Monday, December 23, 2024
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Satire : बिचौलिए का खुला पत्र एक मतदाता के नाम, मैं जिसको भी कहूं, आंख मींचकर उसे वोट दे दें…

मेरे प्रिय मतदाता, जरा नयन खोलें, तुम्हारे सामने तुम्हारे क्षेत्र के भावी विधायक महोदय दोनों हाथ बांधे, नतमस्तक होकर याचक की मुद्रा में खड़े हैं। जानते हो यह तुम्हारा फिजूल का, सिर्फ एक बोट चाहते हैं। आज भरपूर नजर से इन्हें निरख लो, अन्यथा पूरे पांच वर्ष तक यह मुद्रा और यह सूरत फिर देखने को नहीं मिलेगी। सच तुम कितने सौभाग्यशाली हो, जो भगवान स्वयं भक्त के यहां पधारे हैं। मांग लो, जो कुछ मांगना है, आज ये सब कुछ देंगे।


गांव में बिजली मांग लो, नल मांग लो, कन्या पाठशाला खुलवा लो, परीक्षा का केन्द्र मांग लो और अपने बेरोजगार बेटे के लिए नौकरी मांग लो, तुम्हारी जैसी इच्छा है, वही भोगो, आज सब मिल जाएगा और कुछ नहीं तो आश्वासन तो मिल ही जाएगा। आश्वासन भी बहुत होता है, जीत गए तो सबसे पहले तुम्हारा ही काम होगा। हो सकता है, जीतने के बाद महामहिम तुम्हें पहचाने नहीं।
आश्वासन की याद दिलाना हो सकता है इन्हें तुम्हारी सुध हो आए और ये तुम्हारे संकटमोचक बन जाएं। जानता हूं तुम्हारे मन में इस समय कौन से भाव आ रहे हैं। यही न सब धोखा करते हैं, काम कोई नहीं करता। लेकिन तुम्हें विश्वास होना चाहिए कि ये काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं क्योंकि इनके चुनाव घोषणा पत्र में केवल काम की ही बातें लिखी गई हैं।


भाई लिखित में दे रखा है, अब तो विश्वास करो। फिर जनसेवक होता ही किसलिए है? जनता की सेवा करना उसका प्रथम कर्तव्य है, तो तुम यह क्यों सोच रहे हो कि ये अपने कर्तव्य से डिग जाएंगे। ऐसा कभी नहीं हो सकता। तुम यह सोच रहे होंगे कि ये बार-बार दल बदलते हैं, तो मैं इस बारे में भी स्पष्ट बता दूं कि दल भी इन्होंने आपके हित के लिए ही बदला था और यदि आगे भी ऐसी नौबत आई तो ये केवल तुम्हारे लिए ही वर्तमान दल का त्याग करेंगे। ये जो भी करते हैं वो तुम्हारे लिए ही तो करते हैं। ये तो सांस भी तुम्हारे लिए ही ले रहे हैं। और चाहते भी ज्यादा कुछ नहीं है, सिर्फ आपका वही फिजूल सा वोट। नहीं तो उसका तुम भी क्या करोगे, नहीं दिया तो फिजूल, दूसरे को दिया तो भी फिजूल। इसलिए फिजूलखर्ची से बचो। मितव्ययिता का सिद्धान्त अपनाओ। यही तो जागरूक नागरिक का कर्तव्य है।

आज जो भी हो रहा है, वो फिजूल ही तो हो रहा है। तुम समझदार हो। इनके हाथ जोड़ने की मुद्रा पर तरस खाओ और इन पर बरस जाओ। ये एक बार जयपुर-दिल्ली पहुंच गए तो फिर देखने के भी लाले पड़ सकते हैं। आदमी तो ये बहुत बड़े हैं, लेकिन आज तुम्हारे द्वार पर खड़े हैं। आपके लिए ही चुनाव लड़े हैं। इनका ख्याल रखिए और देश व प्रान्त को मजबूत करने के साथ स्वयं मजबूत करने के लिए इन्हें मजबूत बनाएं। और आगे तो क्या कहा जा सकता है। आप खुद भी समझदार हैं।

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