इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को बनाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही कुंज गलियों से अतिक्रमण हटाने का भी आदेश दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले में ये भी कहा है कि सरकार मंदिर के बैंक खाते में जमा धन 262.50 करोड़ रुपए का कॉरिडोर बनाने में उपयोग नहीं करेगी। कोर्ट ने ने कहा कि राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से इसका निर्माण कराए।
चीफ जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर की डबल बैंच ने यह फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर के आस-पास 5 एकड़ में कॉरिडोर बनाएगी। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार अपनी प्रस्तावित योजना के साथ आगे बढ़ सकती है, मगर यह भी तय करे कि दर्शनार्थियों को दर्शन में कोई बाधा नहीं आए। कोर्ट ने कहा कि एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद इन गलियों में दोबारा अतिक्रमण नहीं हो और मंदिर के पहुंच मार्गों में बाधा नहीं पहुंचे। इस केस में 31 जनवरी 2024 को अगली सुनवाई होगी।
जानें कैसा होगा बांके बिहारी मंदिर का नया कॉरिडोर
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर 5 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित है। मंदिर तक पहुंचने के तीन रास्ते होंगे। यमुना की ओर से जो रास्ता आएगा, वह 2100 वर्ग मीटर क्षेत्र में होगा। इस रास्ते में आने वालों के लिए कॉरिडोर को दो हिस्सों में विकसित किया जाएगा। एक निचला हिस्सा होगा और दूसरा उससे करीब 3.5 मीटर ऊपर होगा। इस पर जाने के लिए रैंप बनाया जाएगा। दोनों हिस्सों में जूता घर, सामान घर, प्रसाधन, पेयजल सुविधा, शिशु देखभाल कक्ष, चिकित्सा कक्ष, वीआईपी कक्ष और तीर्थयात्रियों के लिए प्रतीक्षालय बनाया जाएगा। कॉरिडोर में करीब 800 वर्गमीटर क्षेत्र में पूजा की दुकानें बनाई जाएंगी। कॉरिडोर बनाने के लिए जिन दुकानों को तोड़ा जाएगा, उन दुकानदारों को यहां पर दुकानें उपलब्ध कराई जाएंगी।
37 हजार वर्ग मीटर में विकसित होगी पार्किंग
यमुना एक्सप्रेस वे की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 37 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बांके बिहारी ब्रिज पार्किंग के लिए तैयार किया जाएगा। यहां करीब 1550 वाहन एक बार में खड़े किए जा सकेंगे। पैदल जाने के लिए बांके बिहारी मंदिर के सामने और देवराहा बाबा घाट पर छोटे पुल भी बनाए जाएंगे।
पुजारियों ने कॉरिडोर निर्माण को बताया था गैर जरूरी
याची अनंत शर्मा, मधुमंगल दास और अन्य की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई। चीफ जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया। मंदिर के पुजारियों ने कॉरिडोर निर्माण को गैर जरूरी बताया था और चढ़ावे व चंदे की रकम देने से साफ इनकार किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकार की कॉरिडोर बनाए जाने की योजना को मंजूरी दे दी है, लेकिन मंदिर से जुड़े हुए लोगों की मांग को मानते हुए चढ़ावे व चंदे की रकम का इस्तेमाल किए जाने पर रोक लगा दी। बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर पुजारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है, वहीं सरकार इस कॉरिडोर को श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए बनाना चाहती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर बनेगा
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर भी वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया जाएगा। इस मामले का फैसला हाईकोर्ट ने 8 नवंबर को सुरक्षित रख लिया था।