श्रीहरिकोटा, भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी- अंतरिक्ष डॉकिंग का प्रदर्शन करने वाले इसरो के 2 अंतरिक्ष यान सोमवार की देर रात सफलतापूर्वक एक दूसरे से अलग हो गए और उन्हें वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया गया. अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी जानकारी दी. मिशन के निदेशक एम. जयकुमार ने कहा, PSLV-C60 मिशन को पूरा कर लिया गया है.
ISRO प्रमुख ने प्रक्षेपण को लेकर दी ये जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट ने 15 मिनट से अधिक की उड़ान के बाद उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित कर दिया है. उन्होंने कहा, ”इसलिए, जहां तक हमारा सवाल है, रॉकेट ने अंतरिक्ष यान को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है और ‘स्पाडेक्स’ उपग्रह एक के पीछे एक चले गए हैं, और समय के साथ, ये आगे की दूरी तय करेंगे और उनके करीब 20 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद डॉकिंग की प्रक्रिया शुरू होगी.”
डॉकिंग प्रक्रिया शुरू होने में लगेगा एक सप्ताह का समय
सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में अपने संबोधन में कहा, ”हमें उम्मीद है कि डॉकिंग प्रक्रिया में एक और सप्ताह का समय लग सकता है और यह बहुत कम समय में करीब 7 जनवरी को होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मिशन में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा POEM-4 है, जिसमें स्टार्टअप, उद्योग, शिक्षा जगत और इसरो केंद्रों से 24 पेलोड हैं.
सोमनाथ ने कहा कि इन्हें मंगलवार सुबह प्रक्षेपित किया जाना है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रात भर काम करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीओईएम-4 ऑपरेशन करने के लिए वांछित कक्षा स्तर तक पहुंच जाए.
PSLV-C60 मिशन रहा सफल
सोमनाथ ने बाद में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पत्रकारों से कहा कि PSLV-C60 मिशन ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो स्पाडेक्स उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वांछित वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया है जबकि पहले 470 किलोमीटर की दूरी तय की गई थी. इस मिशन में पीओईएम-4 भी है, जिसमें अनुसंधान और विकास के लिए 24 पेलोड हैं.
अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने कहा, ‘वे पेलोड हैं, उपग्रह नहीं. उन्हें अगले 2 महीनों में प्रयोग करने के लिए (पीएसएलवी रॉकेट के) चौथे चरण से जोड़ा जाएगा. पीएसएलवी रॉकेट के ऊपरी चरण को 350 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाया जाएगा और यह प्रक्रिया अभी जारी है. उसके बाद हम कई और गतिविधियां करेंगे.”