Saturday, October 5, 2024
Homeताजा खबरBombay High Court : बच्चे की कस्टडी पर उच्च न्यायालय ने कही...

Bombay High Court : बच्चे की कस्टडी पर उच्च न्यायालय ने कही यह बात…

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने एक बच्ची को अंतरिम अभिरक्षा में उसकी मां को सौंपने के पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि इस पर निर्णय लेते वक्त यह ध्यान रखने की जरूरत है कि वह किसके साथ ज्यादा सहज है। साथ ही न्यायालय ने कहा कि बच्चे के कल्याण में शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती, उसका स्वास्थ्य, सहजता और समग्र सामाजिक तथा नैतिक विकास शामिल होता है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अभिरक्षा के मामलों में फैसला करते वक्त बच्चे की भलाई सर्वोपरि होती है और इस पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है कि बच्चा किसके साथ सबसे ज्यादा सहज है। न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख ने बांद्रा की पारिवारिक अदालत के फरवरी 2023 में दिए आदेश को चुनौती देने वाली महिला के पति की याचिका खारिज करते हुए 21 जुलाई को यह आदेश दिया। पारिवारिक अदालत ने याचिकाकर्ता को उसकी 8 साल की बेटी की अभिरक्षा उससे अलग रह रही पत्नी को दी दी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कल्याण शब्द को बच्चे की शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती, उसके स्वास्थ्य, सहजता और समग्र सामाजिक एवं नैतिक विकास को ध्यान में रखते हुए व्यापक अर्थ में समझा जाना चाहिए। बच्चे की अच्छी तरह से संतुलित परवरिश के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वही बच्चे के कल्याण के बराबर है। पीठ ने कहा कि बच्ची 8 साल की है और उसके शरीर में हार्मोनल और शारीरिक बदलाव भी आएंगे। उसने कहा बच्ची के विकास के इस चरण में ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है और दादी या बुआ, मां का विकल्प नहीं हो सकती जो कि एक योग्य डॉक्टर भी है।

उच्च न्यायालय ने कहा जीवन के इस दौर में लड़की को ऐसी महिला की देखभाल और प्यार की जरूरत होती है जो उसमें होने वाले बदलाव की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझे और इसलिए इस चरण में पिता के बजाए मां को तरजीह दी जाती है। याचिका के अनुसार, दंपति की 2010 में शादी हुई और 2015 में उनकी बेटी का जन्म हुआ। पति ने अपनी पत्नी पर विवाहेत्तर संबंधों का आरोप लगाया था जिसके बाद 2020 में वे अलग हो गए। बेटी अपने पिता के साथ रह रही थी। इसके बाद पति ने पारिवारिक अदालत में तलाक की याचिका दायर की और लड़की की स्थायी अभिरक्षा मांगी। पारिवारिक अदालत ने फरवरी 2023 में बच्ची की अभिरक्षा उसकी मां को दे दी थी जिसे पिता ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

Mamta Berwa
Mamta Berwa
JOURNALIST
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments