Delhi Red Fort Blast Case : नई दिल्ली। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने लालकिला क्षेत्र विस्फोट के सिलसिले में जम्मू कश्मीर के रहने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो आत्मघाती उमर-उन-नबी का करीबी सहयोगी है। यह इस मामले में नौवीं गिरफ्तारी है। यह जानकारी अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को दी। अधिकारियों ने बताया कि यासिर अहमद डार ने 10 नवंबर को हुए उस धमाके की साजिश में कथित तौर पर सक्रिय भूमिका निभायी थी, जिसमें 15 लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे।
एनआईए ने बताया कि साजिश में सक्रिय रूप से शामिल डार ने आत्मघाती अभियानों को अंजाम देने की कथित तौर पर शपथ ली थी। एनआईए के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, इस मामले में गिरफ्तार किया गया नौवां व्यक्ति यासिर अहमद डार श्रीनगर (जम्मू कश्मीर) के शोपियां का रहने वाला है। उसे एनआईए ने नयी दिल्ली से पकड़ा और गिरफ्तार कर लिया…। डार इस मामले में अन्य आरोपियों के साथ नजदीकी संपर्क में था, जिनमें उमर-उन-नबी (आत्मघाती) और मुफ्ती इरफान शामिल है।
कोर्ट ने एनआईए हिरासत को 4 दिन और बढ़ाया
पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को रेड फोर्ट बम विस्फोट मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों फरीदाबाद निवासी शोएब और जम्मू-कश्मीर के बारामूला निवासी डॉ. नसीर बिलाल मल्ला की एनआईए हिरासत को 4 दिन और बढ़ा दिया। जांच एजेंसी एनआईए ने दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कोर्ट में पेश किया। मीडिया को कार्यवाही की कवरेज से दूर रखा गया। आरोपियों को प्रधान सत्र न्यायाधीश अंजू बाजाज चंदना के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने एनआईए की मांग पर शोएब और डॉ. मल्ला को चार दिन की अतिरिक्त हिरासत में भेज दिया।
शोएब की पिछली 10 दिन की हिरासत 5 दिसंबर को दी गई थी, जबकि डॉ. नसीर बिलाल मल्ला की सात दिन की हिरासत 9 दिसंबर को मंजूर की गई । एनआईए के एक प्रवक्ता ने पहले कहा था कि फरीदाबाद के धौज गांव निवासी सोयब ने 10 नवंबर को रेड फोर्ट के बाहर हुंडई आई20 कार में विस्फोट करने वाले मृत आतंकी उमर-उन-नबी को लॉजिस्टिकल सपोर्ट प्रदान किया था। यह विस्फोट 15 लोगों की मौत और कई घायलों का कारण बना था। डॉ. नसीर बिलाल मल्ला इस मामले में एनआईए द्वारा गिरफ्तार आठवां आरोपी है। वह जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा पकड़े गए ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा है। एनआईए ने 9 दिसंबर को दिल्ली से उसे गिरफ्तार किया था और मुख्य साजिशकर्ता बताया था। जांच में पता चला है कि मल्ला ने मृत आरोपी उमर-उन-नबी को जानबूझकर आश्रय दिया, लॉजिस्टिकल मदद की और आतंकी हमले से जुड़े सबूतों को नष्ट किया।




