मुंबई। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ फर्जी सामग्री को चिह्नित करने के लिए हाल ही में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत ‘फैक्ट चेक यूनिट’ (एफसीयू) को चार सितंबर तक अधिसूचित नहीं करेगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ से केंद्र द्वारा नियमों को सही ठहराने के लिए दलीलें पेश करने के वास्ते अदालत द्वारा निर्धारित पहले की तारीखों को स्थगित करने की मांग की।
पीठ संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। ‘स्टैंड-अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स ने नियमों के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उन्हें मनमाना और असंवैधानिक बताया तथा दावा किया है कि उनका नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं जिसके बाद अदालत ने मेहता के पक्ष रखने के लिए मामले में सुनवाई 27 और 28 जुलाई के लिए निर्धारित कर दी है।
मेहता ने शुक्रवार को अदालत से मामले में सुनवाई अगस्त के अंत में रखने का अनुरोध किया।
मेहता ने कहा, “मेरी कठिनाई यह है कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ दो अगस्त से अनुच्छेद 370 (जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था) से संबंधित मामलों में दलीलें सुनना शुरू कर देगी। मुझे इसके लिए कुछ तैयारी करने की जरूरत है।”
पीठ इससे सहमत हो गई और याचिकाओं पर 31 अगस्त और एक सितंबर को सुनवाई निर्धारित की।
मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिया गया बयान कि एफसीयू को अधिसूचित नहीं किया जाएगा, चार सितंबर तक बढ़ाया जाता है