Saturday, July 26, 2025
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Land Pooling Policy : पंजाब मंत्रिमंडल ने ‘लैंड पूलिंग’ नीति में संशोधन को मंजूरी दी, हर साल राशि में 10 प्रतिशत की वृद्धि मिलेगी

Land Pooling Policy : चंडीगढ़। पंजाब मंत्रिमंडल ने मंगलवार को ‘लैंड पूलिंग’ नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने योजना के खिलाफ कथित दुष्प्रचार करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की। मान ने विपक्ष के इस आरोप का खंडन किया कि यह योजना किसानों से उनकी जमीन छीन लेगी और दावा किया कि कृषक समुदाय को यह नीति ‘पसंद’ आ रही है। पंजाब मंत्रिमंडल ने पिछले महीने ‘लैंड पूलिंग’ नीति को मंजूरी दी थी और तब कहा था कि भूमि मालिकों से एक गज भी जमीन जबरन अधिग्रहित नहीं की जाएगी। यहां कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मान ने कहा कि विपक्षी दलों का यह दावा निराधार है कि भूमि को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री नहीं होगी।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, उदाहरण के लिए, यदि 140 एकड़ भूमि पर शहरी संपदा विकसित की जानी है और 15 एकड़ भूमि के मालिक इसके लिए अपनी जमीन नहीं देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसान (जिनके पास 15 एकड़ जमीन है, वह) ऋण नहीं ले सकते या अपनी जमीन गिरवी नहीं रख सकते। मान ने कहा कि जब तक भूमि पर शहरी विकास कार्य शुरू नहीं हो जाता, तब तक ‘लैंड पूलिंग’ योजना का विकल्प चुनने वाले किसान उस पर खेती कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा भूमि पर कब्जा लेने के बाद किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रुपये मिलेंगे। मान ने किसानों के सुझावों के बाद नीति में किए गए संशोधनों का जिक्र करते हुए कहा, ‘यदि भूमि विकास में एक वर्ष से अधिक समय लगता है, तो किसानों को हर साल (एक लाख रुपये की) राशि में 10 प्रतिशत की वृद्धि मिलेगी।’

मान ने ‘लैंड पूलिंग’ नीति को आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की ऐतिहासिक नीति बताया और कहा कि यह ऐसी नीति है जिसमें किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘बल्कि, वे (किसान) इस योजना के भागीदार बन रहे हैं। उन्हें यह नीति पसंद आ रही है।’ राज्य सरकार ने पहले कहा था कि लैंड पूलिंग नीति के तहत, भूमि मालिक को एक एकड़ भूमि के बदले में 1,000 वर्ग गज का आवासीय भूखंड और पूरी तरह से विकसित भूमि में 200 वर्ग गज का व्यावसायिक भूखंड दिया जाएगा।

मान ने कहा कि यदि कोई किसान 200 वर्ग गज का व्यावसायिक प्लॉट नहीं लेना चाहता है तो उसे 600 वर्ग गज का अतिरिक्त आवासीय भूखंड दिया जाएगा। मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने कहा कि किसान आशय पत्र के आधार पर ऋण प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, किसानों को कोई वित्तीय नुकसान नहीं होगा। ‘आप’ सरकार विपक्षी दलों की आलोचना का सामना कर रही है, जिन्होंने ‘लैंड पूलिंग’ नीति को किसानों की ज़मीन ‘लूटने’ की एक ‘लूट’ योजना करार दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा समेत कई किसान संगठनों ने भी इस योजना का विरोध किया है। पिछले महीने नीति को मंजूरी देने के बाद मान ने कहा था कि इसे राज्य भर में पारदर्शी और योजनाबद्ध शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।

गढ़चिरौली को विकास से दूर रखने के लिए ‘शहरी नक्सली’ कर रहे विदेशी धन का इस्तेमाल : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

गढ़चिरौली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि राज्य के बाहर के ‘शहरी नक्सली’ अफवाहें फैलाने और गढ़चिरौली के लोगों को विकास के रास्ते से दूर रखने के लिए विदेशी धन का इस्तेमाल कर रहे हैं। फडणवीस गढ़चिरौली जिले में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद कोंसारी स्थित ‘लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड’ में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गढ़चिरौली में नक्सलवाद कम हो रहा है और यहां के जंगलों में बहुत कम नक्सली बचे हैं जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है। मुख्यमंत्री ने नक्सलियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की। उन्होंने आगाह किया कि हालांकि ऐसे समय में जब सशस्त्र नक्सलियों की संख्या घट रही है, ‘शहरी नक्सलवाद’ बढ़ रहा है।

