तिरुवनंतपुरम: केरल ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने भारत में पहली बार एक्सपायर्ड और बिना इस्तेमाल की गई दवाओं को इकट्ठा करने और वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने की योजना शुरू करने का फैसला किया है।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मंगलवार को घोषणा की कि इस पहल को nPROUD (New Programme for Removal of Unused Drugs) नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोकना है, जो दवाओं के अनुचित निपटान से उत्पन्न होते हैं।
इस योजना के तहत, हर घर में दवाओं को जमा करने के लिए विशेष केंद्र बनाए जाएंगे। यह पहली बार है जब सरकारी स्तर पर इस तरह की योजना तैयार की गई है, वीना जॉर्ज ने अपने बयान में कहा।
पहले कहां लागू होगी योजना?
यह योजना शुरुआत में कोझिकोड नगर निगम और उलीयेरी पंचायत में लागू की जाएगी, जिसके बाद इसे पूरे राज्य में विस्तार दिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि एक्सपायर्ड दवाओं को लापरवाही से मिट्टी या जल स्रोतों में फेंकना खतरनाक हो सकता है। इससे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR), पर्यावरण प्रदूषण और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
योजना के क्रियान्वयन में कौन-कौन जुड़ा होगा?
इस परियोजना को ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट लागू करेगा क्योंकि अभी तक भारत में पुरानी और बेकार दवाओं के संग्रह और निपटान के लिए कोई सुव्यवस्थित प्रणाली मौजूद नहीं थी।
यह योजना बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम और नियमों का पूरी तरह से पालन करेगी। स्थानीय स्व-सरकारी संस्थाएं और हरितकर्म सेना (Harithakarma Sena) इस पहल को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
दवाओं का निपटान कैसे किया जाएगा?
इकट्ठा की गई दवाओं को केरल एनवायरो इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (KEIL) के वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाएगा। इस प्लांट को राज्य और केंद्र सरकार के पर्यावरण विभागों द्वारा मान्यता प्राप्त है।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज 22 फरवरी को कोझिकोड में इस परियोजना का आधिकारिक उद्घाटन करेंगी।