नयी दिल्ली। कांग्रेस ने अडाणी समूह से संबंधित मामले में एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) इस मामले में अनिच्छा से जांच कर रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अडाणी समूह से संबंधित मामले की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही सामने आ सकती है। उन्होंने एक खबर का हवाला दिया जिसमें यह दावा किया गया है कि अडाणी समूह की एक कंपनी में निवेश करने वाले एक कोष (फंड) का स्वामित्व सिंगल पर्सन फर्म के पास है।
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ अनियमितताओं और स्टॉक मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमलावर है और आरोपों की जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग कर रही है। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था और उसका कहना था कि उसकी ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है। रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया अडाणी से जुड़ा एक नया खुलासा सामने आया है। उसकी एक अन्य शेल कंपनी को मई 2019 में दुबई में सिंगल पर्सन कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था जो अडाणी पावर में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी को नियंत्रित करती है। इस खुलासे से अडाणी की शेल कंपनियों के गैरकानूनी कार्यों की दुर्गंध और ज़्यादा तेज़ हो गई है।
उन्होंने सवाल किया दुबई में स्थित एक सिंगल पर्सन फर्म भारत की सबसे बड़ी निजी बिजली उत्पादक कंपनी अडाणी पावर में 8,000 रुपए मूल्य की 4.7 प्रतिशत हिस्सेदारी को कैसे नियंत्रित कर सकती है? क्या यह कंपनी, अडाणी का ही एक और मुखौटा नहीं है जो अवैध राउंड-ट्रिपिंग और भारतीय प्रतिभूति कानूनों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है? रमेश ने यह भी पूछा सबसे बड़ा सवाल है कि आख़िर यह किसके फंड हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि सेबी द्वारा बिना किसी उत्साह के और अनिच्छा से की जा रही जांच से कोई जवाब मिलता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस महासचिव ने कहा आगे का एकमात्र रास्ता जेपीसी है, जो अडाणी महाघोटाले के पीछे की पूरी कहानी की जांच करने में सक्षम होगी।