India-Russia relations : मॉस्को। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने और वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए बृहस्पतिवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, आज की बैठक ने हमें न केवल अपने राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करने का, बल्कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का भी मौका दिया है। इसलिए, मैं राजनीति, व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचारों का आदान-प्रदान तथा बेशक लोगों के बीच संपर्क की आशा करता हूं।
उन्होंने कहा, हमारे नेता पिछले साल जुलाई में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिले थे, और उसके बाद कजान में मिले थे। अब हम साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा हमें हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया है, रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्ष बैठक के दौरान द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के वर्तमान और भविष्य के अवसरों पर विशेष ध्यान देंगे।
भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव
मंत्रालय ने कहा, बैठक का एजेंडा परिवहन, साजोसामान, बैंकिंग और वित्तीय संपर्कों और श्रृंखलाओं को सुगम बनाने पर केंद्रित होगा जो बैरी देशों के किसी भी प्रतिकूल दबाव से मुक्त होंगे, साथ ही परस्पर समझौतों में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को भी बढ़ाएंगे।इसने कहा कि परिवहन, ऊर्जा, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी एजेंडे में होगा।जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ (शुल्क) दोगुना कर कुल 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो गया है। इस टैरिफ में रूसी कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। नयी दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की मॉस्को यात्रा पर कहा, इस यात्रा का उद्देश्य दीर्घकालिक और वक्त की कसौटी पर कसी गई भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है। जयशंकर और लावरोव के यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए ट्रंप प्रशासन की नवीनतम पहल पर भी चर्चा करने की उम्मीद है।
चीन है रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार
डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, हम रूस के सबसे बड़े तेल खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम सबसे बड़े एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) खरीदार भी नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है। 2022 के बाद रूस के साथ सबसे ज्यादा व्यापार वृद्धि वाला देश भी हम नहीं हैं; मुझे लगता है कि कुछ देश दक्षिण में हैं। हम वह देश हैं, जहां अमेरिकी पिछले कुछ वर्षों से कह रहे हैं कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। वैसे, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और उसकी मात्रा बढ़ी है। इसलिए, ईमानदारी से कहूं तो हमें वह तर्क समझ नहीं आ रहा है, जिसका आप (मीडिया) ने उल्लेख किया था।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी हुई चर्चा
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, क्षेत्रीय मुद्दों पर हमने यूक्रेन, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और अफगानिस्तान में विकास पर चर्चा की। भारत का दृष्टिकोण लगातार इस बात पर ज़ोर देता है कि मतभेदों को सुलझाने के लिए संवाद और कूटनीति आवश्यक हैं।
भारत कृषि, फार्मा और वस्त्र का रूस से बढ़ाएगा व्यापार
जयशंकर ने कहा, “हमने संतुलित और टिकाऊ तरीके से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की, जिसमें भारत के रूस को निर्यात को बढ़ाना भी शामिल है। इसके लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामकीय अड़चनों को तेजी से दूर करना जरूरी है। कृषि, फार्मा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में भारत के निर्यात को बढ़ाना इस व्यापार असंतुलन को सुधारने में निश्चित रूप से मदद करेगा।