Indian astronaut Shubhanshu Shukla: ‘एक्सिओम स्पेस’ 29 मई को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए अपना चौथा मिशन ‘AX-4’ रवाना करेगा, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी शामिल होंगे.‘एक्सिओम स्पेस’ ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की.
शुभांशु शुक्ला के अलावा AX-4 में होंगे ये क्रू मेंबर
राकेश शर्मा के बाद शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय होंगे. राकेश शर्मा ने लगभग 4 दशक पहले तत्कालीन सोविय संघ के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी. AX-4 के चालक दल में शुक्ला के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे. यह 40 साल से अधिक समय में सरकार प्रायोजित दूसरा मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है और इसके तहत भारत, पोलैंड और हंगरी का कोई अंतरिक्ष यात्री पहली बार ISS में कदम रखेगा. एएक्स-4 के चालक दल में शामिल यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के स्लावोज उज्नान्स्की 1978 के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पोलैंड के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे. वहीं, तिबोर कापु 1980 के दशक के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले हंगरी के दूसरे अंतरिक्ष होंगे. अमेरिका की पेगी व्हिटसन ‘एएक्स-4’ के रूप में अपने दूसरे वाणिज्यिक मानव अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व करेंगी. इससे उनके नाम दर्ज अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री का रिकॉर्ड और मजबूत हो जाएगा.
‘एएक्स-4’ का चालक दल स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिये अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा. यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन तक विभिन्न प्रयोग करेगा. शुक्ला अंतरिक्ष में 7 प्रयोग करेंगे, जिनका उद्देश्य भारत में माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है. भारत को 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2047 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की उम्मीद है.
ISRO ने प्रयोग के लिए तैयार की योजना
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ISS पर प्रयोग करने के लिए भारत-केंद्रित भोजन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना तैयार की है, जिसमें माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में हरा चना या मेथी और मूंग को अंकुरित करना शामिल है.
‘एक्सिओम’ द्वारा आयोजित वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘माइक्रोग्रैविटी प्लेटफॉर्म और रिसर्च’ के ग्रुप हेड तुषार फडनीस ने कहा, ‘विचार केवल इसे वहीं अंकुरित करने तक सीमित नहीं है. विचार यह भी है कि वापस आने पर इनमें यहां कैसा बदलाव देखने को मिलता है. वे संबंधित पीआई (प्रमुख शोधकर्ताओं) की प्रयोगशालाओं में बहुत सारे विश्लेषण से गुजरेंगे.”
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