Thursday, June 26, 2025
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Operation Sindhu: ईरान से 272 नागरिकों की सुरक्षित वापसी, 3 नेपाली को भी निकाला, सीजफायर के बाद भारतीय दूतावास ने बंद किया अभियान

Operation Sindhu: भारत ने इजराइल के साथ संघर्ष के बाद ईरान से 272 भारतीय और तीन नेपाली नागरिकों को निकाला है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। भारतीयों को लेकर एक विशेष विमान ईरानी शहर मशहद से आधी रात के बाद दिल्ली पहुंचा।

अब तक 3426 भारतीय नागरिकों ईरान से निकाला गया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ऑपरेशन सिंधु अपडेट: 272 भारतीय और 3 नेपाली नागरिकों को ईरान से एक विशेष विमान के जरिए निकाला गया, जो 26 जून को 00:01 बजे (25 जून आधी रात 12 बजे के बाद) मशहद से नयी दिल्ली पहुंचा। ऑपरेशन सिंधु के तहत 3426 भारतीय नागरिकों को ईरान से स्वदेश लाया गया है।

भारत ने बुधवार को ईरान से 296 भारतीय नागरिकों और चार नेपाली नागरिकों को निकाला था। भारत ने मंगलवार को ईरान और इजराइल से 1,100 से अधिक नागरिकों को निकाला था।उसने इजराइल से 594 भारतीयों की स्वदेश वापसी कराई जिनमें से 400 से अधिक के लिए भारतीय वायु सेना के सी-17 हेवी-लिफ्ट विमान का उपयोग किया गया। साथ ही, 161 भारतीयों को अम्मान से एक चार्टर्ड उड़ान में वापस लाया गया। वे सड़क मार्ग से इजराइल से जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे थे।

विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

विदेश मंत्रालय द्वारा साझा किए गए विवरणों के अनुसार, मंगलवार को दो चार्टर्ड उड़ानों में कुल 573 भारतीयों, तीन श्रीलंकाई और दो नेपाली नागरिकों को ईरान से निकाला गया। पिछले कई दिन में ईरान से निकाले गए भारतीय नागरिकों को कई अन्य उड़ानों से वापस लाया गया है। एक सप्ताह से अधिक समय पहले इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से दोनों देशों ने एक-दूसरे के शहरों और सैन्य तथा रणनीतिक ठिकानों पर सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन दागे हैं।

भारत ने 18 जून से ईरानी शहर मशहद, आर्मेनिया की राजधानी येरेवन और तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से संचालित चार्टर्ड उड़ानों के जरिए अपने नागरिकों को निकाला है। ईरान ने मशहद से तीन चार्टर्ड उड़ानों की सुविधा के लिए 20 जून को हवाई क्षेत्र प्रतिबंध हटा दिए थे।

SCO Summit : राजनाथ सिंह ने एससीओ के बयान पर हस्ताक्षर करने से किया मना, कहा- आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं

SCO Summit : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद के दोषियों, वित्तपोषकों व प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और इससे निपटने में दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान समर्थित सीमापार से जारी आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं करने के लिए एससीओ के बयान पर हस्ताक्षर नहीं करने का निर्णय लिया। मामले से परिचित लोगों ने बताया कि एससीओ आम सहमति के तहत काम करता है, लिहाजा दस्तावेज का समर्थन करने से सिंह के इनकार के परिणामस्वरूप एससीओ रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन संयुक्त वक्तव्य जारी किए बिना ही समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि सीमापार से जारी आतंकवादी गतिविधियों समेत आतंकवाद से निपटने के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है।

एससीओ समिट में शामिल हुए भारत सहित 9 देश

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आतंकवाद से निपटने के मामले में ‘दोहरा मापदंड नहीं’ होना चाहिए एससीओ सदस्य देशों को एकजुटता के साथ इस खतरे की निंदा करनी चाहिए। भारत और चीन के अलावा एससीओ में पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। पाकिस्तान का परोक्ष उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमापार आतंकवाद को नीतिगत साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। उन्होंने कहा, पहलगाम आतंकी हमले के दौरान, पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा, ‘पहलगाम हमले का तरीका भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकवादी हमलों के जैसा था। भारत की आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति उसके कार्यों से प्रदर्शित होती है।’ उन्होंने कहा, इस नीति में आतंकवाद से खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखा दिया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।

आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए : राजनाथ

राजनाथ सिंह ने कहा कि एससीओ सदस्यों को आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। उन्होंने इस खतरे से सभी रूपों में लड़ने के भारत के संकल्प की पुष्टि की। रक्षा मंत्री ने युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का भी आह्वान किया। सिंह ने कहा कि दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और साइबर हमलों से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये खतरे सभी देशों के सामने हैं और इनसे निपटने के लिए पारदर्शिता, आपसी विश्वास और सहयोग पर आधारित एकीकृत प्रयासों की जरूरत है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत, अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा व स्थिरता से संबंधित अपनी नीति पर अडिग रहा है। रक्षा मंत्री एससीओ रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ पहुंचे थे।

America Iran enmity : 8 दशकों से एक दूसरे के दुश्मन हैं अमेरिका और ईरान, न्यूक्लियर साइट पर बमबारी से शुरू हुआ शत्रुता का नया अध्याय

America Iran enmity : ईरान के परमाणु स्थलों पर हाल में हुए अमेरिकी हमलों के बाद दोनों देशों के रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है। यह अध्याय या तो बेहतर साबित हो सकता है या फिर और भी बुरा। लगभग आधी सदी के दौरान दुनिया ने दोनों देशों के बीच दुश्मनी के कई दौर देखे हैं। ईरान के लिए जहां अमेरिका सबसे बड़ा शैतान है तो वहीं अमेरिका की नजर में ईरान पश्चिम एशिया में फसाद की जड़ है।

हालांकि इस दौर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लहजे में एक बदलाव भी दिखा जब उन्होंने कहा, ईश्वर ईरान का भला करे। यह बदलाव इस सप्ताह ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका की भीषण बमबारी, कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ईरान के जवाबी लेकिन संयमित हमले और इजराइल-ईरान युद्ध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से किए गए अस्थायी युद्ध विराम के बाद आया है।

एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में पता चला है कि तीन ठिकानों पर अमेरिकी हमले से गंभीर क्षति हुई है, लेकिन वे नष्ट नहीं हुए हैं। यह रिपोर्ट ट्रंप के इस दावे के विपरीत है कि हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ‘नष्ट’ कर दिया। यहां दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव के बारे में कुछ प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं।

ट्रंप ने सभी को शुभकामनाएं क्यों दीं?

ट्रंप ने युद्ध विराम पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे उपलब्धि बताया और खुशी जताई। हालांकि तब तक इजराइल और ईरान पूरी तरह से युद्ध विराम पर सहमत नहीं हुए थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ईश्वर इजराइल का भला करे। ईश्वर ईरान का भला करे। उन्होंने पश्चिम एशिया, अमेरिका और विश्व को भी शुभकामनाएं दीं। जब यह स्पष्ट हो गया कि शत्रुता तुरन्त समाप्त नहीं हुई है, तो उन्होंने शपथ ग्रहण करना शुरू कर दिया।

जब यह स्पष्ट हो गया कि युद्ध तत्काल समाप्त नहीं हुआ है, तो उनके लहजे में फिर बदलाव आया और उन्होंने एक कड़ा बयान दिया। उन्होंने कैमरे के सामने कहा, दो देश इतने लंबे समय से और इतनी भीषण लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं। इस दौरान ट्रंप ने विशेष रूप से इजराइल की आलोचना की, जो अमेरिका का पक्का सहयोगी रहा है। इससे ऐसा प्रतीत हुआ कि ट्रंप को लगता है कि इजराइल को लड़ाई रोकने में उतनी रुचि नहीं है, जितनी ईरान को है।

