उत्तरप्रदेश के जालौन में एक सिपाही की पत्नी और नवजात की मौत हो गई.जिले के रामपुर थाने में तैनात सिपाही ने SHO पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सिपाही विकास का कहना है कि उसके घर से फोन आया था कि उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई है और वह फौरन घर आ जाए. पीड़ित सिपाही विकास का कहना है कि उसने थानाध्यक्ष को छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र दिया. मगर उन्होंने छुट्टी देने से साफ मना कर दिया. छुट्टी नहीं मिलने पर सिपाही ने परिवार को फोन करके पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए कहा.परिजन पत्नी को CHC लेकर पहुंचे.जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया,लेकिन दोनों की हालत ठीक नहीं होने के चलते उन्हें वहां से आगरा रेफर कर दिया गया.लेकिन अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दोनों की मौत हो गई.बता दें कि विकास की पत्नी आरपीएफ में बतौर सिपाही पद पर तैनात थीं.
पत्नी और बच्चे की चली गई जान
बताया गया कि सिपाही विकास निर्मल दिवाकर ने रामपुरा थाने के प्रभारी निरीक्षक अर्जुन सिंह को छुट्टी के लिए कई बार प्रार्थना पत्र दिया था, मगर थानाध्यक्ष रामपुरा ने उसकी छुट्टी को स्वीकृत नहीं किया था. इस कारण वह समय से घर नहीं जा सका और न ही पत्नी को अच्छे अस्पताल में भर्ती कर सका. इस कारण उसकी पत्नी और बच्चे की मौत हो गई.
विभागीय कार्रवाई के आदेश
इस घटना का संज्ञान लेते हुए जालौन के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर ईरज राजा ने बताया कि इसमें गलती रामपुरा थाने के थानाध्यक्ष की है. जिन्होंने ऐसी हालत में छुट्टी नहीं दी. उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच को माधौगढ़ शैलेंद्र कुमार बाजपेई से कराई हैं. इसमें रामपुरा थाने के थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह दोषी पाए गए हैं. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा गया है.