Satyapal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दोपहर 1.10 बजे अंतिम सांस ली. वे बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय में गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे. उनके निधन की जानकारी उनके X हैंडल के जरिए दी गई.
पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहें।#satyapalmalik
— Satyapal Malik (@SatyapalMalik6) August 5, 2025
कैसा था सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर ?
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव में हुआ था. उनका जन्म जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई मेरठ विश्वविद्यालय से पूरी की, जहां से उन्होंने विज्ञान में स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की. वह 1968-69 में मेरठ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद वे 1974 से 1977 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। बाद में 1980 से 1989 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. 1989 से 1991 तक वे जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से 9वीं लोकसभा के सांसद भी रहे।
उनके कार्यकाल के दौरान निरस्त हुआ था अनुच्छेद 370
सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया. इसके बाद वे बिहार और मेघालय के राज्यपाल भी रहे। सत्यपाल मलिक ने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में सुरक्षा में चूक और किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर खुले तौर पर बयान दिए, जिसके चलते वे कई बार विवादों में भी घिरे रहे।
हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. लेकिन इसी मामले में CBI ने उनके खिलाफ आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दिया. इस पर उन्होंने अस्पताल से ही प्रतिक्रिया देते हुए नाराज़गी जताई और कहा था कि यह क्या हो रहा है? जिसने भ्रष्टाचार की शिकायत की, उसी के खिलाफ जांच और अब चार्जशीट दायर कर दी गई. गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी सरकार के मुखर आलोचक बने रहे और विपक्ष के समर्थन में वोट देने की खुलकर अपील की थी.