अमेरिका-ईरान के संबंध इतने कड़वे क्यों रहे हैं।

बता दें कि साल 1953 में ईरान में तख्तापलट हुआ था, जिसे ब्रिटिश समर्थन से सीआईए ने अंजाम दिया था। ऑपरेशन एजैक्स के तहत ईरान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका गया और शाह मोहम्मद रजा पहलवी को सत्ता सौंप दी गई। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पश्चिमी देशों को ईरान में सोवियत संघ का प्रभाव बढ़ने और तेल उद्योग के राष्ट्रीयकरण का डर था।

शाह अमेरिका के रणनीतिक सहयोगी थे। उन्होंने अमेरिका के साथ ईरान के संबंध सुधारे। लेकिन उनके निरंकुश शासन और अमेरिका के हितों के आगे झुकने को लेकर ईरानियों के बीच शिकायतें बनी रहीं। ईरानियों के बीच पहलवी के शासन के खिलाफ 1979 में आक्रोश बढ़ गया, जिसके बाद इस्लामी क्रांति हुई। इसके बाद वह देश छोड़कर भाग गए और धर्मतंत्रवादी क्रांतिकारियों ने देश पर नियंत्रण कर लिया।

ईरानी क्रांति ने कैसे बढ़ाया तनाव?

ईरान में अमेरिका विरोधी भावनाएं चरम पर थीं, इस बीच नवंबर, 1979 को ईरानी छात्रों ने 66 अमेरिकी राजनयिकों व नागरिकों को बंधक बना लिया और उनमें से 50 से अधिक को 444 दिन तक बंधक बनाए रखा। अमेरिका और राष्ट्रपति जिमी कार्टर के लिए यह अपमानजनक बात थी। उन्होंने ईरान बंधक संकट के कुछ महीनों बाद एक गुप्त अभियान चलाने का आदेश दिया था।

ऑपरेशन ईगल क्लॉ के तहत नौसेना के आठ हेलीकॉप्टर और वायुसेना के छह विमानों को ईरान भेजा गया। हालांकि रेतीले तूफान के कारण एक हेलीकॉप्टर सी-120 के ईंधन भरने वाले विमान से टकराने के कारण आठ सैनिकों की मृत्यु हो गई और मिशन रद्द हो गया। साल 1980 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध टूट गए और अब भी टूटे हुए हैं। 20 जनवरी, 1981 को रोनाल्ड रीगन के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के कुछ ही मिनटों बाद ईरान ने बंधकों को रिहा कर दिया।

क्या इस सप्ताह का अमेरिकी हमला ईरान के विरुद्ध पहला हमला था?

इसका जवाब है नहीं। इससे पहले सबसे बड़ा हमला समुद्र में हुआ था। अमेरिकी नौसेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अपने सबसे बड़े हमले में 18 अप्रैल, 1988 को दो ईरानी जहाजों को डुबो दिया, एक जहाज को क्षतिग्रस्त कर दिया और दो निगरानी प्लेटफार्मों को नष्ट कर दिया।

‘ऑपरेशन प्रेइंग मेंटिस’ नामक अभियान के तहत की गई यह कार्रवाई चार दिन पहले फारस की खाड़ी में यूएसएस सैमुअल बी रॉबर्ट्स पर हुए हमले के जवाब में की गई थी। यूएसएस सैमुअल बी रॉबर्ट्स पर हुए हमले में दस नाविक घायल हो गए थे और विस्फोट से जहाज में एक बड़ा छेद हो गया था।

क्या अमेरिका ने ईरान-इराक युद्ध में किसी का पक्ष लिया?

इसका जवाब है आधिकारिक तौर पर नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका ने ऐसा किया। अमेरिका ने इराक को आर्थिक सहायता, खुफिया जानकारी और सैन्य तकनीक प्रदान की, क्योंकि उसे चिंता थी कि ईरान की जीत से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैल जाएगी और तेल आपूर्ति पर दबाव पड़ेगा। ईरान और इराक के बीच 1980 से 1988 तक चले युद्ध में कोई स्पष्ट रूप से विजेता बनकर नहीं उभरा। इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई, जबकि उसके बाद के वर्षों में अमेरिका-इराक संबंधों में भारी गिरावट आई।

Suryakumar Yadav ने जर्मनी में कराई सर्जरी, जानिए क्या होता स्पोर्ट्स हर्निया?

