नई दिल्ली। राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लेकिन चुनावों से पहले ही नेताओं के दल बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है. सोमवार को कांग्रेस से नौगार की पूर्व सांसद और दिग्गज नेता नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा ने आज भाजपा का दामन थाम लिया. इससे पहले शनिवार को काग्रेस के पूर्व राज्य मंत्री राजेंद्र गुढा ने शिवसेना का दामन थाम लिया. ज्योति मिर्धा ने दिल्ली में राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सीपी जोशी की मौजूदगी में पार्टी का दामन थामा. उनके साथ सवाई सिंह भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
ज्योति मिर्धा का जाट समुदाय में दबदबा
ज्योति मिर्धा का जाट समुदाय में काफी दबदबा माना जाता है. अब ज्योति मिर्धा का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मिर्धा के भाजपा में शामिल होने के बाद बेनीवाल की भाजपा से दूरियां बढ़ सकती हैं. जाट समुदाय में मिर्धा का दबदबा होने के कारण चुनाव में इसकी अहम भूमिका हो सकती हैं. राजस्थान की राजनीति में मिर्धा खानदान का बड़ा नाम हैं. ज्योति नागौर से कांग्रेस की सांसद भी रही हैं. नागौर के जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण बीजेपी को जाट वोटर्स को साधने में आसानी होगी. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने नागौर सीट से ज्योति मिर्धा पर दांव लगाया था. वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. वहीं अब वे कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं.
कौन है बाबा की पोती ज्योति मिर्धा
भाजपा में शामिल होने वाली कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पौती है. राजस्थान में सबसे पहले पंचायतीराज की स्थापना नागौर में हुई थी. नागौर में जाट समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं. कांग्रेस के कद्दावर नेता नाथूराम मिर्धा का अपने जमाने में मारवाड़ा से लेकर पूरे प्रदेश में बहुत दबदबा रहा हैं. ज्योति मिर्धा ने अपने राजनीति के करियर की शुरुआत 2009 के लोकसभा चुनाव से की थी. यहां से ज्योति सांसद का चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची थी. ज्योति मिर्धा ने मेडिकल की छात्रा रहीं है. ज्योति ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की हैं. 2009 में लोकसभा जीतने के बाद 2014 में मोदी लहर के कारण वो चुनाव हार गई थी. 2014 में बीजेपी के सीआर चौधरी, और 2019 में आर एल पी के हनुमान बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा का हराया था.