Thursday, February 6, 2025
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SEBI करेगा नीलामी

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नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) गैरकानूनी तरीके से निवेशकों से जुटाई गई राशि की वसूली के लिए 21 अगस्त को सनहैवेन एग्रो इंडिया और रविकिरण रियल्टी इंडिया समेत 7 कंपनियों की 15 संपत्तियों की नीलामी करेगा।

सेबी ने मंगलवार को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में यह जानकारी दी। इसके मुताबिक, इन्फोकेयर इन्फ्रा, भारत कृषि समृद्धि इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जीएसएचपी रियलटेक लिमिटेड, जस्ट-रिलायबल प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड और न्यूलैंड एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की भी कुछ संपत्तियों की नीलामी की जाएगी। सेबी ने कहा कि इन संपत्तियों की नीलामी के लिए 13 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य रखा गया है। इन संपत्तियों में पश्चिम बंगाल में स्थित जमीनों के अलावा आवासीय इमारत भी शामिल है। सेबी के मुताबिक, 7 कंपनियों एवं उनके निदेशकों और प्रवर्तकों से संबद्ध संपत्तियों की 21 अगस्त को ऑनलाइन नीलामी की जाएगी। नियामक ने इच्छुक बोलीकर्ताओं से अपने स्तर पर संपत्तियों के बारे में जांच-परख करने को कहा है।

इन संपत्तियों की नीलामी निवेशकों से गैरकानूनी रूप से जुटाए गए पैसे की वसूली के लिए की जा रही है। सेबी ने उन्हें सार्वजनिक निर्गम मानकों का पालन न करते हुए धन जुटाने का दोषी मानते हुए वसूली की यह कार्रवाई शुरू की है।

रेसलर्स यौन शोषण केस में बृजभूषण को जमानत

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  को राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत मिल गई है। समन मिलने के बाद मंगलवार (18 जुलाई) कोर्ट में पेश हुए बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  को 25 हजार रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत मिल गई। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी। कोर्ट ने बृजभूषण (Brij Bhushan Sharan Singh)  के अलावा WFI के निलंबित सचिव विनोद तोमर  (Vinod Tomar) को भी गुरुवार तक अंतरिम जमानत दी है। 

बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के वकील ने मीडिया ट्रायल का आरोप लगाया। इस पर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा कि वह उच्च न्यायालय या ट्रायल कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर सकते हैं। अदालत अर्जी पर उचित आदेश पारित करेगी। हालांकि, वकील ने इस संबंध में कोई अर्जी दाखिल नहीं की।

ओलंपियन विनेश फोगाट  (Vinesh Phogat), साक्षी मलिक (Sakshi Malik) और बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) समेत देश के कई शीर्ष पहलवानों ने WFI के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना दिया था। बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर  6 महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। जिसमें उनपर कई धाराएं लगाई गई थी।    

कोर्ट से समन मिलने के बाद बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  ने कहा था कि वह अदालत से जमानत की मांग करेंगे। पहले भी जब उन्हें समन किया गया था तब उन्होंने कहा था कि वह कोर्ट जाएंगे क्योंकि उन्हें किसी का डर या खौफ नहीं है। कोर्ट ने 7 जुलाई को बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के साथ-साथ विनोद तोमर  (Vinod Tomar) को भी 18 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।  

बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)  के खिलाफ 6 पहलवानों के उत्पीड़न के आरोप को लेकर चार्जशीट दाखिल की गई थी। दिल्ली पुलिस ने नाबालिग मामले में बृजभूषण (Brij Bhushan Sharan Singh)  को क्लीन चिट देने की बात कही थी। वहीं उनपर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 354 (महिला की शीलता भंग करना), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354 डी (पीछा करना) के तहत आरोप तय किए गए हैं। 

विपक्ष के नए गठबंधन के नाम का हुआ ऐलान

नई दिल्ली। विपक्ष के गठबंधन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। आपको बता दें अपने गठबंधन के नए नाम का ऐलान कर दिया है। यह गठबंधन NDA को टक्कर देगा। विपक्ष के इस नए गठबंधन का नाम INDIA यानि इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस (Indian National Democratic Inclusive Alliance) होगा। 

