Delhi Red Fort blast : श्रीनगर। फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय के पास अपने किराये के मकान में कथित तौर पर विस्फोटक रखने में मदद करने वाले हरियाणा के एक मौलवी को हिरासत में लेकर बुधवार सुबह श्रीनगर लाया गया। जम्मू कश्मीर पुलिस के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मौलवी इश्तियाक मेवात का है और अल फलाह विश्वविद्यालय के परिसर में धार्मिक प्रवचन देता था। यह विश्वविद्यालय ‘सफेद पोश आतंकी मॉड्यूल’ को लेकर खबरों में है जिसके तार सोमवार को लाल किले के पास हुए विस्फोट से जुड़े हैं। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने उसके घर से ही 2,500 किलोग्राम से अधिक अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम क्लोरेट और सल्फर बरामद किया था।
पुलिस ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी सदस्यों से जुड़े स्थानों पर छापे मारे
मौलवी इश्तियाक के आवास पर विस्फोटक सामग्री डॉ. मुजम्मिल गनई उर्फ मुसैब और डॉ. उमर नबी ने रखी थी। डॉ. नबी ही उस कार को चला रहा था, जिसमें सोमवार शाम लाल किले के बाहर विस्फोट हो गया था। इसमें 12 लोग मारे गए हैं। इश्तियाक को जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर मारे गए कई छापों के बाद हिरासत में लिया गया। उसे गिरफ्तार किए जाने की संभावना है। वह इस मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाने वाला नौवां व्यक्ति होगा। जम्मू कश्मीर पुलिस ने 10 नवंबर को हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पुलिस के साथ मिलकर प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और अंसार गजवत-उल-हिंद के ‘सफेदपोश’ आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए अंतरराज्यीय स्तर पर छापेमारी की थी।

यहां पुलिस का मानना है कि उन्होंने दोनों आतंकवादी समूहों के विनाशकारी मंसूबों को सफलतापूर्वक विफल कर दिया है। अंसार गजवत-उल-हिंद भारत में आईएसआईएस की शाखा है। नई दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में अल फलाह विश्वविद्यालय के शिक्षक गनई को जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाने के एक मामले में वांछित व्यक्ति घोषित किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। यहीं से जांच शुरू हुई और श्रीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इससे अंतरराज्यीय आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि जांच एक ऐसे आतंकवादी तंत्र की ओर इशारा करती है जिसमें कट्टरपंथी पेशेवर और छात्र शामिल हैं जो पाकिस्तान और अन्य देशों से सक्रिय विदेशी आकाओं के संपर्क में हैं। ये पेशेवर, सामाजिक और धर्मार्थ कार्यों की आड़ में, कथित तौर पर कट्टरपंथ में शामिल करने के लिए लोगों की पहचान करने और बाद में आतंकवादी संगठनों में उनकी भर्ती करने के अलावा, धन जुटाने, रसद की व्यवस्था करने, हथियार और गोला-बारूद तथा आईईडी तैयार करने के लिए सामग्री खरीदने में शामिल थे।गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में से सात कश्मीर के हैं। इनमें श्रीनगर के नौगाम से आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद, शोपियां से मौलवी इरफान अहमद, गांदेरबल के वाकुरा इलाके से जमीर अहमद अहंगर उर्फ मुतलाशा, पुलवामा के कोइल इलाके से डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई उर्फ मुसैब और कुलगाम के वानपोरा इलाके से डॉ. अदील शामिल हैं। डॉ. शाहीन सईद लखनऊ से है।




