लोकसभा के स्पीकर पद के लिए सदन में आज सुबह 11 बजे प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब मतदान कराएंगे। एनडीए से ओम बिरला और विपक्ष के इंडिया गठबंधन से के. सुरेश उम्मीदवार हैं। बिरला राजस्थान के कोटा से तीसरी बार चुनकर आए हैं, जबकि सुरेश केरल की मवेलीकारा सीट से जीतकर आए हैं। सुरेश आठवीं बार के सांसद हैं।
48 साल बाद ऐसा मौका आया है, जब स्पीकर के लिए चुनाव कराए जाने की नौबत बनी है। इससे पहले 1952 और 1976 में भी स्पीकर के लिए चुनाव में वोटिंग हुई थी। फिलहाल, सभी पार्टियों ने व्हिप जारी किया है और सांसदों को वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं।
साधारण बहुमत से होगा चुनाव
लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव में सदन में वोटिंग करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से चुना जाता है। साधारण बहुमत यानी सदन में उस वक्त जितने सांसद मौजूद होंगे, उनमें 50 फीसदी से ज्यादा वोट जिसे मिलेंगे वो स्पीकर चुन लिया जाता है।
लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं। लोकसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। वायनाड सीट खाली है। सात सांसद ऐसे हैं जिन्हें अभी लोकसभा में शपथ लेनी है, इसलिए ये सांसद वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। ऐसे में सदन में कुल सांसदों की संख्या घटकर 535 हो जाएगी। बहुमत के लिए 268 सांसदों का समर्थन जरूरी है।
ये है नंबर गेम
एनडीए के पास 293 सदस्य हैं। यानी बहुमत से काफी ज्यादा संख्या है। वहीं, इंडिया ब्लॉक को देखा जाए तो 233 सदस्यों का समर्थन है। जो सात सांसद शपथ लेने से वंचित रह गए हैं, उनमें INDIA ब्लॉक के पांच सांसद शामिल हैं। ऐसे में समर्थन करने वाले सांसदों की संख्या 228 रह जाएगी। जबकि 16 अन्य सांसद हैं। इनका समर्थन भी मायने रखेगा। सूत्रों के अनुसार, स्पीकर के चुनाव के बाद सातों सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, वाईएसआरसीपी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने स्पीकर के चुनाव में ओम बिरला का समर्थन करने का फैसला किया है।
ये है चुनाव प्रोसेस
लोकसभा स्पीकर चुनने के लिए सबसे पहले प्रस्ताव पेश किया जाता है। सत्ता पक्ष की तरफ से उम्मीदवार घोषित होने के बाद उसका नाम आमतौर पर प्रधानमंत्री या संसदीय कार्य मंत्री द्वारा प्रस्तावित किया जाता है। लोकसभा सचिवालय को जिस उम्मीदवार का पहले प्रस्ताव मिलता है, उसका प्रस्ताव भी सदन में पहले पेश किया जाता है। विपक्षी सदस्यों की तरफ से मत विभाजन की मांग की जाएगी। संभव है कि ध्वनि मत से मतदान कराया जा सकता है। लेकिन अगर विपक्ष राजी नहीं हुआ तो फिर पेपर स्लिप के जरिए चुनाव होंगे। क्योंकि नई लोकसभा में अभी सीटें आवंटित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम भी चालू नहीं है, इसलिए सदस्यों को पर्चियां दी जाएंगी और उसी के जरिए मतदान होगा।
अगर पहला प्रस्ताव पारित हो जाता है यानी 50 फीसदी से ज्यादा बहुमत मिल जाता है तो दूसरे प्रस्ताव को पेश करने की नौबत नहीं आएगी। यानी एनडीए समर्थित ओम बिरला का प्रस्ताव पास हो जाता है तो वे स्पीकर घोषित कर दिए जाएंगे और के सुरेश के प्रस्ताव को सदन के पटल पर पेश करने की जरूरत नहीं होगी।
स्पीकर को हटाने का प्रोसेस
अनुच्छेद 94 में कहा गया है कि स्पीकर को लोकसभा के सभी मौजूदा सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है। हालांकि, स्पीकर या डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव सिर्फ तभी प्रस्तावित किया जा सकता है जब प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के इरादे के बारे में कम से कम 14 दिन का नोटिस दिया गया हो।