नई दिल्ली । इजराइल से छात्रों सहित करीब 200 भारतीयों का पहला जत्था एक चार्टेड विमान से शुक्रवार तड़के दिल्ली पहुंच गया. हमास आतंकवादियों द्वारा पिछले शनिवार को इजराइल पर हमलों के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया था, जिसके परिणामस्वरूप स्वदेश वापसी के इच्छुक लोगों को वापस लाने के लिए भारत ने ऑपरेशन अजय शुरू किया. केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दिल्ली हवाई अड्डे पर यात्रियों का स्वागत किया. उन्होंने हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया और उनमें से कुछ लोगों से हाथ मिलाते हुए कहा ‘वेलकम होम’।
पीएम मोदी का जताया आभार
इजराइल में 2019 से रह रहे शोधकर्ता शाश्वत सिंह अपनी पत्नी के साथ दिल्ली पहुंचे. उन्होंने बताया कि ‘‘हम हवाई हमले की सूचना देने वाले सायरन की आवाज सुनकर उठे।. हम मध्य इजराइल में रहते हैं. मुझे नहीं पता कि ये संघर्ष क्या रूप लेगा…मैं वहां कृषि क्षेत्र में अनुसंधान कर रहा हूं। ” सिंह ने कहा, ”भारतीयों को सुरक्षित निकालना एक सराहनीय कदम है. हमें उम्मीद है कि शांति बहाल होगी और हम काम पर वापस लौटेंगे. भारत सरकार ईमेल के माध्यम से हमारे संपर्क में थी. हम प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी और इजराइल में भारतीय दूतावास के आभारी हैं।”
करीब 18 हजार भारतीय इजरायल में
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को कहा था कि इजराइल में फिलहाल करीब 18 हजार भारतीय जबकि वेस्ट बैंक में करीब एक दर्जन और गाजा में तीन से चार भारतीय रह रहे हैं. पश्चिम बंगाल के निवासी और इजराइल के बीरशेबा में ‘बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ द नेगेव’ में पीएचडी के प्रथम वर्ष के छात्र सुपर्नो घोष विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे भारतीय समूह का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा, ”हम अस्थायी शिविरों में थे. इजराइली सरकार ने हर जगह शिविर बनाए हुए थे, इसलिए हम सुरक्षित थे।” छात्र दीपक ने बताया, ‘‘हमने शनिवार को सायरन की आवाजें सुनीं. जब हमले होते थे हम आवाज सुन सकते थे। इजराइली अधिकारी हमें एहतियात बरतने के दिशा-निर्देश दे रहे थे. लगातार हमले हो रहे थे। मैं घर वापस आकर बहुत खुश हूं लेकिन वहां (इजराइल) फंसे हमारे दोस्तों के लिए दुखी भी हूं।’’ छात्र ने संवाददाताओं को बताया कि सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया बहुत सहज थी. इजराइल से आए भारतीयों के पहले जत्थे में शामिल पश्चिम बंगाल की एक अन्य निवासी दुती बनर्जी ने कहा कि वहां स्थिति काफी खराब और अस्थिर है. उन्होंने कहा, ”सामान्य जीवन मानो ठहर सा गया है. लोग डरे हुए हैं और गुस्से में हैं। यहां तक कि जब मैं आ रही थी तो मैंने सायरन की आवाजें सुनीं और मुझे शिविर में भी जाना पड़ा।”