नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को संसद में बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच, दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के मध्य सीधे संपर्क के परिणामस्वरूप 10 मई को संघर्ष विराम के लिए सहमति बनी थी तथा इस संपर्क की पहल पाकिस्तान की ओर से की गई थी। विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या यह सच है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पाकिस्तान के खिलाफ तीन दिन की (सैन्य) कार्रवाई के बाद अमेरिकी हस्तक्षेप के चलते हुआ था, जब संघर्ष में भारतीय सशस्त्र बलों का पलड़ा भारी था?
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया, हमारे सभी वार्ताकारों को एक ही संदेश दिया गया कि भारत का दृष्टिकोण — लक्ष्य केंद्रित, संतुलित और तनाव न बढ़ाने वाला है। मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान, 10 मई को ‘‘दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधे संपर्क के परिणामस्वरूप गोलाबारी और सैन्य गतिविधि रोकने पर सहमत हुए। इस संपर्क की पहल पाकिस्तानी पक्ष द्वारा की गई थी।
उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान और पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के अपने मुख्य लक्ष्य 8 मई को ही हासिल कर लिए थे। मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमला होने से लेकर 10 मई तक, अमेरिका सहित, विभिन्न स्तरों पर विभिन्न देशों के साथ कई कूटनीतिक बातचीत हुई। उन्होंने बताया, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस को 9 मई को इस बात से अवगत करा दिया गया था कि अगर पाकिस्तान कोई बड़ा हमला करता है तो भारत ‘माकूल जवाब’ देगा। हमारी व्यापार वार्ता का मुद्दा (भारत-पाकिस्तान) संघर्ष से संबंधित बातचीत के संदर्भ में नहीं उठा था।
उन्होंने जवाब में बताया, तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के किसी भी प्रस्ताव के संबंध में, हमारा दीर्घकालिक रुख यही है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी लंबित मुद्दे पर केवल द्विपक्षीय चर्चा की जाएगी। यह बात सभी देशों को स्पष्ट की जा चुकी है जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति को इससे अवगत कराना भी शामिल है।