Joint Commanders Conference : कोलकाता। युद्ध की प्रकृति में निरंतर परिवर्तन को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सशस्त्र बलों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़कर, अदृश्य चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हाल के वैश्विक संघर्षों ने ‘‘प्रौद्योगिकी-अनुकूल’’ सेना की प्रासंगिकता को रेखांकित किया है। कोलकाता में 16वें संयुक्त कमांडर सम्मेलन (सीसीसी) 2025 को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों से ‘‘सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक युद्ध जैसे अपरंपरागत खतरों से उत्पन्न अदृश्य चुनौतियों’’ से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा।
राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्क रहने का आह्वान किया
राजनाथ सिंह ने दुनिया भर में हो रहे बदलावों और देश की सुरक्षा व्यवस्था पर उनके प्रभाव के निरंतर आकलन की आवश्यकता पर बल दिया। रक्षा मंत्री ने कहा, आज के युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित होते हैं कि उनकी अवधि का पूर्वानुमान लगाना बेहद मुश्किल है। यह समय दो महीने, एक साल या पांच साल भी हो सकता है। हमें हमेशा तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद मई में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना और क्रियान्वयन में सशस्त्र बलों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे।
आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत : राजनाथ
राजनाथ सिंह ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर ने प्रदर्शित किया है कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता तीन स्तंभ हैं जो भारत को 21वीं सदी में आवश्यक शक्ति प्रदान करेंगे। आज, हमारे पास अपने सैनिकों के अदम्य साहस के साथ-साथ स्वदेशी उपकरणों और प्रणालियों की मदद से किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता है। यही आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत है। सम्मेलन में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सोमवार को यहां विजय दुर्ग (पूर्व में फोर्ट विलियम) स्थित भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की थी। उन्होंने रक्षा मंत्रालय को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तालमेल, आत्मनिर्भरता और नवाचार हासिल करने की खातिर कदम उठाने के निर्देश दिए।