शहरी नक्सलियों’ के प्रति सतर्क रहने की जरूरत : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा, हमें ‘शहरी नक्सलियों’ के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है, जो गलत सूचनाएं फैला रहे हैं। फडणवीस ने कहा कि जब गढ़चिरौली ने प्रगति करना शुरू किया और यहां एक इस्पात संयंत्र की आधारशिला रखी गई, तो अगले ही दिन सोशल मीडिया पर एक अभियान और पोस्ट शुरू हो गए, जिसमें दावा किया गया कि आदिवासियों की हत्या की जा रही है और उनकी जमीन पर इस्पात संयंत्र का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अभियान में यह भी दावा किया गया कि बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि अचानक ऐसा अभियान कैसे शुरू हो गया, जबकि सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया था और वह सभी को साथ लेकर विकास की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुलिस विभाग और गढ़चिरौली के आईजी संदीप पाटिल से यह पता लगाने को कहा कि वे लोग कौन हैं।

फडणवीस ने कहा, आपको जानकर हैरानी होगी कि ये लोग महाराष्ट्र के नहीं थे। दो लोग कोलकाता में बैठे थे, और दो बेंगलुरु में, और ये लोग विदेशी फंडिंग पर काम कर रहे थे। ये लोग इस पैसे का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट के जरिए लोगों को संविधान के खिलाफ भड़काने के लिए कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके जैसे कुछ लोग (शहरी नक्सली) लोगों को विकास से दूर रखने के लिए अफवाहें फैलाकर उनके बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

MIG-21: भारतीय वायुसेना की ताकत से ‘उड़न ताबूत’ तक का सफर, 62 साल बाद रिटायर हो जाएगा MIG-21, जानें क्यों है इतना खास

MIG-21 Retirement: भारतीय वायुसेना का सबसे पुराना लड़ाकू विमान मिग-21 इतिहास बनने जा रहा है. मिग-21 ने 62 साल तक देश की हवाई ताकत को मजबूती दी. अब IAF ने इस लड़ाकू विमान को रिटायर करने का फैसला लिया है. चंडीगढ़ एयरबेस पर 23 स्क्वाड्रन(पैंथर्स) एक विशेष समारोह में इस विमान को विदाई देगा. बार-बार हादसों का शिकार होने के कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ भी कहा जाने लगा.

मिग-21 के रिटायर होने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत 29 स्क्वाड्रनों तक सिमट जाएगी, जो 1965 के युद्ध के समय से भी कम है. भारतीय वायु सेना से 19 सितंबर 2025 को मिग-21 विमानों की विदाई होगी, इसकी के साथ ही इनकी जगह अब तेजस MK1A लड़ाकू विमान लेंगे, जिनका निर्माण भारत में ही किया गया है.

MK1A लेंगे MIG-21 की जगह

बता दें कि इंडियन एयरफोर्स के पास अभी 36 मिग-21 बचे हैं. IAF रूस में बने इन विमानों की शेष स्क्वाड्रनों को सितंबर माह में रिटायर करने जा रही है. दशकों तक देश की हवाई ताकत को मजबूत करने वाले ये विमान अब सेवा से हटाए जा रहे हैं. इनकी जगह अब स्वदेशी रूप से विकसित तेजस MK1A लड़ाकू विमान वायु सेना की नई ताकत बनेंगे.

क्या है मिग-21 फाइटर जेट की खासियत

मिग-21 एक हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है. इंडियर एयरफोर्स ने पहली बार 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था. और तब से यह लंबे समय तक भारत की वायु शक्ति की रीढ़ बना रहा. सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने इसे 1959 में बनाना शुरू किया था. यह विमान 18 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है. ये हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और बम को अपने साथ ले जाने में सक्षम है. भारतीय वायुसेना(IAF)ने 1965 और 1971 में हुई भारत पाक युद्ध में इन फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया था. इन्हें वायुसेना की रीढ़ माना जाता था, लेकिन इनकी खामियों के कारण भी इंडियन एयरफोर्स को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा.

