Bihar : सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली 14 दिन पुरानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का बिहार विधानसभा में आज शक्ति परीक्षण है।यानी, नीतीश कुमार को दिखाना है कि उनके पास बहुमत है। नीतीश कुमार आज सदन में सबसे पहले अपनी सरकार के बहुमत को लेकर वोटिंग का प्रस्ताव रखेंगे। अगर नीतीश बुहमत परीक्षण में फेल होते हैं तो आगे क्या संभावनाएं हो सकती हैं आगे हम इसी पर बात करेंगे
क्या होता है फ्लोर टेस्ट
सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली 14 दिन पुरानी राजग सरकार को आज बिहार विधानसभा में दिखाना है कि उनके पास बहुमत है। इसे ही फ्लोर टेस्ट कहा जाता है। फ्लोर टेस्ट में विधायक दो भाग में बंट जाएंगे- पक्ष के अलग और विपक्ष के अलग। इनकी संख्या गिनी जाएगी कि किधर ज्यादा हैं। अगर सत्ता पक्ष के विधायकों की संख्या बिहार विधानसभा की कुल क्षमता 243 के दो तिहाई, यानी 122 या ज्यादा रही तो सरकार कायम रहेगी। अगर यह संख्या 122 से नीचे रही तो सरकार गिर जाएगी।
फ्लोर टेस्ट में फेल हुए तो क्या?
आज नीतीश कुमार को फ्लौर टेस्ट देते हुए दिखाना होगा कि उनके पास जरूरी बहुमत का आंकड़ा है।
जब भी सरकार के पास बहुमत होने पर सवाल उठाए जाते हैं तो बहुमत का दावा करने वाले सीएम को अपने सभी विधायकों से वोटिंग करवानी होती है। जितने भी विधायक विधानसभा में पेश होते हैं, उनके ही वोट गिने जाते हैं। अगर कोई सीएम बहुमत परीक्षण में फेल हो जाता है, तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है।
कौन करवाता है फ्लोर टेस्ट
फ्लोर टेस्ट राज्य विधानसभा अध्यक्ष या उनकी गैर मौजूदगी में प्रोटेम स्पीकर कराते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल सिर्फ आदेश देने का काम करते हैं। इसमें विधानसभा में पेश होकर विधायक अपना वोट करते हैं किसी भी सदन में चर्चा के बाद स्पीकर वहां मौजूद विधायकों से गुप्त मतदान से समर्थन या विरोध में वोटिंग कराते है। अगर विश्वास मत प्रस्ताव के समर्थन में ज्यादा विधायकों ने वोट किया तब माना जाता है कि सरकार को सदन में बहुमत हासिल है।