Friday, April 25, 2025
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Pahalgam Terror Attack: पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों पर पूर्ण लगाम कसने का समय आ गया, आतंक को पोषित करने वालों को जमींदोज करना ही होगा

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कड़ी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।

लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक : राजेश कसेरा

पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश तमाम प्रयासों के बावजूद न मानने को तैयार है और न समझने को। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद तो ये स्पष्ट दिख रहा है कि लातों के भूत वाकई बातों से मानने वाले नहीं। भारत की ओर से की गई तमाम कोशिशों के बाद भी पड़ोस के ये दोनों देश आंख दिखाने के साथ खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। तभी तो देश के हर नागरिक में इनके खिलाफ गुस्सा इस कदर भर गया है कि सभी एक सुर में यही कह रहे हैं कि बहुत हुआ। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से एक ही मांग हो रही है कि आतंक को पोषित करने वालों और आतंकियों को पालने वालों को जमींदोज करने का सही वक्त आ गया है।

पहलगाम हमले के बाद भारत का ओर से कूटनीतिक तौर पर भले पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले किए गए, लेकिन इससे देश का गुस्सा शांत नहीं होने वाला। जिन 27 निर्दोष लोगों को केवल इसलिए गोलियों से भून दिया गया कि ये आतंकियों के मजहब के नहीं थे तो ये सीधे तौर पर देश के अमन, चैन और सौहार्द को चुनौती देना है। बरसों से आतंक का दर्द झेल रहे देशवासियों को पहलगाम की दुर्दांत घटना ने हिला कर रख दिया। बरसों के जख्म नासूर बनकर बहने लगे। ऐसे में इसका त्वरित उपचार नहीं हुआ तो सब सड़-गल जाएगा। भारत के खिलाफ बार-बार साजिश रचने वालों का समूल नाश करना ही होगा।


आजादी के बाद से भारत से अलग हुआ पाकिस्तान और पाकिस्तान से अलग हुआ बांग्लादेश कभी भी भारत के हितैषी नहीं रहे। देश की हर सरकार ने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों को बनाने के हरसंभव प्रयास किए, लेकिन हर बार हमें दगा ही मिला। मुट्ठी भर गीदड़ यदि बार-बार शेर को ललकारने का दुस्साहस दिखाएंगे तो जंगल का राजा क्या करेगा? झुण्ड में रंग रहे ऐसे ही कीड़ों को रौंदने का मौका सामने दिख रहा है। भारत के नीति-निर्धारकों को चाहिए कि वे ऐसे पड़ोसियों का सटीक और कारगर उपचार करें। केवल गुस्से का प्रतिकार नहीं दिखाए।

पाकिस्तान और बांग्लादेश में छिपे दुश्मनों को इस तरह से घेरकर मारें कि फिर कभी दुनिया में कोई देश अपने अच्छे पड़ोसियों को सताने के लिए सिर नहीं उठा पाए। भारत को वैसे ही पहलगाम हमले के बाद अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजराइल और सऊदी अरब जैसे देशों का समर्थन मिल गया। सबने भारत के कंधे पर हाथ रखकर दर्द को कम करने के लिए सहारा दिया तो ये संकेत भी दे दिए कि अभी नहीं तो कभी नहीं। ये सही समय है आतंक को पालने वाले सांपों के फन कुचलने का।

पहलगाम हमले ने केवल भारत को सीधे तौर पर कमजोर करने का काम नहीं किया। आतंकियों ने दुनिया के सबसे ताकतवार देश अमेरिका को भी कड़ा संदेश देने की हिमाकत की। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को सौंपने का बड़ा निर्णय किया तो यह आतंकियों को पालने वाले देशों को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने भारत के साथ अमेरिका को सबक सिखाने के लिए पहलगाम जैसे आतंकी हमले की साजिश रची। मासूम पर्यटकों को अपने मंसूबों का शिकार बनाया। ये सीधे-सीधे भारत और अमेरिका को युद्ध की चुनौती देना है।

भारत को तत्काल अगले कुछ दिनों में ऐसे एक्शन प्लान बनाने होंगे जो दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में छिपे बैठे आतंकियों और उनके आकाओं का नामोनिशान मिटा दें। दुनिया को संदेश देने का समय आ गया है कि जो हमें छेड़ेगा, उसे छोड़ेंगे नहीं। ये 27 नागरिकों का बदला नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई होगी। कोई भी देश वहां के नागरिकों से बनता है और वे ही खुद को अपने देश में असुरक्षित, असहाय और अनाथ समझने लगे तो उनको संभालने का दंभ भरने वाले नीति-निर्धारकों को पद पर बने रहने की कोई जरूरत नहीं। शुरुआत बड़ी की है, पर अंजाम और कड़ा होगा तो सबको सुकून मिलेगा। बस, अब फैसले की घड़ी आ चुकी है।

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Premanshu Chaturvedi
Premanshu Chaturvedihttp://jagoindiajago.news
समाचारों की दुनिया में सटीकता और निष्पक्षता के साथ नई कहानियों को प्रस्तुत करने वाला एक समर्पित लेखक। समाज को जागरूक और सूचित रखने के लिए प्रतिबद्ध।
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