मिग-21 कई अहम युद्धों का रहा हिस्सा

मिग-12 को भारतीय वायुसेना की रीढ़ कहा जाता था. यह लड़ाकू विमान कई युद्धों का गवाह बना. 1965 के भारत पाक युद्ध में पहली बार मिग-21 जंग के मैदान में उतरा और पाकिस्तान के विमानों को टक्कर दी. 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इससे पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए. 1999 के कारगिल युद्ध में रात के समय उड़ान भर दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया. साल 2019 में जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ एयरस्ट्राइक की थी, इसी दौरान ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 से अमेरिका निर्मित F-16 फाइटर जेट को मार गिराया था. साल 2025 में ऑपरेशन सिंदूर में मिग-21 आखिरी बार शामिल हुआ.

मिग-21 को क्यों कहा जाता है उड़ता ताबूत

रूस में बनाए गए इन विमानों में खामियां के कारण यह क्रैश हो जाते हैं. जिसके कारण 1985 में रूस ने अपनी वायुसेना से इन लड़ाकू विमानों को रिटायर कर दिया था, रूस से यह विमान बांग्लादेश ने भी खरीदे थे और उन्होंने ने भी अपनी वायुसेना से मिग -21 को हटा दिया था. कई बार हादसों का शिकार होने की वजह से इसे ‘उड़ता ताबूत’ फ्लाइंग कॉफिन’ कहा जाने लगा.

ये भी पढ़ें: Jagdeep Dhankhar Resignation: ‘BJP-RSS या प्रधानमंत्री को पता होगी सच्चाई’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर अशोक गहलोत बोले-‘राजस्थान वासियों को बहुत धक्का लगा’

Dap Fertilizer : अनुप्रिया पटेल बोली- स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए अप्रैल-जून में करीब 10 लाख टन डीएपी का आयात किया गया

Dap Fertilizer : नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 9.74 लाख टन डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का आयात किया गया। रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न कंपनियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चालू वर्ष के लिए डीएपी आयात के आंकड़े पेश किए।

आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अप्रैल में 2.89 लाख टन, मई में 2.36 लाख टन और जून में 4.49 लाख टन डीएपी का आयात किया। वित्त वर्ष 2024-25 में 45.69 लाख टन डीएपी का आयात किया गया जबकि 2023-24 में यह मात्रा 55.67 लाख टन; 2022-23 में 65.83 लाख टन; 2021-22 में 54.62 लाख टन और 2020-21 में 48.82 लाख टन रही।

2025 की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता : अनुप्रिया पटेल

पटेल ने कहा, सरकार खरीफ 2025 की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है… 2025 खरीफ सीजन के दौरान रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी अधिक है, जिसका कारण बुवाई का विस्तृत क्षेत्र और अनुकूल मानसून है।

उन्होंने कहा, उर्वरकों की मांग (आवश्यकता) और उत्पादन के बीच के अंतर को आयात के जरिए पूरा किया जाता है। इसके अलावा, भू-राजनीतिक कारकों के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के प्रभाव को कम करने के लिए, उर्वरक कंपनियों ने निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने की खातिर डीएपी उत्पादक देशों के साथ दीर्घकालिक व्यवस्था की है। वर्ष 2024-25 में यूरिया का आयात 56.47 लाख टन जबकि 2023-24 में 70.42 लाख टन ; 2022-23 में 75.80 लाख टन; 2021-22 में 91.36 लाख टन और 2020-21 में 98.28 लाख टन रहा।

India-US Trade Agreement: भारत अमेरिका ने व्यापार समझौते के लिए 5वें दौरे की वार्ता पूरी, संसद को दी गई यह जानकारी

India-US Trade Agreement: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए मार्च 2025 में शुरू वार्ता के अब तक पांच दौर पूरे हो चुके हैं। सरकार ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी दी। वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच अब तक 12 दौर की वार्ता हो चुकी है।

अंतिम दौर की वार्ता 7 से 11 जुलाई तक ब्रसेल्स में आयोजित की गई थी। प्रसाद ने बताया, भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर वार्ता मार्च 2025 में शुरू की गई थी। वार्ता के पांच दौर हो चुके हैं, जिनमें से अंतिम वार्ता 14 से 18 जुलाई तक वाशिंगटन में हुई थी। मंत्री ने एक अलग प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि पिछले पांच वर्षों में बौद्धिक संपदा (आईपी) फाइलिंग 2020-21 में 4,77,533 से 44 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 में 6,89,991 हो गई हैं।