जलवायु परिवर्तन को रोकने में जी—20 देश फेल

शोध में हुआ ये बड़ा खुलासा

लिवरपूल। हाल ही लिवरपूल जॉन मूरेस यूनिवर्सिटी के एक शोध में ये बात निकलकर आई हैं कि, लोग अपनी व्यवस्तताओं में इतने उलझे हुए है कि, उन्हें जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचने और उससे बढ़ रहे संकट को समझने का समय ही नहीं हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि, जीवन की धीमी गति में बदलाव से प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने और हमारी ओर बढ़ रहे जलवायु संकट के प्रभाव को देखने का समय भी मिल सकता है। साथ में, ये परिवर्तन लोगों में वर्तमान समय में जलवायु जागरूकता लाने, कार्य करने की तात्कालिकता बढ़ाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए ग्रह को संरक्षित करने में मदद कर सकते हैं।
शोध के अनुसार राजनेताओं और पर्यावरण संगठनों ने लोगों के व्यवहार को प्रभावित करने और जलवायु संकट से निपटने के लिए वैसे तो करोड़ों रूपयों का निवेश करने का दावा किया है और निवेश हो भी रहा होगा। फिर भी जी—20 का कोई भी देश अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर नहीं है। शोध में इसकी वजह को लोगों के बीच ही से खंगाला है। शोधकर्ता अपना ध्यान लोगों की समय के प्रति धारणा और जलवायु परिवर्तन पर उनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के बीच संबंध पर केंद्रित कर रहे हैं।

शोधाकर्ताओं की खोज
शोधकर्ताओं द्वारा खोजे जा रहे मुख्य क्षेत्रों में से एक यह है कि, लोग जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए आवश्यक विशाल समय के पैमाने की व्याख्या कैसे करते हैं। लोग अपने जीवन के अनुभवों को अतीत, वर्तमान और भविष्य की मानसिक समयरेखा पर प्रस्तुत करते हैं। लेकिन वह समयरेखा उतनी सीधी नहीं है जितना आप सोच सकते हैं। किसी घटना की प्रकृति इस बात पर प्रभाव डाल सकती है कि कोई उसे अतीत या भविष्य में कितना करीब या दूर मानता है।
दर्दनाक अतीत की घटनाएँ तटस्थ घटनाओं की तुलना में समय के करीब या अधिक वर्तमान लग सकती हैं। हालांकि, लोग दूर के भविष्य में होने वाली नकारात्मक घटनाओं के खतरे को कम गंभीरता से लेते हैं और उन्हें वर्तमान के करीब की घटनाओं की तुलना में कम जोखिम भरा मानते हैं। यह आपके ठीक पीछे में हो रहा है जो लोग बाढ़, आग और अत्यधिक गर्मी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से सीधे पीड़ित हुए हैं, वे अक्सर जलवायु संकट को अपने वर्तमान के हिस्से के रूप में देखते हैं। जिन लोगों के जीवन पर अभी जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ना शुरू ही हुआ है, वे आने वाली आपदा के समय को दूर मानते हैं। उनके भविष्य पर अभी भी संकट है।
इसका मतलब यह नहीं है कि लोग तब तक कार्रवाई नहीं करेंगे जब तक कि उनके घर चरम मौसम से तबाह न हो जाएं। अब अत्यधिक स्थानीयकृत केंद्रित संचार रणनीतियां अधिक लोगों को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। हमें यह दिखाने के लिए विज्ञापन तैयार करने चाहिए कि, जलवायु परिवर्तन उनके शहर के लोगों, उनके स्थानीय सौंदर्य स्थलों को कैसे प्रभावित कर रहा है। समय की हमारी समझ को विकृत करना घड़ियां और कैलेंडर समय को मापने, रिकॉर्ड करने की प्रणाली हैं, जिससे समय एक वस्तुनिष्ठ अवधारणा की तरह प्रतीत होता है।


पहले ‘समय’ को समझना होगा

शोध से पता चलता है कि समय का हमारा अनुभव हमारी मानसिक समय रेखा की तरह व्यक्तिपरक है। उदाहरण के लिए, जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, समय के प्रति हमारी समझ बदल जाती है। परिणामस्वरूप अक्सर उम्र बढ़ने के साथ-साथ समय के तेजी से बीतने का एहसास होता है। विचार, भावनाएं और कार्य समय के हमारे अनुभव को भी प्रभावित करते हैं। जब हम उत्साहित, खुश और व्यस्त होते हैं तो यह आमतौर पर तेजी से गुजरता है, और जब हम दुखी, खिन्न और अलग-थलग होते हैं तो धीरे-धीरे गुजरता है। इसका मतलब यह है कि हम अपने मूड और हमारे जीवन में क्या चल रहा है, इसके आधार पर जलवायु संदेश के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

संकट के मुहाने पर खड़ा वर्तमान

शोधकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि

क्या सर्वनाशकारी बातें कार्रवाई को बढ़ावा देती हैं या शून्यवाद को। यह विचार करने योग्य है कि क्या लोग जलवायु कार्रवाई में अधिक संलग्न होंगे यदि हमने वर्तमान को सर्वनाश के मुहाने के रूप में दिखाया। संदर्भ ही सब कुछ है संस्कृति इस बात पर भी प्रभाव डालती है कि लोग समय को कैसे समझते हैं। अपनी आंखें बंद करें और अतीत, वर्तमान और भविष्य की मानसिक समय रेखा की कल्पना करें। क्या अतीत बायीं ओर है या दायीं ओर? यदि आप बाएं-दाएं पढ़ने-लिखने वाले परिवार में पले-बढ़े हैं, तो संभावना है कि अतीत बाईं ओर है और भविष्य दाईं ओर है। किंतु आप दाएं-बाएं पढ़ने-लिखने वाले परिवार में पले-बढ़े हैं तो अतीत दाईं ओर और भविष्य बाईं ओर होगा। इसी तरह, जबकि कुछ संस्कृतियों में भविष्य हमेशा आगे रहता है, दूसरों के लिए समय के प्रवाह की दिशा उस दिशा पर निर्भर करती है जिसका सामना कोई कर रहा है।

डिजिटल तकनीक जिम्मेदार
आप कौन हैं, कहां से आए हैं और क्या कर रहे हैं, इसके आधार पर समय अलग-अलग महसूस होता है। जबकि कई लोग पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार में संलग्न होने के लिए प्रेरित होते हैं, अगर हम चाहते हैं कि अधिक लोग बदलाव लाएं तो हमें अधिक जानकारीपूर्ण और सूक्ष्म तरीके से समय निर्धारित करने की आवश्यकता है। समय कीमती है समय दुर्लभ है। डिजिटल तकनीक कई लोगों के जीवन की गति को तेज कर रही है और इसका अर्थ है कि कुछ समूह व्यस्तता को सफलता के संकेतक के रूप में देखते हैं।
पर्यावरण अनुकूल व्यवहार से जुड़े समय के बोझ को कम करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें इस बात पर शोध करना चाहिए कि इस व्यवहार में कम समय कैसे लगे। इसका समाधान सामाजिक परिवर्तन हो सकता है। इसका मतलब समय के उत्पादकता आधारित मॉडल, जिसमें ‘‘समय ही पैसा है’’ और खाली समय दुर्लभ है, से हटकर हमारे शेड्यूल में जगह बनाने के लिए समय के साथ नरम संबंध बनाना हो सकता है।

CBI अदालत ने हरीश रावत सहित 4 नेताओं को दिए आदेश

देहरादून। वर्ष 2016 के ‘स्टिंग ऑपरेशन’ मामले में विशेष CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) अदालत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित 4 नेताओं को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए हैं।

विशेष न्यायाधीश, सीबीआई धमेंद्र अधिकारी ने सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता रावत, राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, द्वाराहाट से कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और स्टिंग करने वाले पत्रकार और अब खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए हैं।

आवाज के नमूने कब और कहां लिए जाएंगे, इसके बारे में CBI इन नेताओं को अलग से नोटिस जारी करेगी। इससे पहले, 15 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान उमेश शर्मा को छोड़कर अन्य सभी नेताओं के वकीलों ने इस आधार पर CBI के आवाज का नमूना लेने पर सवाल उठाए थे कि मामले से जुड़ी एक याचिका उत्तराखंड उच्च न्यायालय में लंबित है जिस पर 27 जुलाई को फैसला आना है।

वर्ष 2016 में 10 कांग्रेस विधायकों ने हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विद्रोह करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया था, जिसके बाद यह ‘स्टिंग ऑपरेशन’ सामने आया था। इस स्टिंग में सुनाई दे रही आवाजों के मिलान के लिए CBI ने अदालत से अनुमति मांगी थी।

स्टिंग के इस वीडियो में अपनी सरकार बचाने के लिए रावत असंतुष्ट विधायकों का समर्थन फिर हासिल कर सत्ता में बने रहने के लिए कथित तौर पर सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। वीडियो सामने आने के बाद, पहले से ही अस्थिर राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था।

उस वक्त कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद बनी परिस्थितियों में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय के आदेश पर विधानसभा में हुए शक्तिपरीक्षण में बहुमत हासिल करके रावत सरकार फिर बहाल हो गयी थी लेकिन इसमें बागी विधायकों को मत डालने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था।

अस्पताल में लगी आग, बच्चों को किया शिफ्ट

जयपुर। जेके लोन अस्पताल में ‘एसी डक्ट लाइन’ में सोमवार रात आग लगने के बाद लगभग 30 बच्चों को अन्य वार्डों में स्थानांतरित कर दिया गया। किसी के हताहत होने या घायल होने की सूचना नहीं है।

यह घटना सोमवार रात को हुई जब अस्पताल के कर्मचारियों ने 2 वार्डों की एसी डक्ट लाइन से धुआं निकलते देखा, जहां बच्चे भर्ती थे। अग्निशमन अधिकारियों को सतर्क किया गया हालांकि अस्पताल के कर्मचारियों ने खुद ही आग पर काबू पा लिया। अधीक्षक डॉ. कैलाश मीना ने कहा, ‘2 वार्डों की एसी डक्ट लाइन से धुआं निकलते देख रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ सतर्क हो गए। तुरंत, दोनों वार्डों से 30 बच्चों को स्थानांतरित कर दिया गया।’

उन्होंने कहा कि अस्पताल के कर्मचारियों ने अग्निशमन उपकरणों की मदद से खुद ही आग पर काबू पा लिया। धुआं देख दोनों वार्डों की बिजली और ऑक्सीजन आपूर्ति भी रोक दी गई। डॉ. मीना ने कहा कि मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई जाएगी, क्योंकि वार्ड का निर्माण हाल ही में हुआ है। ‘‘खामियां पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’’

राहुल गांधी की याचिका पर उच्चतम न्यायालय में होगी सुनवाई

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायलय ने गुजरात उच्च न्यायालय के 7 जुलाई के उस फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करने पर मंगलवार को सहमति जताई, जिसमें ‘‘मोदी उपनाम’’ संबंधी टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले में गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने याचिका को 21 जुलाई या 24 जुलाई को सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई।

पीठ ने कहा कि वह 21 जुलाई को मामले पर सुनवाई करेगी। गांधी ने 15 जुलाई को उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि यदि इस आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे ‘‘स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र वक्तव्य’’ का दम घुट जाएगा। गांधी ने अपनी याचिका में कहा कि यदि उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा।

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर गुजरात सरकार के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने गांधी के खिलाफ 2019 में आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए 2 साल जेल की सजा सुनाई थी।

मामले में फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गलत – गौतम अडाणी

नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी गौतम अडाणी ने मंगलवार को एक बार फिर कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गलत है और समूह को बदनाम करने के लिए आरोप लगाए गए थे। उन्होंने अपने समूह की कंपनियों की आम सभा (एजीएम) में कहा कि इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट उस समय प्रकाशित की, जब समूह भारत के इतिहास में सबसे बड़े अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) की योजना बना रहा था।

उन्होंने कहा, ”रिपोर्ट गलत सूचना और बेबुनियाद आरोपों को मिलाकर तैयार की गई थी, जिनमें से ज्यादातर आरोप 2004 से 2015 तक के थे।” अडाणी ने कहा, ”उन सभी आरोपों का निपटारा उस समय उपयुक्त अधिकारियों ने किया था। यह रिपोर्ट जानबूझकर और दुर्भावना के साथ तैयार की गई थी, जिसका मकसद हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और हमारे शेयरों की कीमतों में अल्पकालिक गिरावट से मुनाफा कमाना था।”

इस रिपोर्ट के बाद भी समूह के एफपीओ को पूरा अभिदान मिल गया था, लेकिन निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उनका धन वापस करने का फैसला किया गया। उन्होंने कहा, ”हमने तुरंत इसका एक व्यापक खंडन जारी किया, लेकिन निहित स्वार्थों के चलते कुछ लोगों ने शॉर्ट-सेलर के दावों से फायदा उठाने की कोशिश की। इन्होंने विभिन्न समाचारों और सोशल मीडिया मंचों पर झूठी कहानियों को बढ़ावा दिया।”

टर्मिनल के बनने से अंडमान और निकोबार द्वीप की यात्रा होगी सुगम – प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी

पोर्ट ब्लेयर। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यहां के वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नये एकीकृत टर्मिनल का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस टर्मिनल के बन जाने से अंडमान और निकोबार द्वीप की यात्रा सुगम हो जाएगी और विशेष रूप से इस क्षेत्र में पर्यटन को काफी बढावा मिलेगा। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परिसर में वी डी सावरकर की प्रतिमा का अनावरण किया और प्रतिष्ठान का दौरा किया। उनके साथ केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग और नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह भी थे।

