नई दिल्ली । क्विक कॉमर्स के तेजी से बढ़ने से शारीरिक श्रम करने वाले कुशल व अर्ध-कुशल (ब्लू-कॉलर) मजदूरों की आवश्यकता में पर्याप्त वृद्धि होने का अनुमान है. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई. नौकरी संबंधी मंच ‘इनडीड’ के अनुसार, भारत में 2027 तक 24 लाख नौकरियां सृजित होंगी. इंडीड इंडिया के बिक्री प्रमुख शशि कुमार ने कहा कि क्विक कॉमर्स (त्वरित वाणिज्य) कंपनियों ने त्योहारी खरीदारी और ई-कॉमर्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पिछली तिमाही में 40,000 से अधिक कर्मचारियों को काम पर रखा था
क्विक कॉमर्स उद्योग तीव्र वृद्धि के पथ पर अग्रसर
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ”भारत में क्विक कॉमर्स उद्योग तीव्र वृद्धि के पथ पर अग्रसर है और हम इस मांग को पूरा करने के लिए ‘ब्लू-कॉलर’ कर्मियों की नियुक्तियों में महत्वपूर्ण बदलाव देख रहे हैं. कुमार ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे उद्योग का विस्तार हो रहा है, कुशल तथा अर्ध-कुशल श्रमिकों की आवश्यकता बढ़ रही है, जिससे भर्ती अधिक प्रतिस्पर्धी हो रही है. नियोक्ता तेजी से ऐसे प्रतिभावान लोगों की तलाश कर रहे हैं जो तीव्र गति से बढ़ रहे प्रौद्योगिकी-संचालित माहौल के अनुकूल काम कर सकें.”
क्या होता है ब्लू कॉलर नौकरी का मतलब
‘ब्लू-कॉलर’ नौकरियों से तात्पर्य उन व्यवसायों से है जिनमें शारीरिक श्रम या कुशल व्यापार शामिल होते हैं. इन भूमिकाओं के लिए अक्सर औपचारिक शिक्षा के बजाय शारीरिक श्रम और व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा अनुभव की आवश्यकता होती है. इनडीड द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, डिलीवरी ड्राइवर और खुदरा कर्मचारियों सहित इन पदों के लिए औसत मासिक आधार वेतन लगभग 22,600 रुपये है. सर्वेक्षण में पाया गया,”भारत को विभिन्न उद्योगों में 24 लाख से अधिक ‘ब्लू-कॉलर’ श्रमिकों की आवश्यकता होगी. इनमें से सर्वाधिक 5 लाख नौकरियां केवल क्विक कॉमर्स क्षेत्र में सृजित होने की संभावना है. ”
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