन भी है. आखिरी बार 16वीं लोकसभा में अन्नाद्रमुक के नेता एम. थंबीदुरई को उपाध्यक्ष चुना गया था.
My letter to PM Shri @narendramodi on the urgency to initiate the process of electing a Deputy Speaker of Lok Sabha without any further delay.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 10, 2025
From the First to the Sixteenth Lok Sabha, every House has had a Deputy Speaker. By and large, it has been a well-established… pic.twitter.com/WUyIPlTVqx
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में खरगे ने कहा, ‘मैं लोकसभा में उपाध्यक्ष की रिक्ति से जुड़े अत्यधिक चिंताजनक मामले को आपके ध्यान में लाने के लिए लिख रहा हूं. भारत के संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के चुनाव को अनिवार्य बनाता है. संवैधानिक रूप से, उपाध्यक्ष अध्यक्ष के बाद सदन का दूसरा सबसे बड़ा पीठासीन अधिकारी होता है.
‘उपाध्यक्ष के चुनाव की तारीख अध्यक्ष तय करता है’
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 93 में कहा गया है कि सदन ‘जितनी जल्दी हो सके’ किसी एक को उपाध्यक्ष चुनेगा. परंपरागत रूप से उपाध्यक्ष का चुनाव नवगठित लोकसभा के दूसरे या तीसरे सत्र में किया जाता रहा है. इस चुनाव की प्रक्रिया अध्यक्ष की प्रक्रिया को दर्शाती है और एकमात्र अंतर यह है कि लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 8(1) के अनुसार, उपाध्यक्ष के चुनाव की तारीख अध्यक्ष द्वारा तय की जाती है.’
‘लोकसभा के लगातार 2 कार्यकाल के लिए खाली रहा है पद’
खरगे ने कहा, ‘पहली से सोलहवीं लोकसभा तक प्रत्येक सदन में एक उपाध्यक्ष रहा है. कुल मिलाकर, मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों में से उपाध्यक्ष की नियुक्ति करना एक स्थापित परंपरा रही है. हालांकि, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यह पद लोकसभा के लगातार 2 कार्यकाल के लिए खाली रहा है.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सत्रहवीं लोकसभा के दौरान कोई उपाध्यक्ष नहीं चुना गया और यह मिसाल मौजूदा अठारहवीं लोकसभा में भी जारी है. उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए और सदन की सम्मानित परंपराओं और हमारी संसद के लोकतांत्रिक लोकाचार को ध्यान में रखते हुए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप बिना किसी विलंब के लोकसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करें.’
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