Suryakumar Yadav Hernia Surgery : भारतीय टीम के टी20 कप्तान सूर्यकुमार यादव का जर्मनी के म्युनिख में पेट के दायें ओर खेल हर्निया का सफल आपरेशन हुआ।

सूर्या ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

34 वर्ष के सूर्यकुमार ने बुधवार को अपने सोशल मीडिया हैंडिल पर लिखा, ‘लाइफ अपडेट : पेट के निचले दायें ओर खेल हर्निया की सर्जरी हो गई है । यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सफल आपरेशन के बाद अब मैं रिकवरी की राह पर हूं।’

खेल हर्निया कमर या पेट के निचले हिस्से में नरम ऊतकों की चोट है जिसमें अक्सर मांसपेशियां, कंडराएं या स्नायुबंधन शामिल होते हैं। जर्मनी में सर्जरी के बाद सूर्यकुमार बेंगलुरू में बीसीसीआई के उत्कृष्टता केंद्र पर रिहैबिलिटेशन शुरू करेंगे। भारत को अगस्त में बांग्लादेश दौरे पर तीन वनडे और तीन टी20 मैच खेलने हैं। सूर्यकुमार ने 2023 विश्व कप फाइनल के बाद से 50 ओवरों के प्रारूप में नहीं खेला है।

पिछेल तीन साल में हो चुके है तीन आपरेशन

यह तीन साल में सूर्यकुमार का तीसरा आपरेशन था। इससे पहले 2023 में उनके टखने का आपरेशन हुआ था और 2024 में खेल हर्निया की भी सर्जरी हुई थी। आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करने वाले सूर्यकुमार 2025 सत्र में ‘प्लेयर आफ द टूर्नामेंट’ रहे थे । उन्होंने 717 रन बनाये हालांकि मुंबई इंडियंस को प्लेआफ में दूसरे क्वालीफायर में पंजाब किंग्स ने हराया। मुंबई टी20 लीग में सूर्यकुमार ने ट्रायंफ नाइट्स मुंबई नॉर्थईस्ट की कप्तानी की।

Rahul Gandhi ने मुंबई सहित इन शहरों में घरों की बढ़ती कीमतों पर जताई चिंता, गरीबों से सपने देखने का अधिकार छीना

Rahul Gandhi News : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुंबई में घरों की कीमतें बढ़ने से संबंधित एक खबर का हवाला देते हुए गुरुवार को दावा किया कि अब गरीबों से सपना देखने का अधिकार भी छीन लिया गया है।

गरीब और मध्यम वर्ग के पास विरासत दौलत नहीं : राहुल गांधी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक समाचार पत्र की खबर साझा करते हुए पोस्ट किया, ‘हां, आपने सही पढ़ा – और अगर यकीन नहीं हो रहा, तो दोहरा देता हूं कि मुंबई में घर लेने के लिए भारत के सबसे अमीर पांच प्रतिशत लोगों को भी 109 साल तक अपनी आमदनी का 30 प्रतिशत बचाना पड़ेगा।’

उन्होंने कहा, यही हाल ज़्यादातर बड़े शहरों का है, जहां आप अवसर और सफलता की तलाश में एड़ियां घिस देते हैं। और, कहां से आएगी इतनी बचत? कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया, गरीब और मध्यम वर्ग की विरासत दौलत नहीं, जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे कि बच्चों की महंगी शिक्षा, महंगे इलाज की चिंता, माता-पिता की ज़िम्मेदारी या परिवार के लिए छोटी सी गाड़ी। फिर भी दिलों में रहता है एक सपना – ‘एक दिन’ एक घर होगा अपना!