नये टर्मिनल भवन का निर्माण लगभग 710 करोड़ रूपये की लागत से किया गया है। यह टर्मिनल अंडमान और निकोबार के संपर्क को बढावा देने में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह टर्मिनल लगभग 40 हजार आठ सौ वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। नये टर्मिनल भवन में सालाना लगभग 50 लाख यात्रियों के प्रबंधन की क्षमता है। एप्रोन अनुकूल 2 बोइंग-767-400 और 2 एयरबस-321 श्रेणी के विमान हवाई अड्डे पर 80 करोड रूपये की लागत से निर्मित किए गए हैं। इस तरह इस हवाई अड्डे में एक बार में 10 विमान को पार्किंग की सुविधा मिलेगी।

महिला पहलवानों ने जांच समिति की मंशा पर उठाए सवाल

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली जांच समिति की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

महिला पहलवानों ने मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र के आधार पर आरोप लगाया है कि जांच समिति बृजभूषण के खिलाफ पक्षपाती थी। बृजभूषण को उनके और WFI के सहायक सचिव विनोद तोमर के खिलाफ जारी समन के अनुपालन में मंगलवार को सुनवाई अदालत में पेश होना है।

WFI प्रमुख पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए केंद्र सरकार ने दिग्गज मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम के नेतृत्व में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। शिकायतकर्ताओं ने अलग-अलग बयान में आरोप लगाया कि जांच समिति बृजभूषण के प्रति पक्षपातपूर्ण नजर आती है, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सांसद भी हैं।

बृजभूषण के खिलाफ दायर 1,599 पन्नों के आरोप पत्र में 44 गवाहों के बयान के अलावा शिकायतकर्ताओं के 6 बयान शामिल हैं, जो दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-164 के तहत दर्ज किए गए थे। एक शिकायतकर्ता ने कहा, “जांच समिति के समक्ष अपना बयान देने के बाद मैं जब भी फेडरेशन कार्यालय गई, आरोपी ने मुझे घृणित और कामुक नजरों से देखा और गलत इशारे किए, जिससे मुझे असुरक्षित महसूस हुआ।”

उसने आरोप लगाया, “यहां तक कि जब मैं अपना बयान दे रही थी, तब भी वीडियो रिकॉर्डिंग बंद और शुरू की जा रही थी। मेरे अनुरोध के बावजूद समिति ने मुझे मेरे बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की प्रति नहीं दी। मुझे आशंका है कि मेरा पूरा बयान दर्ज नहीं किया गया होगा और आरोपियों को बचाने के लिए इससे छेड़छाड़ भी की गई होगी।” एक अन्य शिकायकर्ता ने दावा किया कि उसे उसकी सहमति के बिना ऐसे मामलों की जांच के लिए डब्ल्यूएफआई यौन उत्पीड़न समिति का सदस्य बनाया गया था। उसने कहा कि सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों के पास आंतरिक शिकायत समिति होनी चाहिए।

शिकायतकर्ता के मुताबिक, “मुझसे इस तरह की मंजूरी के बारे में सूचित करने के लिए कभी कोई औपचारिक संवाद नहीं किया गया, न ही भारतीय कुश्ती महासंघ की यौन उत्पीड़न समिति का हिस्सा बनने के लिए मेरी स्वीकृति के वास्ते मुझे कोई औपचारिक संवाद प्राप्त हुआ।’’ उसने कहा, “आरोपी ने आरोपी नंबर दो और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ साजिश करके जानबूझकर मेरी आवाज और उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को दबाने के लिए ऐसा किया है। उन्होंने मेरी सहमति या सर्वसम्मति के बिना मुझे उक्त समिति का हिस्सा बना दिया और अब आरोप लगा रहे हैं कि समिति की सदस्य होने के बावजूद मैं खुद पर पीड़ित होने का झूठा आरोप लगा रही हूं।”

इस शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जांच समिति ने उसे (बयान की) रिकॉर्डिंग मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराई। उसने कहा, “मुझे संदेह था कि वीडियो रिकॉर्डिंग के दौरान मेरा बयान पूरी तरह से रिकॉर्ड नहीं किया गया होगा या आरोपी को बचाने के प्रयास में इसे बदल दिया गया होगा। इसलिए मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग की एक प्रति देने का अनुरोध किया था। हालांकि, जांच समिति के सदस्यों ने मेरे अनुरोध को सीधे तौर पर ठुकरा दिया।”

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