नई दिल्ली,भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ एवं निवेश शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को अदाणी समूह के शेयरों पर दांव लगाने में कथित उल्लंघन को लेकर किए दावों को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है.हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी.
भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने का प्रयास : हिंडनबर्ग
अमेरिकी कंपनी ने बताया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उसे कारण बताओ नोटिस भेजा है. उसने इस नोटिस को बेतुका और पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति के लिए गढ़ा गया बताया.उसने कहा कि यह भारत में सबसे शक्तिशाली लोगों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है.’
नोटिस से कुछ प्रश्नों का समाधान हो गया :हिंडनबर्ग
अमेरिकी कंपनी ने कहा कि कारण बताओ नोटिस से कुछ प्रश्नों का समाधान हो गया है,’क्या हिंडनबर्ग ने अदाणी को नुकसान पहुंचाने के लिए दर्जनों कंपनियों के साथ काम किया, जिससे करोड़ों डॉलर कमाए? नहीं.हमारे पास एक निवेशक साझेदार था और लागतों के बाद हम शायद ही अदाणी शॉर्ट पर ‘ब्रेक-ईवन’ से ऊपर आ पाएं.इसमें कहा गया,”अदाणी पर हमारा काम वित्तीय या व्यक्तिगत सुरक्षा के नजरिए से कभी भी उचित नहीं था, लेकिन यह अब तक का वह काम है जिस पर हमें सबसे अधिक गर्व है.”हिंडनबर्ग ने कहा कि उसे 27 जून को सेबी से एक ईमेल मिला और बाद में एक कारण बताओ नोटिस भेजा गया जिसमें भारतीय नियमों के संदिग्ध उल्लंघन का उल्लेख था.
अडाणी ग्रुप ने आरोपों पर नहीं दिया जवाब : हिंडनबर्ग
कंपनी ने कहा, ”आज तक अदाणी (समूह) हमारी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जवाब देने में विफल रहा है. इसके बजाय उन्होंने हमारे द्वारा उठाए गए हर प्रमुख मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए जवाब दिया और बाद में मीडिया में लगाए गए आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है.उसने कहा कि जनवरी 2023 की रिपोर्ट ने ”(समूह के चेयरमैन) गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी और करीबी सहयोगियों द्वारा नियंत्रित अपतटीय शेल संस्थाओं के एक विशाल नेटवर्क का सबूत प्रदान किया था.इसमें कहा गया, हमने विस्तार से बताया कि किस तरह इन संस्थाओं के जरिए अरबों रुपये चोरी-छिपे अदाणी की संस्थाओं में और बाहर भेजे गए,अक्सर संबंधित पक्षों की जानकारी के बिना.सेबी के नोटिस में कोटक बैंक का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है जिसके साथ हिंडनबर्ग का संबंध है.
हिंडनबर्ग ने कहा,”हमें संदेह है कि सेबी द्वारा कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करने का उद्देश्य एक अन्य शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाना हो सकता है.सेबी ऐसा करता प्रतीत होता है.इसने खुलासा किया था कि कोटक बैंक ने एक अपतटीय फंड संरचना बनाई और उसकी देखरेख की, जिसका उपयोग उसके ‘‘निवेशक साझेदार’’ ने समूह के खिलाफ किया, लेकिन यह भी कहा कि यह अपने व्यापार में मुश्किल से ही बराबरी पर आ पाएगा.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से Adani Group को हुआ था नुकसान
बता दें कि हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. उस समय समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया था. उसे उच्चतम न्यायालय से भी राहत मिल गई है.न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया था कि उसे (समूह को) अतिरिक्त जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है.हालांकि, यह रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में 150 अरब डॉलर से अधिक की बिकवाली हुई थी.इसका असर यह हुआ था कि 2023 की शुरुआत में दुनिया के दूसरे सबसे अमीर उद्यमी के रूप में सूचीबद्ध गौतम अडाणी शीर्ष 20 से भी बाहर हो गए.बाद में समूह ने इस नुकसान की काफी हद तक भरपाई की.