Friday, July 25, 2025
HomePush NotificationKolkata Gang Rape case: दुनिया में ऐसी पहचान तो नहीं बने हमारी,...

Kolkata Gang Rape case: दुनिया में ऐसी पहचान तो नहीं बने हमारी, कुछ करें सरकार, देश में बलात्कार जैसे अपराध क्यों नहीं कम हो पा रहे

लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक : राजेश कसेरा

कोलकाता में लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप की दुर्दांत घटना ने अमेरिकी विदेश विभाग की उस एडवाइजरी को सच साबित कर दिया, जिसे उसने भारत में आने वाले अपने नागरिकों के लिए जारी किया था। उन्होंने आगाह किया था कि भारत में अपराध और आतंकवाद का जोखिम बढ़ रहा है। महिलाओं के साथ हिंसा और बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे में अमेरिकी महिलाएं यदि भारत की यात्रा कर रही हैं तो वे अकेले जाने से बचें और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। 21 जून को जारी हुई इस एडवाइजरी के बाद ही कोलकाता में गैंगरेप का संगीन अपराध सामने आया और सब हिल गए.

क्या भारत की पहचान दुनिया में इसी रूप में बनती जा रही है कि यहां महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल नहीं हैं? इस सवाल का ठोस जवाब तो देश और राज्यों की सरकारों को देना ही होगा। ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर यदि हमारे देश को इस नजरिए से देखा जा रहा है तो इससे शर्मनाक क्या होगा? लाख प्रयासों और नारी शक्ति को बढ़ावा देने वाली मुहिमों के बावजूद उनके साथ घटने वाले अपराधों में कमी नहीं आ पा रही है। खासकर बलात्कार की जघन्य घटनाओं को रोक नहीं पा रहे हैं।

देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा का बढ़ता संकट गंभीर राष्ट्रीय त्रासदी बन गया है। इतना ही नहीं, यह व्यवस्थागत पतन का स्पष्ट प्रमाण भी है। राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी संस्थाएं भी प्रभावी साबित नहीं हुईं। उल्टे दिखावा मात्र की संस्था बन गईं जो बड़े संकट को छुपाती हैं। तभी तो देश में वर्ष 2022 के बाद से महिला अपराध के सरकारी आंकड़े जारी नहीं किए गए। उस समय भी हालात चिंताजनक थे। 2022 में बलात्कार के 31 हजार मामले दर्ज किए गए थे। इससे साफ था कि देश में हर दिन 85 बलात्कार हो रहे थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) वर्ष 2012 में दिल्ली निर्भया बलात्कार मामले के बाद से रेप के डेटा लगातार दर्ज कर रहा है। तब से यह संख्या चिंताजनक रही है। कोविड-19 महामारी वर्ष के दौरान वर्ष 2020 को छोड़ दे तो लगभग 39 हजार मामलों के साथ 2016 में स्थिति चरम पर थी। फिर 2018 में सरकारी रिपोर्ट में सामने आया कि देश में हर 15 मिनट में एक बलात्कार की सूचना मिली। इससे अधिक निराशाजनक आंकड़े तो अपराधियों को सजा देने के रूप में सामने आए। 2018 और 2022 के बीच सिर्फ 27-28 फीसदी लोगों को न्याय मिल पाया। भारत में महिलाओं-बच्चियों के प्रति हिंसा-दुराचार अत्यंत चिंताजनक मुद्दा है। यह लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में देश की प्रगति को बाधित कर रहा है। सख्त कानून और बढ़ती जागरूकता के बावजूद महिलाओं के प्रति क्रूरता में वृद्धि लगातार दर्ज हो रही है।

इससे साफ हैं कि भारत की जिम्मेदार संस्थाएं भयावह रूप से विफल रही हैं। कानून की अक्षमता, भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप ने हर मोड़ पर पीड़ितों
को धोखा दिया है। इससे वे असहाय हो गए हैं। ऊपर से जाति और सत्ता की गतिशीलता ने भी विकट परिणाम दिए। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद देश में बलात्कार की घटनाओं के खिलाफ बड़ा माहौल बना। कानूनी सुधारों और कठोर दंड के ढेरों वादे हुए। लेकिन कड़वी सच्चाई यह भी है कि धरातल पर बदलाव बहुत कम दिखे।

देश के लिए राष्ट्रीय कलंक बने इस मुद्दे के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर फिर आवाज उठाने की जरूरत है। देश को ऐसे स्वतंत्र, गैर-राजनीतिक निकाय की जरूरत है जो विशेष रूप से यौन हिंसा से निपटने के लिए समर्पित हो। राजनीतिक हस्तक्षेप की घुटन भरी पकड़ से मुक्त हो। इस इकाई को संसद के अगले सत्र में स्थापित किया जाना चाहिए, जिसकी मांग है। देश की करोड़ों महिलाओं को सुरक्षा और न्याय देने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस बार निर्णायक कार्रवाई और परिणाम आने तक देश को एकजुट रहना होगा। नहीं तो यह वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता रहेगा। बदलाव का समय आ गया है। इसे राष्ट्रीय आपातकाल मानना ही होगा, तभी सार्थक और सुखद परिणाम आ पाएंगे।

इसे भी पढ़ें: Corona Vaccine: क्या युवाओं में हार्ट अटैक से हो रही मौतों के लिए कोविड-19 वैक्सीन जिम्मेदार ? ICMR और AIIMS की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

Premanshu Chaturvedi
Premanshu Chaturvedihttp://jagoindiajago.news
खबरों की दुनिया में हर लफ्ज़ को जिम्मेदारी और जुनून के साथ बुनने वाला। मेरा मानना है कि एक अच्छी खबर केवल सूचना नहीं देती, बल्कि समाज को सोचने, सवाल करने और बदलने की ताकत भी देती है। राजनीति से लेकर मानवता की कहानियों तक, हर विषय पर गहराई से शोध कर निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग करना ही मेरी पहचान है। लेखनी के जरिए सच्चाई को आवाज़ देना मेरा मिशन है।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular