देशभर में new year’s eve celebration की तैयारियों के बीच ऑनलाइन फूड डिलीवरी, ग्रॉसरी और क्विक कॉमर्स सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका है. 31 दिसंबर को गिग वर्कर्स द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी हड़ताल से new year 2026 का जश्न कई शहरों में फीका पड़ सकता है. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हड़ताल साल के सबसे व्यस्त कारोबारी दिन पर हो रही है, जब ऑर्डर वॉल्यूम सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना ज्यादा रहता है.
New Year’s Eve Celebration पर क्यों मंडरा रहा है खतरा
न्यू ईयर ईव को घर पर पार्टी, ऑफिस गेट टुगेदर और दोस्तों के साथ सेलिब्रेशन के लिए लोग बड़े पैमाने पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर रहते हैं. फूड, केक, ड्रिंक्स, स्नैक्स और आखिरी समय की ग्रॉसरी खरीद के लिए ऐप बेस्ड डिलीवरी सबसे अहम कड़ी होती है. ऐसे में डिलीवरी पार्टनर्स की हड़ताल से देर, कैंसिलेशन और सीमित स्लॉट जैसी स्थिति बन सकती है.
Gig Workers Nationwide Strike में कौन-कौन से प्लेटफॉर्म शामिल
हड़ताल में Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto, Amazon और Flipkart से जुड़े डिलीवरी पार्टनर्स के शामिल होने की बात कही जा रही है. यूनियनों का दावा है कि कई शहरों में बड़ी संख्या में गिग वर्कर्स ऐप से लॉग ऑफ रहने या केवल सीमित ऑर्डर लेने का फैसला कर सकते हैं.
New Year 2026 से पहले क्यों बढ़ा गिग वर्कर्स का असंतोष
डिलीवरी यूनियनों के अनुसार, बीते कुछ महीनों में इंसेंटिव स्ट्रक्चर बदले गए हैं, जिससे कमाई घटी है जबकि काम का दबाव बढ़ा है. गिग वर्कर्स का आरोप है कि तेज डिलीवरी मॉडल के कारण सड़क सुरक्षा से समझौता करना पड़ता है. इसके साथ ही मनमाने तरीके से आईडी ब्लॉक होना, पारदर्शिता की कमी और सामाजिक सुरक्षा न होना उनकी सबसे बड़ी चिंताओं में शामिल है. इसी वजह से gig workers ने न्यू ईयर ईव जैसे हाई इम्पैक्ट दिन को विरोध के लिए चुना है.
25 दिसंबर की स्ट्राइक से क्या मिला संकेत
25 दिसंबर को हुई फ्लैश स्ट्राइक के दौरान कई शहरों में 50 से 60 प्रतिशत तक डिलीवरी सेवाएं प्रभावित होने की खबरें आई थीं. यूनियनों का कहना है कि उस दिन मिले रिस्पॉन्स ने दिखा दिया कि गिग वर्कर्स की गैरमौजूदगी में प्लेटफॉर्म्स की संचालन क्षमता कितनी प्रभावित हो सकती है. इसी अनुभव के आधार पर 31 दिसंबर की हड़ताल को और प्रभावी माना जा रहा है.

सोशल मीडिया और ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है
न्यू ईयर ईव से ठीक पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डिलीवरी हड़ताल को लेकर चर्चाएं तेज हैं. ट्विटर पर यूजर्स संभावित देरी को लेकर पोस्ट कर रहे हैं, वहीं कई डिलीवरी पार्टनर्स वीडियो और पोस्ट के जरिए अपनी मांगों को सामने रख रहे हैं. कुछ शहरों में रेस्टोरेंट्स ने भी ग्राहकों से एडवांस ऑर्डर या सेल्फ पिकअप का विकल्प चुनने की अपील की है. यह संकेत देता है कि बाजार पहले से ही संभावित व्यवधान को लेकर सतर्क है.

बड़े शहरों के साथ टियर टू मार्केट्स भी होंगे प्रभावित
हड़ताल का असर पुणे, बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद और कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों के साथ-साथ कई टियर टू शहरों में भी दिख सकता है. खास तौर पर क्विक कॉमर्स पर निर्भर इलाकों में ग्रॉसरी और जरूरी सामान की डिलीवरी में देरी की आशंका जताई जा रही है.
Gig Workers की प्रमुख मांगें क्या हैं
यूनियनों ने सरकार से मांग की है कि प्लेटफॉर्म कंपनियों को श्रम कानूनों के दायरे में लाया जाए. उनकी प्रमुख मांगों में सुरक्षित डिलीवरी मॉडल, पारदर्शी और स्थिर वेतन प्रणाली, हेल्थ कवर, दुर्घटना बीमा, पेंशन और सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार शामिल है. इसके अलावा मनमाने आईडी ब्लॉक पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.
New Year 2026 से पहले सरकार से हस्तक्षेप की उम्मीद
डिलीवरी यूनियनों ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है और सरकार, प्लेटफॉर्म कंपनियों तथा गिग वर्कर्स के बीच त्रिपक्षीय बातचीत की मांग रखी है. उनका कहना है कि अगर न्यू ईयर के बाद भी समाधान नहीं निकला, तो आने वाले समय में विरोध और व्यापक हो सकता है.
न्यू ईयर ईव पर जश्न की तैयारियों के बीच यह हड़ताल गिग इकोनॉमी से जुड़े उस तनाव को उजागर करती है, जहां सुविधा, तेजी और श्रम अधिकारों के बीच संतुलन बनाना अब एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.




