नयी दिल्ली। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित गणेश मूर्तियों की बिक्री एवं निर्माण पर रोक से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है. इस याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय की तरफ से पहले एक आदेश आ चुका है. वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान द्वारा मंगलवार से शुरू हो रहे गणेश चतुर्थी के उत्सव के मद्देनजर मामले में तत्काल सुनवाई की दलील दिए जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सूचीबद्ध मामलों के आखिर में मामले में सुनवाई पर सहमत हुई.
मामले मे तत्काल सुनवाई जरुरी
दीवान ने कहा, ‘‘इस मामले में तत्काल सुनवाई जरूरी है. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने रविवार शाम को आदेश पारित किया था और प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित गणेश की मूर्तियों की बिक्री की अनुमति से संबंधित एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी थी।’’ पीठ ने इससे पहले दीवान को शीर्ष अदालत को एक ई-मेल भेजकर अत्यावश्यक मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा. हालांकि, अधिवक्ता द्वारा आगामी त्योहार का उल्लेख करने के बाद वह मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गई. उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ द्वारा रविवार को एक विशेष सुनवाई के दौरान जारी आदेश के कारण प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों का न तो निर्माण और न ही बिक्री की जा सकती है और न ही उनका विसर्जन किया जा सकता है.
मूर्ति का विसर्जन नहीं तो क्या ?
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने तब पूछा, ‘‘अगर लोग मूर्तियों का विसर्जन नहीं कर सकते तो वे इसका क्या करेंगे? क्या एकल न्यायाधीश ने विसर्जन के पहलू पर विचार किया है?’’ दीवान ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने सभी पहलुओं पर विचार किया और जिला प्रशासन से मूर्तियों के विसर्जन के लिए अस्थायी टैंकों की व्यवस्था करने को कहा. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों के इस्तेमाल पर अदालत ने पिछले कुछ वर्षों में कई आदेश पारित किए हैं. पीठ ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिशानिर्देश तैयार किए हैं, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है.