Friday, December 20, 2024
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चंद्रयान-3 के चाँद पर लैंड होते ही भारत के हाथ लग जाएगा खजाना, जानिए कैसे ?

नई दिल्ली। आज चंद्रयान-3 कुछ घंटो बाद चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है. प्रत्येक भारतवासी प्रार्थना कर रहा है कि यह सॉफ्ट लैंडिंग पूरी तरह सफल हो. चंद्रयान-3 की लैंडिंग भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी. साथ ही मिशन मून के सफल होने पर भारत के हाथ खजाना भी लग जाएगा. दरअसल भारत की स्पेस एजेंसी इसरो काफी लिमिटेड बजट के साथ काम करती है. अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत मिशन मून पर सफलता हासिल करने वाला ऐसा चौथा देश बन जाएगा. भारत चाँद के दक्षिण पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. वैज्ञानिक प्रयोगों के अलावा चंद्रयान-3 भारत के लिए इकॉनोमी में अरबों डॉलर का खजाना भी लेकर लेकर आएगा.

रुस के लूना-25 क्रैश होने के बाद भारत बनाने जा रहा इतिहास

पूरी दुनिया में रूस, अमेरिका, जापान और साउथ कोरया जैसे देशों में चाँद पर पहुंचने की होड़ मची हुई है.सभी देश वहां पर बेस बनाने के लिए लगे हुए हैं. चाँद के साउथ पोल इन सभी देशों की नजर हैं. लेकिन इस रेस में रूस पीछे छूट गया है.  रूस का लूना-25 पिछलें दिनों क्रैश हो गया. रुस के लूना-25 मिशन फेल होने के बाद अब भारत इतिहास रचने जा रहा है. आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी.

चंद्रयान-3 की रिसर्च से कैसे होगा फायदा ?

रुस के लूना-25 और भारत के  चंद्रयान-3  से पहले भी कई यान लॉन्च हुए थे. इन सभी यानों ने चांद की भूमध्य रेखा पर उतरने का प्रयास किया था. जितना आसान चाँद की भूमध्य रेखा पर उतरना है उतना ही मुश्किल चाँद के साउथ पोल पर उतरना. चंद्रमा के साउथ पोल पर ऐसे-ऐसे गड्ढे बने हैं जिनमें 2 अरब वर्षों से सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंची है. इन जगहों का  तापमान -230 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है.-230 डिग्री सेल्सियस तापमान होने के कारण यहां की मिट्टी में जमा चीजें लाखों वर्षों से वैसी ही हैं. यहां की मिट्टी की जांच करने से कई नई चीजें सामने आएंगी. वैज्ञानिकों का मानना हैं कि यहां पानी बर्फ के रूप में मौजूद हो सकता है. चंद्रयान-3 की रिसर्च से सौर परिवार के जन्म, चंद्रमा और पृथ्वी के जन्म के रहस्यों जैसी कई बातों का पता चल सकता है. भारत के इसरो ने  25 सितंबर 2009 को चांद पर पानी होने की घोषणा की थी. अगर चांद पर पानी है तो वहां बेस भी बनाया जा सकता है. वहां, इंसानों को बसाने की प्लानिंग भी हो सकती है. ऐसे में चंद्रयान-3 द्वारा की गई खोज काफी अहम होगी.

चंद्रयान-3 के रिसर्च डेटा से ऐसे बनेंगे अरबों डॉलर

इसरो ने जिस हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया है, उसका नाम LVM3-M4 है. अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन कुछ समय पहले इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल के लिए अपनी रुची दिखाई थी. कंपनी इसरो के रॉकेट का इस्तेमाल कमर्शियल और स्पेस टूरिज्म के लिए करना चाहती है. एलन मस्क की स्पेस एक्स जैसी कई कंपनियां चांद तक ट्रांसपोर्ट सर्विस देना चाहती हैं. वे इसे एक बड़ा बिजनस मान रही हैं. चंद्रयान-3 द्वारा खोजी गई जानकारी हमारे मून इकॉनोमी के लिए बड़े दरवाजे खोलेगी. दुनिया का प्रत्येक देश को चांद की जानकारी चाहिए लेकिन चांद पर रिसर्च करना आम बात नहीं हैं. इसलिए इसरो द्वारा भेजे गए चंद्रयान-3 से जो डेटा मिलेगा उस से हमारी मून इकॉनोमी में साल 2040 तक 4200 करोड़ डॉलर के होने का अनुमान है. प्राइस वॉटरहाउस कूपर के द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार चांद तक ट्रांसपोर्टेशन का बिजनस 2040 तक 42 अरब डॉलर तक जा सकता है. इसके अनुसार मून इकॉनमी के 2026 से 2030 तक 19 अरब डॉलर, 2031 से 2035 तक 32 अरब डॉलर और 2036 से 2040 तक 42 अरब डॉलर तक जाने की संभावना हैं. इसके साथ ही भारत के पास जो डेटा होगा, दुनिया के अन्य देश उस डेटा को रिसर्च के लिए भारत से करोड़ों डॉलर में खरीद सकते हैं. इससे वे बिना चांद पर जाए अपनी रिसर्च कर सकते हैं. चांद पर पानी मिलता है, तो उस पानी से ऑक्सीजन बनाई जा सकती है. एक अनुमान के अनुसार साल 2030 तक चांद पर 40 और साल 2040 तक 1000 एस्ट्रोनॉट रह रहे होंगे.

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