हर परिवार की जरूरत है घर : राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि जब वह एक दिन अमीरों के लिए भी 109 साल दूर हो, तो समझिए गरीबों से सपनों का भी हक़ छीन लिया गया है। उनका कहना था, हर परिवार की ज़रूरत है, सुकून वाली चारदीवारी और सर ढकने वाली छत – मगर अफसोस कि आपकी पूरी जिंदगी की मेहनत और बचत से भी ज़्यादा है उसकी कीमत। राहुल गांधी ने कहा, ‘जब अगली बार कोई आपको सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े सुनाए, तो उन्हें अपने घरेलू बजट की सच्चाई’ दिखाएं – और पूछें, ये अर्थव्यवस्था किसके लिए है?’

SCO Summit 2025 : चीन में राजनाथ सिंह ने बोला पाकिस्तान पर हमला, आतंकवाद और शांति-समृद्धि साथ-साथ नहीं चल सकते

SCO Summit 2025 : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद के दोषियों, वित्तपोषकों व प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और इससे निपटने में दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल ‘नीतिगत साधन’ के रूप में कर रहे हैं।

शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते: राजनाथ

राजनाथ सिंह एससीओ के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ पहुंचे थे। उन्होंने कहा, हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। राजनाथ ने कहा, ‘और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद है।’ सिंह ने कहा कि शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि सरकार से इतर तत्वों और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार सौंपने के साथ भी शांति कायम नहीं रह सकती।

आतंकवाद से निपटने में दोहरे मानदंडों कोई स्थान नही: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा, ‘इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि अपने संकीर्ण एवं स्वार्थी उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित व इस्तेमाल करने वालों को इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने में दोहरे मानदंडों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

राजनाथ सिंह ने कहा कि एससीओ को इस खतरे से निपटने में दोहरे मानदंड अपनाने वाले देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि पहलगाम आतंकी हमले का तरीका भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों जैसा था। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपना रहा है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के समर्थन में अपनी नीति पर अडिग रहा है।

Uttarakhand News : बद्रीनाथ हाइवे पर बड़ा हादसा, अलकनंदा में जा रही मिनी बस, 2 की मौत और 10 लापता

Uttarakhand News : उत्तराखंड में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग और गौचर के बीच घोलतीर गांव के पास बृहस्पतिवार तड़के तीर्थयात्रियों से भरी एक मिनी बस दुर्घटनाग्रस्त होकर अलकनंदा नदी में जा गिरी जिसमें दो व्यक्तियों की मौत हो गई तथा 10 अन्य लापता हैं। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, घटना में आठ लोग घायल भी हुए हैं । वाहन में राजस्थान के उदयपुर का एक परिवार भी था जो चारधाम यात्रा पर आया था ।

राहत एवं बचाव अभियान शुरू

घटना की खबर मिलते ही पुलिस तथा राज्य आपदा प्रतिवादन बल मौके पर पहुंचे और राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया। कुल 31 यात्रियों की क्षमता वाली मिनी बस में, हादसे के समय चालक समेत 20 श्रद्धालु सवार थे और वह बदरीनाथ धाम की ओर जा रही थी । बचाव दलों ने बताया कि हादसे के दौरान वाहन में सवार कुछ श्रद्धालु पहाड़ी पर ही छिटक कर घायल हो गए थे जिन्हें उपचार के लिए निकटवर्ती अस्पताल भेजा गया है।

10 यात्री नदी में समा गई मिनी बस के साथ ही लापता

उन्होंने बताया कि घटनास्थल से दो व्यक्तियों के शव बरामद किए गए हैं जबकि 10 यात्री नदी में समा गई मिनी बस के साथ ही लापता हो गए।राहत एवं बचाव कार्यों में नदी का तेज बहाव चुनौती बना हुआ है लेकिन बचाव दल स्थानीय लोगों के साथ मिलकर लगातार श्रद्धालुओं की जांच कर रहे हैं। बता दें कि 18 यात्रियों से भरी बस राजस्‍थान से आ रही थी। यात्री चारधाम यात्रा पर आए थे। अलकनंदा नदी में तेज बहाव के कारण बस बह गई। इन दिनों उत्‍तराखंड के कई हिस्‍से में तेज बारिश हो रही है। इसकी वजह से नदियां लबालब हैं। बारिश के चलते भी कई सड़क हादसे हो चुके हैं।

मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने जताया शोक

उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने इस दुर्घटना पर शोक व्‍यक्‍त किया है। सोशल मीडिया X पर उन्‍होंने लिखा है- ‘जनपद रुद्रप्रयाग में एक टेंपो ट्रैवलर के नदी में गिरने का समाचार अत्यंत दुःखद है। SDRF सहित अन्य बचाव दलों द्वारा युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में निरंतर स्थानीय प्रशासन से संपर्क में हूं। ईश्वर से सभी के सकुशल होने की प्रार्थना करता हूं।’

World Cup 1983 : विश्व कप जीत के 42 साल पूरे, वह दिन जिसने भारतीय क्रिकेट की कामयाबी की नींव रखी

World Cup 1983: पिछले चार साल में जब भी 25 जून आता है तो ‘83’ वाट्सअप ग्रुप के सबसे जिंदादिल सदस्य की यादें बाकी 13 सदस्यों को कचोटती हैं। चार साल पहले यशपाल शर्मा ने आखिरी सांसें ली थी लेकिन ऐसा एक भी दिन नहीं गया होगा जब कपिल देव की 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्यों ने ‘यश पाजी’ को याद नहीं किया हो। कोरोना महामारी से पहले पंजाब के तत्कालीन चयनकर्ता यशपाल दिल्ली में रणजी मैच देखने आये थे। उन्होंने कुछ पत्रकारों को उलाहना भी दिया था कि ओल्ड टैफर्ड में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच की रिकॉर्डिंग उनके पास नहीं है जिसमें उनकी 89 रन की पारी की मदद से भारत ने 34 रन से जीत दर्ज की थी।

5000 पाउंड देने के लिये तैयार हूं : यशपाल

टूर्नामेंट में सर्वाधिक 240 रन बनाने वाले यशपाल ने कहा था, जिसके पास भी रिकॉर्डिंग है , मैं उसे 5000 पाउंड देने के लिये तैयार हूं । मेरे पास रिकॉर्डिंग नहीं है । वह मेरी सर्वश्रेष्ठ वनडे पारी थी। ऐसा लगता था कि मैको ( मैल्कम मार्शल) का मुझसे अलिखित करार था । मेरे आते ही दो गेंद छाती पर मारता था। महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने उनके बारे में कहा था, वह टीम का बहुत ही लोकप्रिय सदस्य था और हम सभी उसे याद करते हैं ।

द 83 वाट्सअप ग्रुप में टीम के 14 सदस्य और प्रशासनिक प्रबंधक पीआर मान सिंह हैं । भारतीय टीम ने जब रवि शास्त्री के कोच रहते बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी जीती या रोजर बिन्नी बीसीसीआई अध्यक्ष बने या कीर्ति आजाद ने लोकसभा चुनाव जीता, इस ग्रुप पर चर्चा का दौर चला है।

भारत-इंग्लैंड सीरीज की वजह से जश्न स्थगित

गावस्कर ने कहा, हम लगभग हर रोज संपर्क में रहते हैं और आज तो बिल्कुल ही।
विजय माल्या के यूबी समूह ने 2008 में विश्व कप जीत की 25वीं सालगिरह पर लाडॅर्स पर टीम के सभी सदस्यों के लिये समारोह का आयोजन किया था। फिर 2023 में अडाणी समूह ने 40वीं सालगिरह पर सदस्यों को सम्मानित किया। इस बार गावस्कर और शास्त्री एंडरसन तेंदुलकर ट्रॉफी के लिये अपनी मीडिया व्यस्तताओं के कारण बाहर हैं और दिलीप वेंगसरकर भी देश में नहीं है तो जश्न नहीं हो सका।

गावस्कर ने कहा, हमने इस साल भी जश्न का सोचा था लेकिन श्रृंखला चालू होने के कारण स्थगित करना पड़ा । दो साल पहले अहमदाबाद में अडाणी समूह ने टीम को सम्मानित किया था। भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली ने हाल ही में पीटीआई के एक पॉडकास्ट में कहा था, 1983 बहुत बड़ी बात थी। कपिल देव, संधू, मदन लाल, रोजर बिन्नी, संदीप पाटिल को लॉडर्स पर देखना बहुत बड़ी बात थी । इससे हमें क्रिकेट खेलने की प्रेरणा मिली।

उस जीत से जुड़े कई किस्से क्रिकेट की किवदंतियों में शामिल है। ऐसा कहा जाता रहा है कि कपिल ने जिम्बाब्वे के खिलाफ जब 175 रन की नाबाद पारी खेली थी तब बीबीसी कर्मचारियों के हड़ताल पर होने से उसकी कोई वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं है। मशहूर पत्रकार गुलू इजेकील ने हालांकि अपनी किताब ‘मिथ बस्टर्स’ में लिखा कि 18 जून 1983 को बीबीसी ने मैनचेस्टर में इंग्लैंड और पाकिस्तान तथा लॉडर्स पर वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया के मैच का प्रसारण किया था। बीबीसी को भारत और जिम्बाब्वे का मैच उतना महत्वपूर्ण नहीं लगा।

यह मैदान भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं

टनब्रिज वेल्स पर वह पहला और आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच था लेकिन यह मैदान भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के लिये किसी तीर्थ से कम नहीं है। स्टेडियम के आसपास रहने वालों के पास कपिल देव की एक न एक कहानी जरूर है । एक ब्रिटिश नागरिक ने इस संवाददाता को बताया था कि उसने जिस मकान मालिक से घर खरीदा था , उसकी एक खिड़की कपिल के छक्के से टूटी थी। भारत के विश्व कप जीतने के बाद आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे बीसीसीआई ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर से धनराशि जुटाने के लिये एक कन्सर्ट करने का अनुरोध किया । इससे मिली रकम से बीसीसीआई ने टीम के हर सदस्य को दो लाख रूपये दिये थे। बदले में लता जी को भारतीय टीम के किसी भी मैच के दो वीआईपी टिकट मिलते रहे ।

विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य अलग अलग शहरों में रहते हैं । शास्त्री और गावस्कर शीर्ष कमेंटेटर होने के नाते अक्सर यात्रा ही करते रहते हैं । कृष श्रीकांत अपने बेटे अनिरूद्ध के साथ एक कामयाब तमिल यूट्यूब चैनल चलाते हैं और चयन समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वेंगसरकर मुंबई की सबसे कामयाब अकादमियों में से एक चलाते हैं जिसकी शाखायें पुणे में भी है । सुनील वाल्सन उत्तर भारत के हिल स्टेशन पर रहते हैं जबकि मदन लाल की सिरी फोर्ट में अकादमी है और वह टीवी चैनलों पर भी विशेषज्ञ के रूप में दिखते हैं । सैयद किरमानी ने हाल ही में आत्मकथा लिखी है । मोहिंदर अमरनाथ गोवा में रहते हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस के सांसद कीर्ति आजाद आसनसोल और दिल्ली के बीच आते जाते रहते हैं । बिन्नी बीसीसीआई अध्यक्ष हैं और इन सभी में सबसे कम बोलने वाले शख्स हैं। ये सभी 25 जून 1983 की एक मजबूत डोर से बंधे हैं।

Amarnath Yatra : कश्मीर पुलिस प्रमुख बोले- अमरनाथ यात्रा के लिए बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था, सीसीटीवी और ड्रोन से होगी निगरानी

Amarnath Yatra : कश्मीर पुलिस प्रमुख वी. के. बिरदी ने बुधवार को कहा कि आगामी वार्षिक अमरनाथ यात्रा सुरक्षित और निर्बाध रूप से संपन्न हो, इसके लिए यहां बहुस्तरीय और गहन सुरक्षा व्यवस्था की गई है। कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ने अनंतनाग में पत्रकारों को बताया, अगले सप्ताह से इस साल की श्री अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है। जम्मू कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने यात्रा के लिए सभी सुरक्षा प्रबंध कर लिए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार यात्रा को अधिक सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए बहुस्तरीय और गहन सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। बिरदी ने पहलगाम क्षेत्र में नुनवान आधार शिविर का दौरा किया और तीन जुलाई से शुरू होने वाली तीर्थयात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।

