नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा है कि G 20 सम्मेलन की मेजबानी करना भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था और भारत की अध्यक्षता के दौरान तैयार की गई रूपरेखा दुनिया को अगले दशक में चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी। भारत की अध्यक्षता में G 20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 10 सितंबर को संपन्न हुआ।
केंद्रीय इस्पात एवं नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, G 20 की अध्यक्षता ऐतिहासिक रही है। जब मैं ऐतिहासिक शब्द का उपयोग करता हूं तो इसके कई कारण हैं और पूरी दुनिया ने अनुभव किया है। उन्होंने कहा न केवल दिमाग बल्कि दिलों को भी प्रभावित करने की भारत की शक्ति और क्षमता ने भारत आए प्रत्येक प्रतिनिधि के साथ भावनात्मक जुड़ाव स्थापित किया है। पिछले साल भारत ने व्यापक आर्थिक मुद्दों, व्यापार, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार संबंधी चुनौतियों को लेकर सदस्य देशों के बीच चर्चा और पहल को आगे बढ़ाने के लिए पहली बार G 20 की अध्यक्षता संभाली थी।
सिंधिया ने कहा कि यह एक अत्यंत व्यस्तता वाली अध्यक्षता थी जिसके तहत उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक कार्यक्रम आयोजित किए गए और दुनिया को एक समग्र भारत का अनुभव हुआ। G 20 घोषणापत्र के परिणामों पर मंत्री ने कहा कि विभिन्न विषयों पर आम सहमति बनाने के लिए अन्य सदस्य देशों के शेरपा के साथ नियमित बातचीत होती रही। सिंधिया ने कहा मुझे अपनी टीम को बधाई देनी चाहिए जिन्होंने अन्य सभी शेरपा के साथ दिन-रात काम किया। यदि आप उस पाठ के प्रत्येक पैराग्राफ को देखें तो यह बताता है कि दुनिया को अगले दशक में कहां जाना है और अगले दशक में चुनौतियों का समाधान कैसे करना है।
भारत की G 20 अध्यक्षता की अन्य उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और इंडोनेशिया से भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप तक एक नए आर्थिक गलियारे के निर्माण पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय मोटे अनाजों ने दुनिया भर में पहचान हासिल की है। G 20 नेताओं ने गत शनिवार को सामूहिक मार्ग के माध्यम से ऊर्जा स्रोत परिवर्तन में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की, जो समूह को जलवायु उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। ऊर्जा स्रोत परिवर्तन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इस्पात क्षेत्र की योजनाओं पर टिप्पणी करते हुए, सिंधिया ने कहा हम अपने कार्बनडाय ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, हरित इस्पात की ओर बढ़ रहे हैं…।
उन्होंने कहा इस्पात उत्पादक और माध्यमिक इस्पात इकाइयां कई प्रक्रियाओं के माध्यम से कार्बनडाय ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने पर विचार कर रही हैं। इसके लिए सुनिश्चित किया जाएगा कि हम संसाधन दक्षता और सामग्री दक्षता…कच्चे माल की दक्षता पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के अलावा ‘कार्बन कैप्चर’ और उसके भंडारण जैसी नयी प्रथाएं उद्योग को उत्सर्जन कम करने की सुविधा देंगी। उन्होंने कहा कि इस्पात उत्पादन के लिए स्क्रैप के उपयोग पर भी जोर दिया जा रहा है।