उन्होंने बताया कि सबसे अधिक वृद्धि भौगोलिक संकेतक (जीआई) में देखी गई, जिसमें 380 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसके बाद डिजाइन (266 प्रतिशत), पेटेंट (180 प्रतिशत), कॉपीराइट (83 प्रतिशत), ट्रेडमार्क (28 प्रतिशत) और सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट-डिजाइन (एसआईसीएलडी) में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हस्तशिल्प, कृषि और खाद्य जैसे क्षेत्रों में अब तक 697 जीआई पंजीकरण जारी किए जा चुके हैं।

Mumbai Train Blasts : 12 आरोपियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महाराष्ट्र सरकार, 24 जुलाई को होगी सुनवाई

Mumbai Train Blasts : उच्चतम न्यायालय 11 जुलाई 2006 को मुंबई में कई ट्रेन में किए गए सात बम धमाकों के मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर 24 जुलाई को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के फैसले के खिलाफ राज्य की अपील का तत्काल सुनवाई के अनुरोध का संज्ञान लिया और कहा कि बृहस्पतिवार को सुनवाई की जाएगी।

मेहता ने कहा, यह गंभीर मामला है। एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) तैयार है। कृपया इसे कल सूचीबद्ध करें। मामला जरूरी है… अब भी कुछ अहम पहलुओं पर गौर किया जाना बाकी है। मुंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष अपराध को साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा और ‘‘यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने अपराध किया है।’’

उच्च न्यायालय का यह फैसला मुंबई पश्चिमी रेलवे नेटवर्क को हिला देने वाले आतंकवादी हमले के 19 साल बाद आया। इस हमले में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे।

Bihar Election 2025 : निर्वाचन आयोग ने एसआईआर सही ठहराया, कहा- मतदाता सूची से ‘अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर’ चुनाव की शुचिता बढ़ाता है

Bihar Election 2025 : निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को उचित ठहराते हुए कहा है कि यह सूची से ‘‘अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर’’ चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है। बिहार से शुरू कर पूरे भारत में मतदाता सूची के एसआईआर का निर्देश 24 जून को दिया गया। इस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि कानूनी चिंताओं के बावजूद आयोग एसआईआर-2025 प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए आधार, मतदाता कार्ड और राशन कार्ड पर पहले से ही विचार कर रहा है।

एक अपात्र व्यक्ति को मतदान का कोई अधिकार नहीं : चुनाव आयोग

आयोग ने एक विस्तृत हलफनामे में कहा, ‘एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाकर चुनावों की शुचिता बढ़ाती है। मतदान का अधिकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धाराओं 16 और 19 के साथ अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62 से प्राप्त होता है जिसमें नागरिकता, आयु और सामान्य निवास के संबंध में कुछ पात्रताओं की बात की गई है। एक अपात्र व्यक्ति को मतदान का कोई अधिकार नहीं है और इसलिए वह इस संबंध में अनुच्छेद 19 और 21 के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता।’

इसमें शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के उस आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें निर्वाचन आयोग से एसआईआर-2025 के लिए आधार, मतदाता और राशन कार्ड पर विचार करने को कहा गया था। इसमें कहा गया है, …आयोग इन दस्तावेजों पर वास्तव में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए पहले से ही विचार कर रहा है। ईसीआई ने कहा, ‘‘एसआईआर आदेश के तहत जारी किए गए गणना प्रपत्र के अवलोकन से पता चलता है कि गणना प्रपत्र भरने वाला व्यक्ति आधार संख्या स्वेच्छा से दे सकता है। ऐसी जानकारी का उपयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) और आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा नौ के अनुसार पहचान के उद्देश्य से किया जाता है।

मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाया गया है : चुनाव आयोग

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) में प्रावधान है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के अनुसार उस व्यक्ति से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया आधार नंबर मांग सकता है। साथ ही 2016 के अधिनियम की धारा नौ कहती है कि आधार नंबर नागरिकता या निवास आदि का प्रमाण नहीं है।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि बिहार से अस्थायी रूप से अनुपस्थित प्रवासियों को छोड़कर प्रत्येक मौजूदा मतदाता को बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा उनके घरों पर व्यक्तिगत रूप से पहले से भरे हुए उनके गणना प्रपत्र उपलब्ध कराए जाते हैं। उसने कहा, प्रत्येक मौजूदा मतदाता को अपने निवास स्थान पर बीएलओ को पात्रता प्रमाण सहित सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने का समान अवसर मिलता है। …पिछले सभी एसआईआर में भी यही पद्धति अपनाई गई है। इसके अलावा, बीएलओ, बीएलए (बूथ स्तरीय एजेंट) और स्वयंसेवक उन सभी वास्तविक मतदाताओं को पात्रता दस्तावेज प्राप्त करने में सक्रिय रूप से सहायता कर रहे हैं जिन्हें सहायता की आवश्यकता है…।

