Saturday, November 23, 2024
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पानी की खोज के लिए रुस द्वारा भेजा गया लूना-25 क्रैश, रूस को लगा अरबों का फटका

नई दिल्ली। रूस द्वारा चांद पर पानी की खोज के लिए भेजा गया Luna-25 सोमवार को क्रैश हो गया. चंद्रमा की सतह पर लूना-25  लैंडिंग की तैयारी में लगा हुआ था. रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्‍कोस्‍मोस से मिली जानकारी के अनुसार लूना-25 प्रपोल्‍शन मैनूवर के समय चंद्रमा की सतह से टकरा गया था. इस वजह से ही लूना-25 दुर्घटना का शिकार हो गया है.

लूना-25 के दुर्घटनाग्रस्त होने से रूस को अरबों रुपए का फटका लग गया हैं. चांद पर भेजे गए लूना-25 मिशन का बजट करीब 200 मिलियन डॉलर (16,63,14,00,000 रुपये) था. इस मिशन के फेल होने के बाद रूस को 16.6 अरब रुपये का नुकसान हुआ है.  इस 200 मिलियन डॉलर के बजट में स्पेसक्राफ्ट को डेवलप करना, लॉन्च ऑपरेशन, मिशन कंट्रोल और चांद से मिले डेटा का वैज्ञानिक विश्लेषण शामिल था.

लूना-25 यान में शनिवार को आई थी तकनीकी खराबी

दरअसल शनिवार को चंद्रमा पर लैंडिंग से ठीक पहले लूना-25 अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी आ गई थी. जिसके बाद रोस्कोस्मोस ने कहा था कि ऑपरेशन के दौरान ऑटोमेटिक स्टेशन पर एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसने निर्दिष्ट मापदंडों के साथ अंतरिक्ष यान को मनुवर करने की अनुमति नहीं दी और विशेषज्ञ हालात का विश्लेषण कर रहे हैं.

वहीं इस मामले को लेकर फ्रांस के अंतरिक्ष विज्ञानी और उल्‍कापिंडों पर अध्‍ययन करने वाले फ्रैंक मार्चिस ने कहा था कि लूना-25 का अंत चंद्रमा पर हो सकता है. रोस्कोमोस ने इससे इनकार नहीं किया है और पिछले 10 घंटों से अंतरिक्ष यान से कोई संपर्क नहीं हुआ है.

कब लॉन्च हुआ था लूना-25?

10 अगस्त को रूसिया के वोस्तोचन स्पेसपोर्ट से सोयुज 2.1v रॉकेट से लूना-25 को लॉन्च किया गया था.  21 अगस्त को लूना-25 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद थी. लेकिन, एक दिन पहले ही लूना-25 क्रैश होने से रुस के चांद मिशन पर पानी फिर गया. लूना-25 ने बुधवार को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. इसके बाद रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने 17 अगस्त को लूना-25 की भेजी गई चंद्रमा की तस्वीर को भी शेयर किया था. लूना -25 ने एक छोटे रास्ते के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी. इस रास्‍ते के बारे में दुनिया की किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी को पता नहीं है. अगर रूस का मिशन सफल होता तो वह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एक साल तक पानी की खोज करता.

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