किडनी हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है.यह हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालती है और खून को साफ करने में मदद करती है.पानी के संतुलन को शरीर में बनाकर रखती है.साथ ही किडनी यूरीन के जरिए बढ़े हुए यूरिक एसिड को बाहर निकालती है. लेकिन कई कारणों से किडनी के काम करने की क्षमता में कमी आने लगती है.उसकी फिल्टर करने की क्षमता कम होने लगती है और किडनी खराब होने लगती है.किडनी खराब होने का असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी पड़ता है.
पहले क्रोनिक किडनी डिजीज(CKD)व्यस्कों, बुजुर्गों में देखने को मिलती थी लेकिन आजकल बच्चे भी बड़ी संख्या में इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसकी पहचान कर सही इलाज किया जाए.किडनी से जुड़ी बीमारियां शरीर में कई लक्षणों के रूप में नजर आती हैं.
1.बच्चों में किडनी की बीमारी के शुरुआती लक्षणों की बात करें तो जैसे बार-बार पेशाब आना,पेशाब कम होना या खून आना,आंखों, चेहरे या हाथ-पैरों के आसपास सूजन गुर्दे की समस्याओं से जुड़े संकेत हो सकते हैं.
2.यदि आपका बच्चा पेशाब करते समय दर्द की शिकायत करता है या आपको पेशाब का रंग फीका दिखाई देता है, तो यह भी किडनी रोग का संकेत हो सकता है ऐसे में तुरंत डॉक्टर से मिलें.
3.हमेशा बनी रहने वाली थकान खराब किडनी कार्यप्रणाली से जुड़ी हो सकती है. सुस्ती और लो एनर्जी जैसे संकेतों पर नज़र रखें.
4.पेशाब करने में अधिक समय लगाना,पेट में दर्द,भूख न लगना,थकान जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं,ऐसे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
आजकल बच्चे जंक फूड्स और पैकेज फूड्स ज्यादा खाते हैं.इनमें कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो किडनी को सीधे प्रभावित करते हैं.
पैकेट वाले नमकीन स्नैक्स
डॉक्टर्स की माने तो छोटे-छोटे पैकेट में मिलने वाले नमकीन स्नैक्स में बहुत अधिक सोडियम होता है. ज्यादा मात्रा में सोडियम का सेवन करने से किडनियों को शरीर से ज्यादा पानी निकालना पड़ता है.जिसके चलते किडनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और किडनियां कमजोर हो जाती हैं.
जंक फूड का सेवन
चाइनीज फूड्स जैसे नूडल्स,चिली पोटैटो और अन्य चीजों को बनाने के लिए अजीनोमोटो का इस्तेमाल किया जाता है.अजीनोमोटो मोनोसोडियम ग्लुटामेट होता है.जब भी कोई बच्चा अधिक मात्रा में अजीनोमोटो का सेवन करता है तो उसके शरीर में पानी का इनटेक बढ़ जाता है.यूरीन भी ज्यादा मात्रा में बनता है और किडनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है.जिससे किडनियों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है.
डिहाईड्रेशन
प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए.लेकिन आजकल बच्चों में पानी की जगह कोल्ड ड्रिंक्स,ज्यूस,सोडा पीने का चलन बढ़ रहा है.पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन बढ़ता है जिसके चलते किडनियों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
मोटापा
हमारे देश में बच्चों में बढ़ता मोटापा एक गंभीर समस्या है.भारत के लगभग 15 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है.डॉक्टर्स का कहना है कि मोटापे का सीधा संबंध डायबिटीज और किडनी से संबंधित बीमारियों से है.
आनुवांशिक कारण
उन बच्चों को किडनी की बीमारी होने का खतरा अधिक होता है जिनके परिवार में किसी सदस्य को किडनी से संबंधित बीमारी है.इसीलिए उनके माता पिता को और अधिक सावधान रहने की जरूरत है.यदि आपके बच्चे में किडनी की बीमारी से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.
ऐसे करें किडनी की देखभाल
बच्चों को घर का बना सादा और पोषक खाना दें,बच्चों को फास्ट फूड से परहेज कराएं,पर्याप्त मात्रा में पानी और दूसरे तरल पदार्थों का सेवन करने के लिए कहें,खेलकूद के लिए प्रेरित करें.लाइफस्टाइल को ठीक रखें.उनके वज़न पर नज़र रखें, हम उम्र बच्चों से वज़न कम या ज्यादा होने को गंभीरता से लें.