बिहार में 7.9 करोड़ मतदाताओं को कवर किया : चुनाव आयोग

आयोग ने न्यायालय को बताया कि 18 जुलाई तक बिहार में 7,89,69,844 मौजूदा मतदाताओं में से 7,11,72,660 मतदाताओं (90.12 प्रतिशत) से गणना प्रपत्र पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं। इसमें कहा गया, मृत व्यक्तियों, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं और एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत लोगों को ध्यान में रखते हुए एसआईआर के प्रपत्र संग्रह चरण के दौरान बिहार में लगभग 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 94.68 प्रतिशत को प्रभावी रूप से कवर किया है। बीएलओ द्वारा कई बार घर पर जाने के बावजूद जिन मतदाताओं का पता नहीं चल पाया है, वे कुल मतदाताओं का मात्र 0.01 प्रतिशत हैं। अठारह जुलाई, 2025 तक केवल 5.2 प्रतिशत मतदाता ही 25 जुलाई की समय सीमा से पहले प्रपत्र जमा करने के लिए शेष हैं।

Jagdeep Dhankhar Resignation: ‘BJP-RSS या प्रधानमंत्री को पता होगी सच्चाई’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर अशोक गहलोत बोले-‘राजस्थान वासियों को बहुत धक्का लगा’

Ashok Gehlot On Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा देकर पूरे देश को चौंका दिया है, वहीं राजनीति में भी भूचाल ला दिया है. उनके इस्तीफे पर सत्ता पक्ष ने चुप्पी साध रखी है, तो वहीं विपक्ष इस पर लगातार सवाल खड़े कर रहा है. इस बीच धनखड़ के इस्तीफे पर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को चौंकाने वाली घटना बताया है, गहलोत ने कहा कि ‘दबाव में काम करने वाला व्यक्ति ही इस प्रकार से चौंकाने वाला इस्तीफा दे सकता है.’ गहलोत ने यह भी कहा कि धनखड़ के इस्तीफे से राजस्थान वासियों को गहरा धक्का लगा है.

ये घटना पूरे देश को चौंकाने वाली: गहलोत

गहलोत ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा, ‘ये घटना पूरे देश को चौंकाने वाली है इसमें कोई दोराय नहीं है. क्योंकि आजादी के बाद उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा पहली बार हुआ है. इस्तीफे के लिए बताए गए कारणों में किसी को भी सच्चाई नजर नहीं आ रही है.

इस्तीफे से राजस्थान वासियों को बहुत धक्का लगा : गहलोत

उन्होंने कहा, ‘धनखड़ साहब राजस्थान के हैं तो उनके इस्तीफे से राजस्थान वासियों को बहुत धक्का लगा. क्योंकि वह किसानों की बात संसद के अंदर व बाहर लगातार उठाते रहे हैं. थोड़े दिन पहले ही उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री को खरी खोटी भी सुनाई. 10 जुलाई को ही उन्होंने कहा कि मैं 2027 तक सेवानिवृत्त हो जाऊंगा.’

‘सभापति व लोकसभा अध्यक्ष दोनों दबाव में काम कर रहे’

पूर्व सीएम गहलोत ने कहा, ‘जोधपुर में मैंने 10 दिन पहले कहा था कि राज्यसभा के सभापति व लोकसभा अध्यक्ष दोनों राजस्थान से हैं और दोनों दबाव में काम कर रहे हैं. वह सच्चाई सामने आ गई. अब दबाव में काम करने वाला व्यक्ति ही इस प्रकार से चौंकाने वाला इस्तीफा दे सकता है. ये मेरा मानना है. गहलोत के अनुसार हालांकि, धनखड़ ने बाद में किसी तरह के दबाव में होने का खंडन किया था.

‘BJP और RSS को पता इस्तीफे की सच्चाई’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘अब असली बात क्या हुई है वह तो RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) वाले जानें या BJP वाले जानें. या प्रधानमंत्री को मालूम होगा. मेरे ख्याल से दोनों को ही मालूम होगा कि किन कारणों से इस्तीफा हुआ है. इस चौंकाने वाली घटना की सच्चाई तो आने वाले वक्त में ही सामने आएगी. मेरे उनके परिवार से 50 साल से संबंध रहे हैं. हम सबको बड़ा दुख हुआ कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया.’

