अजमेर,1993 में 5 शहरों में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को गुरुवार को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं मिला है.वहीं दो आतंकियों इरफान और हमीदुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई है. टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन तीनों 6 दिसंबर, 1993 को कई ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में आरोपी थे. 20 साल पहले 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने ही मामले में 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, उच्चतम न्यायालय ने 4 आरोपियों को बरी कर बाकी की सजा को बरकरार रखा था.जो जयपुर जेल में सजा काट रहे हैं.
अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में लखनऊ,कोटा,हैदराबाद,कानपुर ,मुंबई और सूरत की ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट हुए थे.इस ब्लास्ट में सैकड़ों लोग घायल हुए थे.जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. CBIने 1994 में मामलों को क्लब करते हुए टाडा कोर्ट अजमेर भेज दिया था.इस मामलें करीब 30 साल सुनवाई चली .अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए उसे बरी कर दिया है.1996 में बम ब्लास्ट में दोषी ठहराए जाने के बाद से वह वर्तमान में उम्र कैद की सजा काट रहा है.
मामले में सुप्रीम कोर्ट से किन-किन को मिली राहत
मोहम्मद यूसुफ, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद निसरूद्दीन और मोहम्मद जहीरूद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. वहीं इस मामले में निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल अभी फरार है.