श्रीनगर, कश्मीर के बड़े हिस्से में घना कोहरा छाया रहा. विजिबिलिटी लगभग 300 मीटर रह जाने के कारण श्रीनगर एयरपोर्ट पर उड़ानों का परिचालन प्रभावित हुआ. वहीं घने कोहरे के चलते एक सेवा को डायवर्ट कर दिया गया. बता दें कि उड़ान संचालन के लिए दृश्यता लगभग 1,100 मीटर होनी चाहिए.
#WATCH श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): घाटी में आज घना कोहरा छाया हुआ है। घने कोहरे की वजह से विज़िबिलिटी कम हुई। pic.twitter.com/yBv9Twvdzq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 3, 2025
दोपहर में फ्लाइट का संचालन शुरू
अधिकारियों के बताया दोपहर में दृश्यता में सुधार के बाद एयरपोर्ट पर परिचालन फिर से शुरू हो गया और सुबह की पहली उड़ान श्रीनगर में 11 बजकर 48 मिनट पर उतरी. उन्होंने बताया कि कोहरे के कारण लोगों को आवागमन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
3 जनवरी और 4 जनवरी को बर्फबारी का अलर्ट
मौसम विभाग ने बताया कि शुक्रवार को ऊंचाई वाले कुछ स्थानों पर हल्की बर्फबारी हो सकती है. शनिवार को पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से जम्मू कश्मीर के अधिकतर स्थानों पर हल्की से मध्यम बर्फबारी के आसार है. सोमवार सुबह तक इसकी संभावना बहुत अधिक रहेगी.
कहां कितना दर्ज हुआ तापमान
कश्मीर के अधिकतर स्थानों पर रात के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई. मौसम विभाग ने बताया कि उत्तरी कश्मीर में ‘स्कीइंग’ के लिए मशहूर पर्यटक स्थल गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. दक्षिण कश्मीर में वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए आधार शिविर पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. श्रीनगर में तापमान शून्य से 2.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि पिछली रात यह शून्य से 2.6 डिग्री सेल्सियस नीचे था.
काजीकुंड में तापमान माइनस 7.3 डिग्री रहा
मौसम विभाग ने बताया कि कश्मीर के प्रवेश द्वार काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से 7.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया और ये घाटी में सबसे अधिक ठंडा स्थान रहा. पंपोर शहर के कोनीबल में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि दक्षिणी कश्मीर के कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.6 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा.
चिल्ला-ए-कलां की चपेट में कश्मीर घाटी
वर्तमान में कश्मीर घाटी ‘चिल्ला-ए-कलां’ (सर्वाधिक ठंड की अवधि) की चपेट में है. इसे सर्दियों का सबसे कठिन समय माना जाता है, जो 21 दिसंबर से शुरू हुआ था. ‘चिल्ला-ए-कलां’ की 40 दिनों की अवधि के दौरान सबसे अधिक बर्फबारी होती है.
‘चिल्ला-ए-कलां’ अगले साल 30 जनवरी को खत्म हो जाएगा, लेकिन शीतलहर जारी रहेगी. 40 दिनों के चिल्ला-ए-कलां के बाद 20 दिवसीय ‘चिल्ला-ए-खुर्द’ और 10 दिन का ‘चिल्ला-ए-बच्चा’ भी होगा जब घाटी में ठंड में धीरे-धीरे कमी आएगी.