Anil Ambani News : रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी (Anil Ambani) अपने समूह की कंपनियों के खिलाफ करोड़ों रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी मामलों से जुड़े धन शोधन के एक मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। अंबानी पूर्वाह्न करीब 10 बजकर 50 मिनट पर मध्य दिल्ली स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंचे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निदेशालय 66 वर्षीय व्यवसायी का बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज कर रहा है। ईडी ने बड़े बैंक ‘धोखाधड़ी’ मामलों में मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार अंबानी के खिलाफ एक ‘लुकआउट सर्कुलर’ (एलओसी) जारी किया है। साथ ही, इस जांच के तहत उनके समूह के कुछ अधिकारियों को भी इस सप्ताह पूछताछ के लिए तलब किया गया है।
#WATCH | Delhi: Anil Ambani reaches the Enforcement Directorate office after being summoned for questioning as part of ED's ongoing probe into an alleged Rs 17,000-crore loan fraud case. pic.twitter.com/IBZmhZiJmn
— ANI (@ANI) August 5, 2025
68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी देने के आरोप में गिरफ्तार
इसी से जुड़े एक मामले में, ईडी ने हाल में ओडिशा की एक कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) पार्थ सारथी बिस्वाल को अनिल अंबानी समूह की एक कंपनी के लिए 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान बिस्वाल और अंबानी को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की जा सकती है। यह कार्रवाई रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर इंफ्रा) सहित अनिल अंबानी की कई कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं और 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण की राशि के हेरफेर से संबंधित है। पहला आरोप 2017 और 2019 के बीच येस बैंक द्वारा अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ‘‘अवैध’’ ऋण के गलत इस्तेमाल से संबंधित है।
सूत्रों ने बताया कि ईडी को संदेह है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले येस बैंक के प्रवर्तकों ने अपनी कंपनियों में धन प्राप्त किया था। एजेंसी रिश्वत और ऋण के इस गठजोड़ की जांच कर रही है। सूत्रों ने बताया कि ईडी इन कंपनियों को येस बैंक द्वारा ऋण स्वीकृतियों में घोर उल्लंघनों के आरोपों की भी जांच कर रहा है, जिसमें बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए पिछली तारीख के ऋण अनुमोदन ज्ञापन और बिना किसी उचित जांच/ऋण विश्लेषण के प्रस्तावित निवेश जैसे आरोप शामिल हैं। कथित तौर पर इन ऋणों को संबंधित संस्थाओं द्वारा कई समूह कंपनियों और शेल (मुखौटा) कंपनियों में भेजा गया। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी कमजोर वित्तीय स्थिति वाली संस्थाओं को दिए गए ऋणों, ऋणों के उचित दस्तावेजीकरण और उचित जांच-पड़ताल की कमी, समान पते वाले उधारकर्ताओं और उनकी कंपनियों में समान निदेशकों आदि के कुछ मामलों की भी जांच कर रही है।
उन्होंने कहा कि धन शोधन का यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की कम से कम दो प्राथमिकी और राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ईडी के साथ साझा की गई रिपोर्ट से सामने आया है। सूत्रों ने कहा कि ये रिपोर्ट संकेत देती हैं कि यह बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर जनता के धन का हेरफेर करने या गबन करने की एक सुनियोजित और सोची-समझी साजिश थी। सेबी की एक रिपोर्ट के आधार पर ईडी जिस दूसरे आरोप की जांच कर रही है, उसके अनुसार आर इंफ्रा ने सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से रिलायंस समूह की कंपनियों में अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में गुप्त धनराशि का हेरफेर किया। आरोप है कि आर इंफ्रा ने शेयरधारकों और ऑडिट समिति से अनुमोदन से बचने के लिए सीएलई को अपनी ‘‘संबंधित पार्टी’’ के रूप में नहीं दर्शाया।