आईजीपी ने कहा कि 38 दिवसीय तीर्थयात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को जोनल सहित विभिन्न स्तरों पर बांटा गया है और यात्रा से पहले बुधवार को हर स्तर पर सुरक्षा अभ्यास (ड्रिल) आयोजित किया गया। उन्होंने बताया, पूर्वाभ्यास का उद्देश्य किसी भी खतरे की आशंका के समय हमारी सतर्कता तथा हमारी कार्रवाई और प्रतिक्रिया की तैयारी को निखारना है। इस तरह के अभ्यास शिविरों, सड़कों या यात्रा मार्गों के अंदरूनी हिस्सों जैसे हर स्थान पर आयोजित किए गए ताकि सभी सुरक्षा बल सतर्क रहें और उन्हें पता हो कि किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए उन्हें क्या विशिष्ट कार्य करने हैं।

यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों के समर्थन के बारे में पूछे जाने पर बिरदी ने कहा कि स्थानीय लोगों की सहायता के बगैर इस यात्रा का आयोजन किया जाना संभव नहीं है। आईजीपी ने कहा, स्थानीय लोगों की मदद और समर्थन से ही यह यात्रा सफल होती है। इस बार भी यात्रियों का स्वागत करने और उन्हें हर संभव मदद प्रदान करने के लिए स्थानीय लोग उत्साहित हैं।

Shashi Tharoor पर भड़के Mallikarjun Kharge, कहा- कुछ लोगों के लिए ‘मोदी फर्स्ट’, हमारे लिए देश पहले है

Mallikarjun Kharge attack Shashi Tharoor: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी सांसद शशि थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ किए जाने को लेकर बुधवार को उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोगों के लिए ‘मोदी फर्स्ट’ है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल के लिए देश सबसे पहले हैं। थरूर ने सोमवार को एक अंग्रेजी दैनिक के लिए लिखे लेख में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऊर्जा, उनका बहुआयामी व्यक्तित्व और संवाद की तत्परता वैश्विक मंच पर भारत के लिए एक अहम पूंजी बनी हुई है, लेकिन इसे अधिक सहयोग एवं समर्थन की जरूरत है।

थरूर पर भड़के खरगे

थरूर द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ किए जाने के बारे में पूछने पर, खरगे ने संवाददाताओं से तंज भरे लहजे में कहा, अंग्रेजी मुझे पढ़नी नहीं आती। उनकी भाषा बहुत अच्छी है। इसलिए तो उन्हें पार्टी की कार्य समिति का सदस्य बनाया है।ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, सभी विपक्षी दलों ने कहा कि हम देश की सेना के साथ हैं। पहले मैंने गुलबर्ग में यह कहा था कि देश सबसे बड़ा है, सब मिलकर आवाज उठाएंगे। हमने कहा था कि देश पहले है। चंद लोग ऐसे हैं जिनके लिए ‘मोदी फर्स्ट’ और देश बाद में हैं। अब हम क्या करें?।

शशि थरूर की टिप्पणी से संबंधित एक अन्य सवाल पर खरगे ने कहा, जिसको जो लिखना आता है वह लिखेंगे, उसको लेकर हम अपना दिमाग नहीं लगाना चाहते हैं। हमारा एक लक्ष्य है कि देश में एकता रहे, देश की सुरक्षा रहे। देश के लिए हम लड़ते रहेंगे, किसी की बात पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।

पंख तुम्हारे हैं, आसमान किसी का नहीं : शशि थरूर

कांग्रेस अध्यक्ष की इन टिप्पणियों के बाद थरूर ने किसी का नाम लिए बगैर ‘एक्स’ पर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट किया। उन्होंने एक चिड़िया की तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा, उड़ने की इजाजत मत मांगो। पंख तुम्हारे हैं, आसमान किसी का नहीं है।

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