रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने उन्हें यहां राजभवन में पद की शपथ ग्रहण कराई। चंपई सोरेन के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता सत्यानंद भोक्ता ने राज्य के मंत्रियों के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित किया गया और इस अवसर पर झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। आदिवासी नेता चंपई सोरेन (67) राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं। वह झारखंड के कोल्हान क्षेत्र से छठे मुख्यमंत्री हैं। कोल्हान क्षेत्र में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले शामिल हैं।
चंपई सोरेन को राज्यपाल ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। इससे पहले चंपई सोरेन ने राज्यपाल से सरकार बनाने के उनके दावे को जल्द से जल्द स्वीकार करने का आग्रह किया था, क्योंकि राज्य में ‘भ्रम’ की स्थिति बनी हुई थी और प्रदेश में कोई मुख्यमंत्री नहीं था। यह स्थिति बुधवार को हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद से राज्य में मुख्यमंत्री न होने की वजह से थी और इसके कारण राजनीतिक संकट गहरा गया था।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के शीघ्र बाद हेमंत सोरेन (48) को प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया था। एजेंसी ने दिन में उनसे सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। चंपई सोरेन ने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा, ‘‘हम हेमंत सोरेन द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। मैं झारखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं।’’
जल, जंगल, जमीन’ की लड़ाई जारी रखेंगे
उन्होंने कहा, ‘‘हम आदिवासियों और अन्य लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए ‘जल, जंगल, जमीन’ की लड़ाई जारी रखेंगे।’’ मुख्यमंत्री शुक्रवार की दोपहर कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे। चंपई सोरेन ने शपथ लेने के तुरंत बाद आदिवासी नायकों बिरसा मुंडा और सिद्धो कान्हू को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान दे दी थी। सरायकेला-खरसावां जिले में चंपई सोरेन के पैतृक गांव जिलिंगगोरा में लोगों ने जश्न मनाया तथा उनके रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों को ढोल और नगाड़ा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नाचते देखा गया।