Israel-Iran conflict: अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने रूस की राजधानी मॉस्को दौरे पर है। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान अरागची ने अमेरिका पर हमला बोला, तो वहीं रूस ने कहा कि वह ईरान की मदद के लिए हमेशा तैयार है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन, जो खुद तीन साल से युद्ध में फंसे हैं उनकी ओर से यह एक बहुत बड़ा बयान है। ईरान विदेश मंत्री अरागची का यह दौरा न सिर्फ दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक रिश्तों को दिखाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि ईरान अब रूस से सैन्य सहायता, हवाई रक्षा प्रणाली की मांग कर सकता है। अमेरिका ने ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान जैसे परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है। जिसके बाद ईरान अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन जुटाने की कोशिश में जुट गया है।
पुतिन मे दिया मदद का भरोसा
बता दें कि रूस, तेहरान का पुराना सहयोगी दोस्त है और वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो मेंबर के रूप में पश्चिम के साथ ईरान की परमाणु वार्ता में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही उसने पहले परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर भी किए थे, जिसे ट्रंप ने 2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान छोड़ दिया था।

रूस ने दिया मध्यस्थता का ऑफर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के शीर्ष नेतृत्व ने हाल ही में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की संभावित हत्या और सत्ता परिवर्तन को लेकर सार्वजनिक रूप से अटकलें लगाई हैं। रूस को डर है कि कदम मिडिल ईस्ट गंभीर संकट की ओर जा सकता है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जहां इजरायली हमलों की कड़ी निंदा की है, वहीं अब तक उन्होंने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी बमबारी को लेकर कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं दिया है। हालांकि, पिछले सप्ताह पुतिन ने क्षेत्र में शांति की अपील करते हुए कहा था कि मौजूदा तनाव को बातचीत के ज़रिए हल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि रूस ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार है।

ईरान मांग सकता है ब्रह्मास्त्र (S-400)
13 जून को इजरायल ने एक बार फिर ईरान पर हमला कर दुनिया का ध्यान पश्चिम एशिया की ओर खींच लिया। इस हमले ने न सिर्फ ईरान की सुरक्षा तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि उसके एयर डिफेंस सिस्टम की गंभीर कमजोरियों को भी उजागर कर दिया। खासतौर पर रूस निर्मित S-300 हवाई रक्षा प्रणाली, जिस पर ईरान लंबे समय से भरोसा कर रहा था, इस हमले में नाकाम साबित हुई। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायली मिसाइलें इस सिस्टम को पार कर आसानी से ईरानी ठिकानों को निशाना बनाने में सफल रहीं है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि S-300 अब पुराने पड़ चुके हैं और आधुनिक युद्ध तकनीकों के सामने टिक नहीं पा रहे।
ऐसा माना जा रहा है कि अरागची रूस से एडवांस्ड S-400 डिफेंस सिस्टम की मांग कर सकते हैं। यह वही डिफेंस सिस्टम है जो भारत भी इस्तेमाल करता है। अगर रूस ईरान को S-400 उपलब्ध कराता है, तो यह इजरायल के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। अब तक इजरायल जिस तरह जब चाहे ईरानी हवाई क्षेत्र में घुसकर ऑपरेशन अंजाम देता रहा है, वह रणनीति मुश्किल में पड़ सकती है। S-400 की मौजूदगी इजरायली विमानों की घुसपैठ को रोक सकती है, ठीक उसी तरह जैसे पाकिस्तान के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान भारतीय S-400 की तैनाती ने उसे सीमा पार करने से रोका था।
वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा : रूस
रविवार को अमेरिका के एक बॉम्बर एयरक्राफ्ट ने ईरान पर हवाई हमला कर एक बार फिर क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है। इस हमले की रूस ने कड़ी निंदा की है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर व अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन करार दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “किसी संप्रभु राष्ट्र पर मिसाइल और बमबारी के जरिए हमला करना न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा भी है। विशेष रूप से यह चिंताजनक है कि इस तरह की कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक स्थायी सदस्य देश द्वारा की गई है।”