जो सोचने-समझने लगा, बोलने लगा है वो अब बोझ है: डोटासरा

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने धनखड़ के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘भाजपा को न किसानों से कोई विशेष लगाव है, न ही उनके बेटों से. आजीवन संघर्ष करके भाजपा संगठन को सींचने वाले किसान के बेटों के लिए इनके दिलों में कोई स्थान नहीं है.’ डोटासरा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘हालांकि किसको पद पर बैठाना है, और किससे इस्तीफा लेना है, यह भाजपा का आंतरिक मामला है. लेकिन संकेत स्पष्ट हैं चाहे संगठन हो या संवैधानिक पद. जो सोचने-समझने लगा, बोलने लगा है वो अब बोझ है.’

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Bihar Election 2025 : आरजेडी का बड़ा दावा- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और नीतीश कुमार को हटाने की भाजपा की साजिश

Bihar Elections 2025 : बिहार में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मंगलवार को दावा किया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भाजपा द्वारा रची गई एक साजिश है, जिसका उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘हटाना’ है। हालांकि, राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी, राज्य सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया।

बीजेपी नीतीश कुमार से छुटकारा पाना चाहती है : RJD

नीतीश को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए ‘राजग का चेहरा’ घोषित किया गया है। विधानसभा में राजद के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने दावा किया, लंबे समय से, भाजपा नीतीश कुमार से छुटकारा पाकर अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। विधानसभा चुनावों से पहले वे हताश हो गए हैं, जिसमें राजग की हार निश्चित है।

शाहीन ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में दावा किया, लंबे समय से, भाजपा के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार को हटाने के पक्ष में बोलते रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने तो एक बार नीतीश कुमार को उप-प्रधानमंत्री बनाने की वकालत तक कर दी थी। इसलिए, यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि धनखड़ का इस्तीफा भाजपा की एक साजिश है, जिसका उद्देश्य उपराष्ट्रपति जैसा राजनीतिक रूप से महत्वहीन पद देकर नीतीश कुमार को हटाना है। दिवंगत सुशील कुमार मोदी ने एक बार आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति पद के लिए पैरवी कर रहे हैं और जब लोकसभा में बहुमत रखने वाली भाजपा ने जदयू अध्यक्ष को पद देने से इनकार कर दिया, तो वह राजग से बाहर हो गए थे।

2022 में जदयू ने तोड़ा था बीजेपी से नाता

नीतीश कुमार ने 2022 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था और उस पर जदयू को ‘तोड़ने’ की कोशिश करने का आरोप लगाया था, लेकिन पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने फिर से गठबंधन कर लिया, जिसके बाद उनकी पार्टी एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में उभरी, जिस पर अब भाजपा केंद्र में सत्ता में बने रहने के लिए निर्भर है।

इस बीच, जदयू के वरिष्ठ नेता श्रवण कुमार ने राजद नेता के दावे पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, नीतीश कुमार के बिहार छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। वह यहीं रहेंगे, विधानसभा चुनावों में राजग को जीत दिलाएंगे और राज्य की जनता की सेवा करते हुए एक और कार्यकाल लेंगे। धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।

Jagdeep Dhankhar: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर किया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, पीएम मोदी का भी सामने आया बयान

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है. धनखड़ ने 1 दिन पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंपा था. जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है. इस बीच पीएम मोदी ने सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है. जिसमें उन्होंने धनखड़ के उत्तम स्वास्थ्य की कामना की. उन्होंने लिखा,’जगदीप धनखड़ को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है. मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं.

धनखड़ ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा

जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को भेजे इस्तीफे में लिखा-‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता और चिकित्सीय सलाह का पालन करते हुए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं. उन्होंने लिखा- मेरे कार्यकाल के दौरान महामहिम राष्ट्रपति से मिले सहयोग और हमारे बीच बने सुखद और अद्भुत कामकाजी संबंधों के लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. मैं प्रधानमंत्री और सम्मानित मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. प्रधानमंत्री से मिला सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है, मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है. संसद के सभी सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह हमेशा मेरी यादों में रहेगा.

धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर विपक्ष उठा रहा सवाल

धनखड़ के अचानक से इस्तीफा देने को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया. कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ ने सोमवार को दोपहर 12.30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की थी. सोमवार दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर घटित हुआ था कि केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरेन रीजीजू कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में नहीं पहुंचे थे.

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