Delhi Riots : राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों के एक मामले में छह व्यक्तियों को बरी कर दिया, जबकि आरोपियों के अधिकारों को ‘कुचलने’ के लिए अभियोजन पक्ष को फटकार लगाई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवीन सिंह ने 25 फरवरी 2020 को कथित रूप से दंगा और आगजनी में शामिल भीड़ का हिस्सा होने के छह आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने 25 अगस्त को 41 पृष्ठों के आदेश में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि आरोपियों के खिलाफ झूठा मामला गढ़ा गया और अभियोजन पक्ष का गवाह हेड कांस्टेबल विकास, जो मामले का एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी है, इन आरोपियों के खिलाफ गवाही के संबंध में पूरी तरह से अविश्वसनीय है।’

अदालत ने कहा, ‘मुझे यह जरूर कहना चाहिए कि जांच अधिकारी (आईओ) ने सबूतों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और इसके परिणामस्वरूप आरोपियों के अधिकारों का गंभीर हनन हुआ है, जिनके खिलाफ शायद सिर्फ यह दिखाने के लिए आरोपपत्र दाखिल किया गया कि मामला सुलझा लिया गया है।’ न्यायाधीश ने कहा, ‘यह कहीं अधिक दुखद है, क्योंकि स्पष्ट खामियों के बावजूद पर्यवेक्षण अधिकारियों, यानी थाना प्रभारी और सहायक पुलिस आयुक्त ने मशीनी तरीके से आरोपपत्र को आगे बढ़ाया।’
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों से कानून के शासन के अलावा, जांच प्रक्रिया में लोगों के विश्वास का गंभीर क्षरण होगा। अदालत ने कहा, यह उपयुक्त होगा कि इस फैसले की प्रति पुलिस आयुक्त को उनके अवलोकन के लिए भेजी जाए और उनसे सुधारात्मक उपाय करने का अनुरोध किया जाए। बरी किये गए व्यक्तियों में ईशु गुप्ता, प्रेम प्रकाश, राज कुमार, मनीष शर्मा, राहुल और अमित शामिल हैं।